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नीतीश कुमार की गुप्त खिड़की और दरवाजा का क्या है रहस्य! आखिर उस रास्ते कहां जाते है और क्या करते हैं...किसे है इसकी जानकारी...बड़े बड़े नहीं जान पाए..बड़ा खुलासा...उठ गया परदा..

नीतीश कुमार की गुप्त खिड़की और दरवाजा का क्या है रहस्य! आखिर उस रास्ते कहां जाते है और क्या करते हैं...किसे है इसकी जानकारी...बड़े बड़े नहीं जान पाए..बड़ा खुलासा...उठ गया परदा..

सीतामढी: राजनीति में समय से ज्यादा संख्याबल बलवान होता है, और कुछ मामलों में परिस्थितियां भी. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संदर्भ में कुछ ऐसा ही लगता है. अमूमन किसी राज्य के विधानसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर आई पार्टी को सत्ता की बागडोर नहीं मिलती, वह भी तब जब उसकी गठबंधन के किसी अन्य दल को उससे अधिक सीट पर विजय मिली ह। और अगर कभी-कभार संयोगवश मिलती भी है तो अनिश्चितता के बादल सरकार के भविष्य पर मंडराते रहते हैं. लगातार दो बार अपनी पार्टी के सहयोगी दलों से पिछड़ने के बावजूद मुख्यमंत्री बनने वाले नीतीश के साथ ऐसा नहीं है. वहीं नीतीश की राजनीति पर व्जयंग्नय करते हुए जन सुराज के बैनर तले बिहार के जिलों के भ्रमण निकले जाने-माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार के राजनीति का अलग तरीका है. वे एक दरवाजा रखते है, जो जनता को दिखता है और अभी वो दरवाजा महागठबंधन है. बगल में एक खिड़की है, जिससे हवा-पानी आ सके। ऊपर में रोशनदान रखते हैं, जिसके जरिए अंतरात्मा की आवाज पर उछल कर दूसरे जगह चले जाएं. पीके ने कहा कि नीतीश कुमार कभी अटल जी की समाधि पर चले जाते हैं, तो कभी पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिन के कार्यक्रम में शामिल हो जाते है और पीएम के डिनर में चले जाते हैं।.यह वही खिड़की है, जिसे दिखा कर दरवाजे (महागठबंधन) को बताते रहते है कि अगर इधर से हवा-पानी नहीं मिलेगा, तो इसी खिड़की से रास्ता निकाल लेंगे. राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश रोशनदान हैं. बिहार से विस अध्यक्ष बदल गये, लेकिन क्या बात है कि हरिवंश जी को नहीं हटाया गया. हरिवंश जी वहीं रोशनदान है कि कल होकर नीतीश बाबू को जरूरत पड़ जाए तो उन्हीं के माध्यम से भाजपा के लीडरशिप से बातचीत किया जा सके. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की प्राथमिकता अब यही रह गई है कि चाहे जिस व्यवस्था से हो, वे कुर्सी पर बने रहें.

 इस दौरान किशोर लालू परिवार पर टिप्पणी करने से खुद को नहीं रोक पाए. उन्होंने कहा कि महागठबंधन के साथ नीतीश कुमार एक वर्ष से सरकार चला रहे हैं. इस दौरान नीतीश कुमार ने एक बार भी नहीं कहा कि लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं हैं. वे बार-बार पूछते रहे हैं कि जिस व्यक्ति के यहां लगातार ईडी और सीबीआई की छापेमारी होती है. आखिर वो क्यों नहीं कहते कि ये लोग भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं हैं? 

पीके ने नीतीश पर करारा हमला करते हुए कहा कि कि लोकसभा चुनाव में जदयू की करारी हार होगी और उसके बाद पार्टी में बिखराव होगा. अब ये पार्टी अंतिम दौर में चल रही है. जदयू डूबती नैया है. इसी कारण डूबती नैया से निकलने के लिए जदयू के नेता दूसरे दलों में जा रहे है. बंगाल में चुनाव के दौरान उन्होंने भविष्यवाणी की थी, बीजेपी को सौ सीट नहीं मिलेंगी। 77 सीटों पर बीजेपी सिमट गई थी. उन्होंने लोकसभा चुनाव में जदयू को पांच सीट भी नहीं मिलने की बात कही है. पीके ने कहा कि अगर सच नहीं हुआ, तो पूरे बिहार से माफी मांगेंगे. पीके बुधवार को शहर स्थित गोयनका कॉलेज में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे. 

 पिछले विधानसभा चुनाव में अपनी सियासी जमीन खोने के बावजूद वे न सिर्फ विपक्ष बल्कि अपनी सहयोगी पार्टी की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं पर अंकुश लगाने के प्रयास में लगे हैं. कुछ दिनों पूर्व तक यह मुश्किल दिख रखा था जब राजनैतिक हलकों में यह खबर फैली या फैलाई गई कि नीतीश बिहार की राजनीति छोड़कर केंद्र में जाना चाहते हैं . 

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