बिहार की सियासत में यह मुलाकात लगाएगी आग ,लालू की सक्रियता से कौन है बेचैन? बढ़ती सियासी हलचल ने उड़ा दी है साहेब की रात की नींद....पढ़िए इनसाइड स्टोरी

बिहार की सियासत में यह मुलाकात लगाएगी आग ,लालू की सक्रियता से कौन है बेचैन? बढ़ती सियासी हलचल ने उड़ा दी है साहेब की रात की नींद....पढ़िए इनसाइड स्टोरी

दिल्ली - लोकसभा 2024 का चुनाव नजदीक है और कांग्रेस पूरी जोश खरोश के  साथ विपक्ष को एक साथ लाने के प्रसाय में जुटी है. इसमें पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अहम भूमिका निभाते दिख रहे हैं. वहीं राहुल गांधी ने लालू यादव से भी मुलाकात की.मुलाकात के बाद कयासों का बाजार गर्म होने लगा है. एनडीए का कहना है कि राहुल गांधी और लालू यादव मिल कर नीतीश कुमार की राजनीति को अब विराम लगा देंगे और नीतीश कुमार को गठबंधन से अलग कर देंगे. कयास है कि कांग्रेस नीतीश पर तेजस्वी को बिहार सीएम की कुर्सी देने का दबाव बनाएगी. लालू प्रसाद और राहुल गांधी के मुलाकात के राजनीतिक अर्थ भी निकाले जा रहे है. इस मुलाकात के बाद भाजपा के कान खड़े हो गए हैं. वह कोई भी मौका नीतीश को घेरने का छोड़ना नहीं चाहती. राहुल नीतीश के मुलाकात क्या गुल खिलाएंगे. ये तो बाद में पता चलेगा लेकिन एनडीए बिहार में नीतीश लालू पर तल्ख तेवर अपनाए हुए है.

एनडीए का कहना है कि खेल तो अब होगा. कभी नीतीश के सबसे करीबी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी ने कहा कि अभी तो राहुल गांधी और लालू प्रसाद मिले हैं,अब खेल होगा. आरसीपी ने कहा कि बिहार की जनता ने 2020 में एनडीए को बहुमत दिया, उसके नेता नीतीश कुमार थे,लेकिन नीतीश ने खेल कर दिया. आरसीपी ने नीतीश पर प्रहार करते हुए कहा कि जिन्हें जनता ने वोट नहीं दिया वे सत्ता में है और जिसको वोट दिया था वह विपक्ष .सिंह ने नीतीश पर प्रश्न चिह्न खड़ा करते हुए कहा कि बिहार में नीतीश कुमार क्या काम किए हैं? प्रधानमंत्री बनकर क्या दिखाएंगे, जरा बता दीजिए.

वहीं कभी जदयूं  संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष रहे और नीतीश के खास कहे जाने वाले उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश को घेरते हुए कहा कि राहुल गांधी और लालू प्रसाद में अंदर अंदर डील हुई है, बिहार की राजनीति से नीतीश कुमार को मुक्त कर देना है और तेजस्वी की बिहार की ताजपोशी कर देनी है. कुशवाहा ने कहा कि लालू का मकसद इतना ही है कि अपने बेटे को कैसे मुख्यमंत्री बनाएं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब तक सीएम की कुर्सी पर हैं, तब तक तो ठीक है, जिस दिन मुख्यमंत्री की कुर्सी से नीतीश कुमार हटे तो वो ताश के पत्ते की तरह महागठबंधन में बिखर जाएंगे.

राहुल गांधी और लालू प्रसाद के मिलने के राजनीतिक अर्थ भी निकाले जा रहे हैं. मुंबई में महागठबंधन की बैठक होनी है, बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हुआ है, मुंबई में कन्वेनर का फैसला होना है, सीट शेयरिंग भी होना है इन प्रश्नों पर राहुल लालू से बात हुई होगी. वहीं  राहुल को बखूबी पता है कि लालू के बिना बिहार में कांग्रेस की नैया पार नहीं होने वाली है.

बहरहाल लालू राहुल के मुलाकात के जो भी अर्थ निकालें जाएं इतना तो तय है कि इनकी मुलाकात को सामान्य भेंट कहना सही नहीं होगा और एनडीए महागठबंधन परप्रहार करने का कोई मौका छोड़ने को तैयार नहीं है.


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