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तारापुर-कुशेश्वरस्थान में डूबती 'नैया' को बचाने के लिए JDU-BJP ने उतारी नेताओं की फौज, अकेले 'तेजस्वी' को रोकने में NDA नेताओं के छूट रहे पसीने

तारापुर-कुशेश्वरस्थान में डूबती 'नैया' को बचाने के लिए JDU-BJP ने उतारी नेताओं की फौज, अकेले 'तेजस्वी' को रोकने में NDA नेताओं के छूट रहे पसीने

PATNA: बिहार में विधानसभा की दो सीटों पर हो रहे उप चुनाव में लड़ाई दिलचस्प हो गई है। एक तरफ एनडीए है वहीं दूसरी तरफ राजद। वहीं लोजपा(रामविलास) व कांग्रेस लड़ाई को त्रिकोमात्मक बनाने में जुटी है। इस बार राजद ने ऐसी चाल चली है कि सत्ता पक्ष के पसीने छूट रहे। उप चुनाव में लड़ाई बराबरी का देख सत्ताधारी गठबंधन के होश उड़ गये हैं। खासकर तारापुर में जेडीयू कैंडिडेट की स्थिति खराब बताई जा रही है। डूबती नैया को बचाने के लिए जेडीयू-बीजेपी ने नेताओं की फौज उतार दी है। जेडीयू को डर है कि कहीं राजद बाजी न मार ले। अगर ऐसा हुआ तो सरकार पर हर समय संकट के बादल मंडराते रहेंगे। 

मैदान में एनडीए नेताओं की फौैज

तारापुर व कुशेश्वरस्थान ने हो रहे उप चुनाव में सत्ताधारी एनडीए गठबंधन के चारो घटक दल के नेता जोर-शोर से चुनावी प्रचार में जुटे हैं। तेजस्वी यादव को रोकने के लिए आज तारापुर व कुशेश्वर स्थान में पांच दल के नेता चुनावी प्रचार में जुटे हैं। हेलिकॉप्टर से केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस, पूर्व सीएम जीतनराम मांझी, डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद, मंत्री मुकेश सहनी व जेडीयू सांसद रामनाथ ठाकुर ने संयुक्त रूप से प्रचार किया। वहीं पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी भी आज तारापुर में रोड- शो करने वाले हैं। हालांकि अभी तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनावी प्रचार मैदान में नहीं उतरे हैं। संभावना है कि वे दोनों विधानसभा क्षेत्र में 2-2 चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। 

विधानसभा उप चुनाव में दांव पर सत्ताधारी गठबंधन की प्रतिष्ठा

जिस वोट पर बीजेपी अपना आधिपत्य समझती है और उसी के बूते बिहार बीजेपी संगठन-सरकार में मंत्री पद बांटे गये उस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। दरअसल तारापुर विधानसभा सीट पर वैश्य वोटरों का झुकाव राजद की तरफ दिख रहा है। राजद ने इस बार नई रणनीति के तहत वैश्य समुदाय से आने वाले अरूण कुमार साह को उम्मीदवार बनाया है। जाति-बिरादरी की वजह से वैश्य वोटरों का झुकाव राजद की तरफ साफ-साफ दिख रहा.हालांकि  वोटिंग तक यह झुकाव बना रहेगा या बीजेपी डैमेल कंट्रोल करने में सफल होगी यह कहना मुश्किल है। जानकार बताते हैं कि तारापुर में वैश्य वोटरों को बचाने में बीजेपी नाकामयाब हुई तो प्रदेश अध्यक्ष से लेकर दोनों डिप्टी सीएम की भूमिका पर सवाल खड़े होंगे। 

बीजेपी जेडीयू के कुशवाहा कैंडिडेट को जीताने में होगी कामयाब?

विधानसभा की कुशेश्वरस्थान और तारापुर दोनों सीटें जेडीयू कोटे की है। लिहाजा सीटिंग सीट को बचाये रखना सत्ताधारी दल के लिए बड़ी चुनौती है। वैसे तो तारापुर में जेडीयू की नाव डगमगा रही है। राजद की तरफ से मैदान में वैश्य कैंडिडेट अरूण कुमार साह को उतारने की वजह से जेडीयू भारी टेंशन में है। अगर एनडीए का आधार वोट टूटा तो करारी हार से कोई नहीं बचा सकता। तारापुर में राजद और जेडीयू कैंडिडेट के बीच सीधी लड़ाई है। राजद की तरफ से अरूण कुमार साह तो जेडीयू की तरफ से कुशवाहा समाज से आने वाले राजीव कुमार सिंह मैदान में हैं। 

तारापुर में टूट रहा मिथक, 25 हजार वोटरों पर राजद की नजर

तारापुर में जेडीयू के वोट का समीकरण गड़बड़ा रहा है। वैश्य समुदाय का कैंडिडेट देने से तेली-सूंढ़ी उपजातियों के वोटरों का झुकाव राजद की तरफ दिख रहा है। अब तक इस वोट पर बीजेपी अपना अधिकार समझती थी। लेकिन तारापुर में यह मिथक टूटते हुए दिख रहा है। इस विधानसभा क्षेत्र में तारापुर,असरपुर और संग्रामपुर बाजार में वैश्य वोटरों की अच्छी तादात है। जानकार बताते हैं कि इस क्षेत्र में वैश्य की सभी उपजातियों को मिलाकर लगभग 25 हजार मतदाता हैं। करीब 12 हजार वोटिंग क्षमता इस समुदाय के पास है। अगर इस वर्ग के 50 फीसदी वोटर भी जाति-बिरादरी देख राजद कैंडिडेट को वोट कर दिया तो फिर जेडीयू कैंडिडेट के लिए मुश्किल खड़ी हो जायेगी। राजद का आधार वोट पहले से ही एकजुट है। इसमें वैश्य समुदाय का कुछ हजार वोट जुड़ जायेगा तो राजद कैंडिडेट की राह आसान हो सकती है। 2020 विधानसभा चुनाव में भी राजद कैंडिडेट दिव्या प्रकाश की महज 7225 वोट से हार हुई थी। तब जेडीयू के मेवालाल चौधरी की जीत हुई थी। मेवालाल चौधरी को 64468 और दिव्या प्रकाश को 57243 वोट मिले थे।

BJP के वैश्य नेता JDU को वोट नहीं दिला पाये तो होगी मुश्किल 

वैश्य समाज बीजेपी के वोटर माने जाते हैं। इसी आधार पर भाजपा नेतृत्व ने संगठन और सरकार दोनों जगहों पर इस समुदाय के नेताओं को शीर्ष पदों पर बिठाकर रखा है। प्रदेश अध्यक्ष व संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों के अलावे विधायक दल के नेता व दोनों डिप्टी सीएम का पद इसी समुदाय से है। वहीं कई मंत्री भी इस वर्ग से आते हैं. इतना के बाद भी अगर वैश्य वोटर तारापुर में जेडीयू कैंडिडेट की बजाए अपनी जाति के राजद कैंडिडेट को वोट कर देते हैं तो फिर इन नेताओं के लिए मुश्किल होगी। लिहाजा बिहार भाजपा वैश्य वोटरों को अपने पाले रखने की पूरी कोशिश में जुट गई है।

 मेवालाल चौधरी के निधन से खाली हुई है सीट

जेडीयू ने तारापुर से राजीव कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया है। सीटिंग विधायक मेवालाल चौधरी के निधन के बाद जब उनके बेटे चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हुए तो राजीव कुमार सिंह को जेडीयू ने उम्मीदवार बनाया। 2015 में भी इस सीट से जेडीयू कैंडिडेट मेवालाल चौधरी ही चुनाव जीते थे। 2010 में इनकी पत्नी नीता चौधरी विधायक बनी थी। यानी लंबे समय से यह सीट जेडीयू के खाते में है। हालांकि जेडीयू ने तारापुर विस सीट से इस बार जिसे उम्मीदवार बनाया है उस पर बम विस्फोट कराने,जानलेवा हमला कराने जैसे संगीन केस हैं। अपने कैंडिडेट की जीत सुनिश्चित करने को लेकर जेडीयू ने भी पूरी ताकत झोंक दी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता व मंत्री तारापुर में चुनावी प्रचार कर रहे हैं।

जेडीयू कैंडिडेट की केस कुंडली 

जेडीयू कैंडिडेट राजीव कुमार सिंह पर तारापुर थाना में वर्ष 2014 में केस दर्ज हुआ था. आरोपी पर विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत मुकदमा हुआ था . प्रत्याशी पर घर के सामने गोदाम में अचानक बम विस्फोट से संबंधित आरोप है. यह केस मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मुंगेर की अदालत में लंबित है. वहीं दूसरा केस भी तारापुर थाना में दर्ज है. यह केस 1994 में आर्म एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था. अवैध हथियार रखने के मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया था. यह मामला भी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मुंगेर कि यहां लंबित है. तीसरा केस तारापुर थाना में ही दर्ज है. इसमें जानलेवा हमला ( धारा 307), आर्म एक्ट जैसी गंभीर धाराओं में केस दर्ज हुआ था. इसमें नाजायज मजमा बनाकर जानलेवा हमला करने का आरोप है.यह केस भी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मुंगेर की अदालत में चल रहा है। जेडीयू प्रत्याशी राजीव कुमार सिंह ने नामांकन के समय जो शपथ-पत्र दिया है उसी में इन केसों की उल्लेख है। 

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