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नीतीश कुमार के इंडिया संयोजक बनने से इनकार करने की खास वजह समझिये, सियासी बाजीगर के लिए जदयू बना रही है विशेष रणनीति

नीतीश कुमार के इंडिया संयोजक बनने से इनकार करने की खास वजह समझिये, सियासी बाजीगर के लिए जदयू बना रही है विशेष रणनीति

पटना. अपने फैसलों से हमेशा सबको चौकाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को फिर से तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया. विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की बैठक में नीतीश कुमार को संयोजक बनाने का प्रस्ताव आया तो उन्होंने सिरे से नकार दिया. नीतीश कुमार का यह निर्णय बड़े बड़े राजनीतिक पंडितों को भी हैरान करने लिए काफी है. आखिर जिन नीतीश कुमार को लेकर शुरू से कहा जा रहा था कि उन्हें ही संयोजक बनाया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने ही विपक्ष को एकजुट किया है, वही नीतीश इससे इनकार क्यों कर रहे हैं. नीतीश का यह फैसला यूँ ही नहीं आया है बल्कि इसके दूरगामी राजनीतिक कारण होंगे. 

दरअसल, नीतीश कुमार ने ही अगस्त 2022 में बिहार में एनडीए से अलग होकर जब महागठबंधन की सरकार बनाई तो सबसे पहले विपक्ष को एकजुट करने की बात की. उनकी बातों को शुरू में भाजपा सहित अन्य दलों ने कभी ना होने वाला काम कहा. लेकिन नीतीश ने इसे साकार कर इंडिया नाम से गठबंधन भी बना दिया. अब संयोजक को लेकर कई प्रकार की चर्चा रही तो यहां भी नीतीश ने सबको हैरान कर दिया. नीतीश को लेकर शुरू से कहा जा रहा था कि उन्हें यह पद मिलना चाहिए. वहीं जब इसका प्रस्ताव आया तो नीतीश ने इस पद को लेने से ही इनकार कर दिया. सूत्रों के अनुसार वे मल्लिकार्जुन खड़गे और लालू यादव जैसे नेताओं को संयोजक पद पर देखना चाहते हैं. 

ऐसे में बड़ा सवाल है कि नीतीश खुद के लिए क्या चाहते हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो नीतीश ने यह फैसला काफी सोचकर किया है. जदयू कई नेताओं ने पहले ही कहा है कि नीतीश कुमार वह नेता हैं जिनमें प्रधानमंत्री बनने की सारी योग्यता है. जदयू की कई सभाओं और नीतीश के कार्यक्रमों में नारा लग चुका है ‘देश का पीएम कैसा हो नीतीश कुमार जैसा हो’. ऐसे में अगले लोकसभा चुनाव में इंडिया से पीएम पद का चेहरा कौन होगा यह भी एक उलझा हुआ पेंच है. करीब ढाई दर्जन दलों के गठबंधन से बने इंडिया में कई धाकर नेता हैं जो पीएम के दावेदार हो सकते हैं. ऐसे में नीतीश कुमार भी इन नेताओं के बीच एक प्रबल दावेदार हैं. 

माना जा रहा है कि संयोजक पद छोड़कर नीतीश कुमार ने दूर की चाल चली है. अगर इंडिया में पीएम के चेहरे की बात होगी तो उस दौरान नीतीश कुमार के नाम की चर्चा हो सकती है. संयोजक पद को लेकर पहले कहा गया कि नीतीश कुमार इसमें हो रही लेट लतीफी के कारण नाराज हैं, तो उन्हें ही संयोजक बनाने के नाम पर बात आ गई. इसके पहले पटना में जब नीतीश ने कांग्रेस को लेकर कहा था कि इन दिनों कांग्रेस विधानसभा चुनाव में व्यस्त है इसलिए इंडिया पर ध्यान नहीं दे रही तो उनके इस बयान के अगले दिन ही कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व एक्टिव हुआ. नीतीश से फोन पर बात हुई थी. 

अब नीतीश ने फिर से अपने खास तेवर दिखाए है तो इसका भी खास कारण है. माना जा रहा है कि जदयू की रणनीति है कि नीतीश को पीएम पद के चेहरे के रूप में पेश किया जाए. ऐसे में संयोजक पद ठुकराकर एक तरह से दबाव की रणनीति बनाई गई है. साथ ही अगर नीतीश के संयोजक रहते कोई इंडिया का कोई दल अलग हो जाता तो इससे नीतीश की बदनामी होती कि उन्हें सबको साथ लेकर चलने का हुनर नहीं है. अब कांग्रेस या किसी अन्य दल के नेता संयोजक बनते हैं तो यह बदनामी भी उनके सिर आएगी. ऐसे में नीतीश ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं. 

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