DARBHANGA : लोकसभा चुनाव में अब 22 साल पहले हुए गोधरा कांड का मामला भी उछलने लगा है। आज दरभंगा में जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने गोधरा कांड की जांच करानेवाले यूपीए एक के रेल मंत्री पर जोरदार हमला बोला है। पीएम मोदी ने लालू प्रसाद पर आरोप लगाया है कि उन्होंने सोनिया गांधी को खुश करने के लिए गोधरा कांड एक हादसा बता दिया। ताकि दोषियों को सजा होने से बचाया जा सके। लेकिन जो फर्जी रिपोर्ट उन्होंने बनवाई, उसे कोर्ट ने खारिज कर दिया और दोषियों को सजा सुनाई गई।
दरभंगा में जनसभा को संबोंधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि राजद का इतिहास सामाजिक न्याय का मुखौटा लगाकर तुष्टिकरण करने का रहा है। जब गोधरा में कार सेवकों को जिंदा जलाया गया था तब रेल मंत्री लालू प्रसाद थे, उन्होंने गोधरा कांड के दोषियों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक जज एक कमेटी बनाई। बेनराजी कमेटी। सोनिया मैडम का राज था। इसलिए बेनर्जी कमेटी बनवाई, उससे ऐसा रिपोर्ट लिखवाया कि 60 लोगों को जिंदा जलाने वाले निर्दोष से छूट जाएं।
लेकिन, ये रेलमंत्री जो जेल में जिंदगी गुजारने पर मजबूर हैं और जमानत पर घूम रहे हैं। अदालत ने उनकी इस रिपोर्ट को अदालत ने कूड़े-कचरे में फेंक दिया। कोर्ट ने दोषियों को सजा सुनाई। फांसी तक की सजा हो गई। पूरी दुनिया को पता था कि कार सेवकों को जिंदा जलाया गया था। फर्जी जांच रिपोर्ट बनवाकर कार सेवकों पर ही दोष मढ़ने की साजिश रची गई। यही इनका इतिहास है। यही इनकी सच्चाई है। साथियों हमें बिहार को लालटेन के दौर में वापस नहीं जाने देना है।
22 साल पहले हुआ था गोधरा कांड
दरअसल, साबरमती एक्सप्रेस के एक कोच में 27 फरवरी 2002 को आग लगा दी गई थी। इसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी। उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री नीतीश कुमार थे। उस वक्त गोधरा कांड की जांच रेल मंत्री की ओर से नहीं करवाई गई। कांग्रेस की जब सरकार बनी तो लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री बने। सिंतबर 2004 में लालू प्रसाद ने रेलवे अधिनियमों का उपयोग करते हुए एक नई कमेटी का गठन किया। इसका नाम दिया यूसी बनर्जी कमेटी।
कमेटी की रिपोर्ट में बताया गया हादसा
17 जनवरी 2005 को कमेटी ने रिपोर्ट सौंप दिया। इसमें कहा गया था कि आग दुर्घटनावश लगी थी। किसी के द्वारा आग लगाने के प्रमाण नहीं मिले। रिपोर्ट में यह कहा गया था कि साबरमती एक्सप्रेस के कोच में साधु बैठे थे, वह ध्रूमपान कर रहे थे, गलती से आग लग गई। इसके बाद इस रिपोर्ट पर काफी सवाल भी उठते रहे।
बाद में गुजरात हाईकोर्ट ने बनर्जी कमेटी के गठन को ही अवैध करार दिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले की पहले से ही नानावटी-शाह आयोग जांच कर रही है। इस जांच टीम ने 18 सितंबर 2008 को जांत रिपोर्ट प्रस्तुत की. जिसमें गोधरा कांड को पूर्व नियोजित साजिश करार दिया गया।
मार्च 2011 में 63 आरोपियो में 11 को फांसी, 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई। छह साल बाद फांसी की सजा पाए सभी आरोपियों की सजा को उम्र कैद में बदल दिया गया।