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औरंगाबाद में एनटीपीसी और बीआरबीसीएल की वादाखिलाफी से फूटा ग्रामीणों का गुस्सा, आजीवन वोट नहीं देने का किया फैसला

औरंगाबाद में एनटीपीसी और बीआरबीसीएल की वादाखिलाफी से फूटा ग्रामीणों का गुस्सा, आजीवन वोट नहीं देने का किया फैसला

AURANGABAD : एनटीपीसी और बीआरबीसीएल की मनमानी के ख़िलाफ़ स्थानीय लोगों में आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। विद्युत परियोजना की इन दोनों कंपनियों के ख़िलाफ़ पहले नबीनगर विधानसभा के मेह पंचायत की जनता ने विरोध जताई थी। लेकीन अब यह विरोध मेह पंचायत के अलावा धमनी एवं आस-पास के पंचायत की जनता विरोध में खड़ी हो गई है। शनिवार को इस संबध में स्थानीय ग्रामीणों ने मेह स्थित विरोध में जमकर नारेबाज़ी की और मांगे पूरी करने की बात कहीं। इसके उपरांत अयोजित प्रेस-वार्ता में समाजसेवी राधे प्रसाद यादव, बीडीसी सुनील गुप्ता, पैक्स अध्यक्ष मेह नारायण सिंह ने बताया कि जब तक हमारी समस्याओं का समाधान नहीं होता है तक चुनाव में वोट वहिष्कार जारी रहेगा। चाहे वह अगामी लोकसभा, विधानसभा या फिर पंचायत चुनाव हो। 

प्रेस-वार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि लोकतंत्र के इस महापर्व में वोट के महत्व को हम अच्छे से समझते हैं, वोट बहिष्कार का निर्णय लेना प्रशासनिक गतिविधियों में बाधा डालना नहीं है। बल्कि हमारी मजबूरी है। बीते कई सालों से हमारी मांगे अधूरी है। वोट बहिष्कार तब तक जारी रहेगा। तब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हमारी ये आठ मांगे कोई नई नहीं है बल्कि बीते कई साल से एनटीपीसी एवं बीआरबीसील सहित आला अधिकारियों से गुहार लगा रहे है। यदि विद्युत परियोजना एवं प्रशासनिक अधिकारियों को लगता है कि चुनाव के मद्देनजर हमलोगों ने यह वोट बहिष्कार का निर्णय लिया है तो हमारी इन मांगों से संबधित दस्तावेज उनकी फ़ाइलों में कहीं धूल फांक रही होगी। जिसे देखने पर मिल जायेगा। 

ग्रामीणों का आरोप है कि उन लोगों ने एनटीपीसी एवं बीआरबीसीई को अपनी जमीन ये सोचकर दी थी कि यहां भी विकास होगा और उनकी समस्याओं का समाधान होगा। उनका दावा है कि एनटीपीसी एवं बीआरबीसील पावर प्लांट लगने के पहले गांव-गांव घूमकर टीवी के माध्यम से यह दिखाया गया था कि अगर यहां इन दोनों विद्युत प्लांट लग जाता है तो सड़क-गली-विद्युत-स्वास्थ्य-कॉलेज जैसी सुविधाएं मुफ्त में दी जाएगी। लेकिन आज तक ये सुविधाएं नसीब नहीं हुई। बल्कि अब उड़ती राख से वे परेशान हैं, आने वाले समय में श्वसन संबाधित बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं। इसके लिए कई बार एनटीपीसी एवं बीआरबीसील के प्रबंधक तथा आला अधिकारियों को भी कहा गया लेकीन हमारी मांगे अधूरी है। अतः इस बार काराकाट लोकसभा चुनाव में वोट बहिष्कार का निर्णय लिया है। 

दरअसल ग्रामीणों की आठ मुख्य मांगे हैं जिसमें एनटीपीसी और बीआरबीसीएल परियोजना निर्माण के समय बिशुनपुर कैनाल के नहर को बंद कर दी गई है। जिसे तत्काल प्रभाव से चालू किया जाए। परियोजना के द्वारा निकलने वाले जहरीले राख के प्रकोप से स्थानीय जनजीवन खतरे में है। जिस पर अविलंब रोक लगाई जाए। विस्थापित किसानों को मुफ्त में बिजली दी जाए। विस्थापित प्रभावित सभी क्षेत्र की मजदूरों को 750 रूपये दिन की दैनिक मजदूरी भत्ता को भुगतान किया जाए। परियोजना के द्वारा सीएसआर स्कीम का निर्देश सार्वजनिक रूप से जारी किया जाना चाहिए। परियोजना के अंतर्गत विस्थापित प्रभावित सभी क्षेत्र में 80 प्रतिशत रोजगार दिया जाना चाहिए और परियोजना के निर्माण के समय किसान मजदूर पर हुए मुकदमा को वापस किया जाना चाहिए। 

ग्रामीणों का आरोप है कि एनटीपीसी एवं बीआरबीसील ने प्लांट बनाते समय वादा किया था कि यहां लोकल युवाओं को नौकरी में तवज्जो दी जाएगी। फ्री बिजली, बच्चों की पढ़ाई के लिए मेडीकल कॉलेज सहित अन्य सुविधाएं देने का आश्वासन दिया था। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। बीते कई सालों में एक भी वादा पूरा नहीं किया गया। इस लिए वोट बहिष्कार का निर्णय गया है। इस संबध में अधिक से अधिक लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इस मौके पर विश्वनाथ पटेल, सुमंत पटेल, राजाराम सिंह पटेल, निराला पटेल, रामशीष सिंह यादव, रवि प्रताप सिंह, मेह उपमुखिया   अवधेश चंद्रावंशी, बिकेश्वर सिंह, धर्मेद्र पटेल, करमदेव पासवान, कईल पासवान, सुरेन्द्र सिंह, हरि सिंह, कमलेश पटेल, राजेंद्र सिंह, अवधेश यादव, घुरा राम , रामविलास पाल, ललन यादव सहित कई अन्य मौजूद रहे।

औरंगाबाद से दीनानाथ मौआर की रिपोर्ट

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