सनातन धर्म को खत्म करने उदयनिधि के बयान को राजद का मिला साथ, मनोज झा ने सनातन की विकृतियों पर उठाए सवाल

पटना. सनातन धर्म को खत्म करने की डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन के बयान को राजद ने ज्यादा तूल देने की जरूरत नहीं बताया है. राजद की ओर से कहा गया है कि हमारी संस्कृति में भिन्न विचारों को हमेशा से प्रकट किया जाता रहा है, इसलिए उदयनिधि के विचार में कुछ भी नया नहीं है. राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने रविवार को उदयनिधि के बयान पर प्रतिक्रिया दी. इस दौरान उन्होंने कबीर के दोहों से उदयनिधि का बचाव किया. उन्होंने कहा कि कभी-कभी हमको प्रतीक मुहावरों के अंदर जाकर सोचना होगा. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान का एक मिजाज रहा है, कई लोगों के सनातन में कई सारी विकृतियां हैं. क्या जाति व्यवस्था अच्छी चीज है.

मनोज झा ने कबीर के दोहे ‘जो तूं ब्राह्मण ब्राह्मणी जाया, आन बाट काहे नहीं आया. जो तू तुरुक तुरुक्नी जाया, अंदर खतना क्यूँ न कराया’ का जिक्र करते हुए कहा कि कबीरदास ने आज से सैंकड़ों साल पहले इन दोहों से समाज की कुरीतियों पर प्रहार किया था. उन्होंने कहा कि आज भी कबीर की भांति कई लोग सनातन में कई सारी विकृतियां पर सवाल करते हैं. इसलिए ऐसे मुद्दों को ज्यादा तूल देने की जरूरत नहीं है. 

दरअसल, उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को लेकर विवादित बयान देकर बवाल खड़ा कर दिया है. धर्म के खात्मे के लिए आयोजित एक कांफ्रेंस में बोलते हुए उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि सनातन धर्म मलेरिया और डेंगू की तरह है, इसलिए इसका खात्मा किया जाना चाहिए. न केवल सनातन धर्म का विरोध किया जाना चाहिए बल्कि इसे खत्म कर देना चाहिए. 

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उदयनिधि स्टालिन ने सनातन को खत्म करने की बात करते हुए कहा कि सनातनम क्या है? सनातनम नाम संस्कृत से आया है. सनातनम समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ है. सनातनम का अर्थ 'स्थायित्व' के अलावा और कुछ नहीं है, जिसे बदला नहीं जा सकता. कोई भी सवाल नहीं उठा सकता. सनातनम का यही अर्थ है. इसलिए इस सनातन धर्म को खत्म कर देना चाहिए. 

उनके इस बयान पर जहाँ भाजपा सहित कई दलों ने आपत्ति जताई है वहीं राजद के मनोज झा ने इस पर अलग किस्म की राय रखी है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि हिंदुस्तान का एक मिजाज रहा है, कई लोगों के सनातन में कई सारी विकृतियां हैं. क्या जाति व्यवस्था अच्छी चीज है जैसा सवाल कर उन्होंने उदयनिधि का बचाव किया.