CM नीतीश के मन में क्या चल रहा है... पीएम मोदी के एक राष्ट्र-एक चुनाव को किया समर्थन, अब G-20 रात्रिभोज में गए, कांग्रेस और I.N.D.I.A. हैरान

पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सियासत में लीक से अलग हटकर फैसले लेने वाले नेता के रूप में जाने जाते हैं. विशेषकर उनके निर्णय कई बार सबको हैरान कर देते हैं. हाल के दिनों में भी सीएम नीतीश ने फिर से अपने बयानों और फैसलों से अपने उन साथियों को हैरान किया जो नीतीश की पहल पर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. में शामिल हुए हैं. यानी I.N.D.I.A. के साथ रहकर भी नीतीश अपने फैसलों पर अडिग दिखते हैं जो कई बार उनके साथियों को असहज कर देता है. 

दरअसल, केंद्र सरकार ने पिछले एक राष्ट्र-एक चुनाव की पहल की. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को समिति का अध्यक्ष बनाया. इसे लेकर जहाँ कांग्रेस सहित I.N.D.I.A. में शामिल कई राजनीतिक दलों अपनी आपत्ति जताई तो नीतीश के सुर बदले रहे. नीतीश ने कहा था कि वन नेशन- वन इलेक्शन तो पहले से होता रहा है. यह अच्छा है. उन्होंने अपने बयान में केंद्र की मोदी सरकार की इस पहल को स्वागतयोग्य होने का संकेत दिया. यानी भले ही I.N.D.I.A. के शेष कई दल इसके विरोध में बयानबाजी कर रहे हों. लेकिन नीतीश ने स्पष्ट कर दिया कि उनकी सोच इस मामले में अलग है. 

अब G 20 को लेकर भारत की राष्ट्रपति की ओर से 9 सितम्बर को एक रात्रिभोज दिया जा रहा है. इसमें विदेशी गणमान्यों के साथ ही देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बुलाया गया है. साथ ही केंद्रीय मंत्रियों को भी आमंत्रित किया गया है. हालांकि इस भोज में राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (कांग्रेस अध्यक्ष) को नहीं बुलाया गया है जबकि वे भी केंद्रीय मंत्री वाला ही दर्जा रखते हैं. माना जा रहा है कि इसी कारण कांग्रेस शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्री अब रात्रिभोज में नहीं जा रहे हैं. वे I.N.D.I.A. में शामिल घटक दलों वाले शासित कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री भी रात्रिभोज से दूरी बनाए हुए हैं.

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एक ओर कांग्रेस और I.N.D.I.A. के घटक दलों के नेताओं ने इससे दूरी बनाई तो दूसरी ओर नीतीश कुमार शनिवार को रात्रिभोज में शामिल होने निकल गए. जदयू नेताओं कि ओर से कहा गया कि यह भोज राष्ट्रपति की ओर से आयोजित है. ऐसे में इसका राजनीति से कोई लेनादेना नहीं है. लेकिन नीतीश कुमार का इसमें जाना सबको हैरान जरुर करता है. एक ओर वे केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों एकजुट करने का दुरूह काम करने में सफलता पाएं हैं. दूसरी ओर जी20 की मेजबानी को केंद्र सरकार एक बड़ी उपलब्धि बता रही है. ऐसे में इस कार्यक्रम में नीतीश का जाना उनके कई साथियों को अच्छा नहीं लग सकता है. बावजूद इसके नीतीश ने फिर से अपने इस फैसले से सबको चौकाया है. 

नीतीश को समझना आसान नहीं :  यानी एक ओर नीतीश कुमार ने मोदी सरकार और भाजपा के खिलाफ बिगुल भी फूंक रखा है. वहीं दूसरी ओर वे राजनीतिक तकरार से अलग ‘वन नेशन- वन इलेक्शन’ हो या राष्ट्रपति का रात्रिभोज इसे लेकर अलग किस्म की सियासी सोच पेश की है. हालांकि नीतीश कुमार की राजनीति को जानने वाले बताते हैं कि वे हमेशा ऐसे ही निर्णयों से सबको हैरान करते हैं. लोकसभा चुनाव 2014 के पहले एनडीए से अलग होने का नीतीश का निर्णय हो या फिर उस चुनाव के पद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना. इसी तरह जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाना, फिर मांझी को सीएम पद से हटाना. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद कुछ  महीने बाद फिर से राजद से अलग होकर एनडीए में आना या फिर अगस्त 2022 में अचानक से एनडीए से अलग होकर राजद-कांग्रेस जैसे दलों को लेकर महागठबंधन बनाने की पहल हो. यह सब नीतीश के हैरान करने वाले निर्णय रहे हैं. ऐसे नीतीश ने एक बार फिर से कुछ वैसा ही करके सबको चौकाया है.