पटना. पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें कुछ लोग अपने गुस्से का इजहार कर रहे हैं. इसे काराकाट संसदीय क्षेत्र का वीडियो बताकर कहा जा रहा है कि इसमें उपेंद्र कुशवाहा का विरोध किया जा रहा है. हालांकि वीडियो की सच्चाई कुछ अलग ही है. विरोधियों ने उपेंद्र कुशवाहा के विरोध का एक फर्जी दावा कर दिया है. जबकि सच्चाई कुछ अलग है और यह वीडियो भी काराकाट का नहीं है.
दरअसल, वायरल वीडियो की पड़ताल में एक बड़ा खुलासा हुआ है. कुशवाहा से जुड़े नेताओं ने भी माना कि रालोमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष का जनसंपर्क अभियान का वीडियो एक बड़ी साजिश के तहत एक वायरल किया गया। वायरल वीडियो को काराकाट लोकसभा क्षेत्र का बताकर काराकाट की जनता को भ्रमित करने का प्रयास किया गया। वीडियो से जुड़ा फैक्ट हम आपको बताते हैं।
1.वीडियो में एक व्यक्ति कह रहा है कि 18 साल से सांसद जी इस गांव में नहीं आए हैं जबकि उपेंद्र कुशवाहा जी 2014 में यानि 10 साल पहले पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े और जीते थे। --------यानि विरोध काराकाट लोकसभा क्षेत्र के सांसद का नहीं किया जा रहा था।
2. प्वाइंट एक के तथ्य और वीडियो में जो पोस्टर दिख रहा है उससे भी यह स्पष्ट हो जाता है कि यह वीडियो औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र का है, काराकाट का नहीं है।
3. विरोध करने वाला व्यक्ति अपने सांसद का विरोध तो कर रहा है साथ ही उपेंद्र कुशवाहा जी अभिवावदन और उस गांव में उनके आने के फैसले का स्वागत भी कर रहा है। (इसे वीडियो में सुना जा सकता है।)
रालोमो के नेताओं से जब हमने वायरल वीडियो की सच्चाई पर बात की तो उन्होंने कहा कि अब सवाल उठता है कि औरंगाबाद के वीडियो को काराकाट का बताकर क्यों वायरल किया जा रहा है? इसका जवाब है कि महागठबंधन को यह बात पता है कि काराकाट की जनता उपेंद्र कुशवाहा को बेहद पसंद करती है। सीधे चुनाव में इनको हराना असंभव है इसलिए वो ऐसे गंदे तरीके अपना रहा है। पार्टी नेताओं का कहना है कि सोशल मीडिया का जमाना है उपेंद्र कुशवाहा के फेसबुक पेज पर आप जाकर देख सकते हैं कि चुनाव की घोषणा से पहले भी कुशवाहा अपने क्षेत्र की जनता के सुख-दुःख में हमेशा साझेदार होते रहे हैं।