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क्या होगा जब परमाणु जंग छिड़ेगा? आखिर किस डर ने परमाणु हथियारों के उत्पादन पर रोक लगाने को किया मजबूर, युद्ध होने पर कैसा होगा मंजर, जानिए

क्या होगा जब परमाणु जंग छिड़ेगा? आखिर किस डर ने परमाणु हथियारों के उत्पादन पर रोक लगाने को किया मजबूर, युद्ध होने पर कैसा होगा मंजर, जानिए

79 वर्ष (1945) पहले अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों में परमाणु बम गिराए थे.बमबारी के पहले दो से चार महीनों के भीतर हिरोशिमा में 90 हजार से 1 लाख 60 हजार और नागासाकी में 60 हजार से 80 लोग मारे गए थे. बम गिराए 78 वर्ष हो गए हैं लेकिन जापान का ये हिस्सा आज भी उस हमले से प्रभावित है. आज भी यहाँ पर उत्पन्न हो रही संतानों पर इस हमले का असर साफ देखा जा सकता है. इस घटना को मानव इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक माना जाता हैं जो की कुछ ही समय में एक पुरे शहर को निगल लिया था. यह हमला अमेरिका ने जापान को द्वितीय विश्व युद्ध में आत्मसमर्पण कराने के लिए किया था. 1945 में अमेरिका ने हिरोशिमा पर परमाणु बम से हमला किया था. इसका असर पीढ़ियां देख रहीं हैं.

परमाणु बम को बनाने वाले ओपनहाइमर ने इसकी टेस्टिंग के बाद कहा था कि धमाका उनकी उम्मीद से 50 गुना ज्यादा खतरनाक था.  वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर परमाणु बम आज के समय में किसी भी देश पर गिराए गए तो पिछली बार की तुलना में कई गुना ज्यादा तबाही ला सकते हैं. अब तक के इकलौते परमाणु हमले के असर को आज भी देखे जा सकते हैं.वैज्ञानिक  पॉल क्रुटजेन और जॉन बिर्क्स ने हमले के करीब 40 साल बाद1982 में कहा था कि अगर परमाणु युद्द शुरू होती है तो इससे धुएं का एक ऐसा बादल बनेगा, जिससे सूर्य से आने वाली धूप रुक जाएगी. धूप नहीं आने से पृथ्वी का तापमान बढ़ जाएगा. ये पूरी घटना परमाणु सर्दी कहलाएगी. वैज्ञानिकों का दावा किया था कि इससे मानवीय संस्कृति का विनाश हो जाएगा.

1980 के दशक में वैज्ञानिकों  ने परमाणु सर्दी सिद्धांत को लेकर मौसम  का एक नमूना पेश किया था, जो चौकाने वाली थी. परमाणु युद्ध होने पर ग्लोबल तापमान 10 साल में करीब 10 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाता, इसका सबसे बुरा असर पेड़-पौधों पर पड़ता, इनको  धूप नहीं मिल पाती और ये वक्त से पहले ही मुरझा जाते.

विगत 40 साल में मौसम के मिजाज में भी परिवर्तन आया है.आज अगर परमाणु युद्द हो तो 40 साल पहले हुए नुकसान से कहीं ज्यादा तबाही होगी.परमाणु युद्द  हुआ तो परमाणु  सर्दी का आयेगा ,समुद्र का तापमान भी गिर जाएगा. इसकी अवधि एक दो साल नहीं हजारों साल तक रह सकती है.

रूस और अमेरिका के अलावा 7 अन्य देशों- भारत, पाकिस्तान, चीन, फ्रांस, नॉर्थ कोरिया और ब्रिटेन के पास भी परमाणु हथियार हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध शुरु होता है तो कमोबेस 13 करोड़ लोगों की मौत हो जाएगी. वहीं, जंग के 2 साल बाद तक 250 करोड़ लोगों के भोजन भी पेट भर नहीं मिल पाएगा.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि ग्लोबल वॉर्मिंग का युग खत्म हो गया है. अब ग्लोबल बॉयलिंग का युग आ गया है. मौसम परिवर्तित हो गया है. ये बेहद खतरनाक है. ये परिवर्तन मानवीय क्रियाकलाप के कारण हो रहा है.

वातावरण कार्बन डाइऑक्साइड के बढ़ने से तापमान भी बढ़ रहा है. पृथ्वी लगातार गर्म हो रही है। ऐसे में परमामु बम के फटने से धुएं का जो बदल बनेगा, उससे सूर्य से आने वाली धूप रुक जाएगी, तापमान बढ़ने की जगह कम होने लगेगा, धीरे-धीरे ये स्थिति परमाणु सर्दी में परिवर्तित हो जाएगी.

पर्यावरण वैज्ञानिक एलन रोबॉक के अनुसार  परमाणु सर्दी सिद्धांत की वजह से ही परमाण हथियारों के उत्पादन और प्रयोग पर रोक लग सकी है. 1980 के दशक में दुनिया में 65 हजार परमाणु हथियार थे जो अब 2,512 बचे हैं.1986 में अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने परमाणु हथियारों पर रोक लगाने की पहल की थी.

बहरहाल हिरोसिमा और नागासाकी के दंश को दुनिया ने देखा ,परमाणु हथियार के दुश्परिणामों से परिचित होने के बाद भी अगर इस पर रोक नहीं लगी तो पूरी मानवता के खत्म होने से कोई नहीं बचा सकता है, कोई नहीं मतलब कोई नहीं.


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