कंवर झील और नेगी-नकटी सैंक्चुअरी बचाने की कवायद: हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा- अब तक क्यों नहीं हटा अतिक्रमण? माँगा ब्यौरा
पटना हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुधीर सिंह की खंडपीठ ने बेगूसराय के कबरताल और जमुई के नेगी-नकटी पक्षी अभ्यारण्य में बढ़ते अतिक्रमण को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने की गई कार्रवाई का ब्यौरा मांगते हुए अगले आदेश तक निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी है।
Patna - पटना हाई कोर्ट ने राज्य के वेटलैंड्स और अभ्यारण्यों के संरक्षण को लेकर 'वेटेरन फोरम फॉर ट्रांसपेरंसी इन पब्लिक लाइफ' की जनहित याचिका पर सुनवाई की। एक्टिंग चीफ जस्टिस सुधीर सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा अतिक्रमण हटाने की दिशा में कोई ठोस कदम न उठाए जाने पर नाराजगी व्यक्त की है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से राज्य सरकार और मुख्य वन संरक्षक से अगली सुनवाई में विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा है।
कबरताल और नेगी-नकटी अभ्यारण्य निशाने पर
अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को जानकारी दी कि बेगूसराय स्थित कबरताल (कँवर झील) और जमुई जिले के नेगी एवं नकटी बर्ड सैंक्चुअरी में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हो रहे हैं। 1989 की सरकारी अधिसूचना के अनुसार कँवर झील पक्षी अभ्यारण्य का क्षेत्रफल 420.28 एकड़ बताया गया था, लेकिन कुल 15780 एकड़ भूमि में से मात्र 1564 एकड़ की ही बंदोबस्ती हुई है। शेष भूमि जिला प्रशासन के अधीन होने के बावजूद वहां डिमार्केशन (सीमांकन) नहीं किया गया है।
सरकारी भवनों के अवैध निर्माण पर सवाल
याचिकाकर्ता की ओर से आरोप लगाया गया कि बेगूसराय के जयमंगलगढ़ वेटलैंड में जिला प्रशासन की मिलीभगत से अवैध स्कूल, मंदिर, धर्मशाला, पंचायत भवन और कम्युनिटी हॉल जैसे निर्माण किए गए हैं। 2017 के नियमों के तहत बिना अनुमति ऐसे निर्माण प्रतिबंधित हैं। इससे पहले 11 जुलाई, 2025 को भी कोर्ट ने इन निर्माणों पर जवाब मांगा था, लेकिन सरकार की ओर से कोई हलफनामा दायर नहीं किया गया।
कोर्ट ने अब इन सभी अवैध निर्माणों पर रोक लगा दी है और मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी, 2026 को तय की है।