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पूर्णिया की रुपौली विधानसभा उपचुनाव के लिए वोटिंग जारी, नीतीश की बचेगी साख या तेजस्वी का बदला होगा पूरा? कौन जीतेगा रुपौली का रण? वोटर्स कर रहे फैसला

पूर्णिया की रुपौली विधानसभा उपचुनाव के लिए वोटिंग जारी, नीतीश की बचेगी साख या तेजस्वी का बदला होगा पूरा? कौन जीतेगा रुपौली का रण? वोटर्स कर रहे फैसला

पूर्णिया: लोकसभा चुनाव के बाद रुपौली में विधानसभा का उपचुनाव  एनडीए और इंडिया गठबंधन के लिए नाक की लड़ाई बन गया है. पूर्णिया जिले के रुपौली में आज सुबह सात बजे से वोटिंग शुरु हो गई है.  बूथों पर वोटर्स की लंबी कतार देकी जा रही है. लोग अपने मतधिकार का प्रयोग कर रहे हैं. रुपौली के रण में बीमा भारती तेजस्वी का बदला पूरा करेंगी या जदयू के कलाधर मंडल नीतीश की साख बचाने में कामयाब होंगे इसका फैसला जनता मतदान कर कर रही है.  रुपौली विधानसभा उपचुनाव के लिए आज सुबह 7 बजे से वोटिंग शुरू हो गयी है. रुपौली की जनता 11  प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला कर रही है. 

रुपौली में जदयू प्रत्याशी कलाधर मंडल, राजद प्रत्याशी बीमा भारती और निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह के बीच सीधा मुकाबला है. रुपौली में 321 मतदान केंद्रों पर 3 लाख 13 हजार 645 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं. बूथों पर सुबह से हीं वोटर्स की लंबी लाइन लगी है.

रुपौली में सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. इस बार रुपौली उपचुनाव में 11 उम्मीदवार चुनावी मैदान  में हैं. रुपौली में इस बार लड़ाई त्रिकोणीय हो गयी है. राष्ट्रीय जनता दल ने उस उम्मीदवार पर दाव लगाया है जिसने सीएम नीतीश कुमार से बगावत किया है. 

लोकसभा चुनाव के ठीक एक महीने बाद विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई और राष्ट्रीय जनता दल ने फिर से बीमा भारती को उम्मीदवार बनाया. खास बात यह रही की इस बार बीमा भारती को पप्पू यादव का साथ मिला. तेजस्वी यादव ने दो दिनों तक पूर्णिया में कैंप किया. पप्पू यादव को खास तौर पर अल्पसंख्यक वोटर को शिफ्ट करने के लिए लगाया गया .

बीमा भारती के साथ अगर अल्पसंख्यक वोट जुट जाता है तो जीत की राह आसान हो जाएगी. लेकिन अगर शंकर सिंह वोट काटने में कामयाब हो जाते हैं, तो त्रिकोणात्मक लड़ाई में जदयू उम्मीदवार को बढ़त मिल सकती है.

 बिहार प्रदेश के तमाम बड़े नेताओं ने चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया. सबकी नजर पूर्व मंत्री बीमा भारती पर टिकी है. बीमा भारती ने नीतीश कुमार से बगावत कर लालू प्रसाद यादव के साथ जाना सही समझा. बता दें कि बीमा भारती तीन बार जदयू के टिकट पर विधायक रह चुकी हैं और नीतीश कुमार ने बीमा भारती को 2015 के चुनाव के नतीजे के बाद मंत्री भी बनाया था. 2000 में भी बीमा भारती विधायक बनी थी लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में वह चुनाव जीती थीं. पति अवधेश मंडल के बाहुबल के बदौलत बीमा भारती को जीत हासिल हुई थी.


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