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सांस संबंधी बीमारियों को लेकर WHO ने सदस्य देशों को किया अलर्ट, देश के कई राज्यों में अलर्ट; मुस्तैद हुआ स्वास्थ्य विभाग

सांस संबंधी बीमारियों को लेकर WHO ने सदस्य देशों को किया अलर्ट, देश के कई राज्यों में अलर्ट; मुस्तैद हुआ स्वास्थ्य विभाग

DESK- कुछ समय पहले ही दुनिया ने कोरोना महामारी से निजात पाई थी लेकिन अब एक बार फिरस से पड़ोसी देश चीन में नई बीमारी ने दस्तक दे दी है. चीन में फैल रही इस रहस्यमयी बीमारी ने बच्चों को अपनी जद में लेना शुरू कर दिया है. चीन की इस बीमारी को लेकर WHO भी सख्त हो गया है और इस बीमारी को लेकर पूरी नजर रख रहा है.  सांस संबंधी बीमारियों के बढ़ने और कोरोना के नए सबवैरिएंट जेएन.1 को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सदस्य देशों को आगाह किया है. डब्लूएचओ ने कहा है कि वायरस अपना स्वरूप बदल रहे हैं. ऐसे में सभी सदस्य देश अपने यहां मजबूत सर्विलांस रखें ताकि बीमारियों के प्रसार को रोका जा सके. डब्लूएचओ ने कोविड19 पर संगठन की टेक्निकल लीड मारिया वान  केरखोव का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर साझा किया है. इस वीडियो में केरखोव ने सांस संबंधी बीमारियों के फैलने की वजह बताई है और इन्हें रोकने के लिए क्या सावधानी रखने की जरूरत है, उसकी भी जानकारी दी है.

कोविड-19 संक्रमण के नए वेरिएंट जेएन-1 की केरल में पुष्टि के बाद सरकार देशभर में अलर्ट मोड पर है. पिछले 24 घंटे में देश में कोरोना के 335 नए मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं, यूपी और केरल में कोरोना से पांच लोगों की मौत हुई है। उधर, डब्ल्यूएचो भारत समेत कई देशों में कोरोना के बढ़ते मामलों से चिंता में है। उसने एडवाइजरी जारी करते हुए देशों से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दी है.देश में पिछले 24 घंटे में सिर्फ कोरोना केसों ने ही चिंता नहीं बढ़ाई है। कोरोना के कारण पिछले 24 घंटे में पांच लोगों की मौत भी हुई है। केरल में चार जबकि यूपी में एक मौत की सूचना है. कोविड-19 से 5,33,316 लोगों की मौत हो चुकी है कोरोना के कारण देश में मृत्यु दर 1.19 प्रतिशत है। वहीं, संक्रमण से उबरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 4.46 करोड़ (4,44,69,799) है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय रिकवरी दर 98.81 प्रतिशत आंकी गई है.

छोटे बच्चों में सांस से संबंधित बीमारियों और निमोनिया के मामले रिपोर्ट हो रहे हैं. इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अलर्ट जारी करते हुए सभी देशों को सावधानी बरतते रहने की सलाह दी है. चीन में विशेषकर बच्चों में माइकोप्लाज्मा निमोनिया और इन्फ्लूएंजा फ्लू के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने को कहा, सरकार स्थिति पर नजर रख रही है और बचाव के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे है.वैश्विक चिंता का कारण बने इस प्रकोप के बारे में पूछे जाने पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, आईसीएमआर और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक चीन में निमोनिया के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत को इस तरह के जोखिमों से कैसे बचाया जा सकता है, इसपर गंभीरता से ध्यान दे रहे हैं .

वहीं मारिया वान केरखोव ने भी सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि सांस संबंधी बीमारियां दुनिया में लगातार बढ़ रही हैं. इनमें कोरोना वायरल, फ्लू, रिनो वायरस, माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया और अन्य बीमारियां शामिल हैं. सार्स कोव-2  लगातार अपने आप को बदल रहा है. कोरोना का सबवैरिएंट जेएन.1 भी फैल रहा है। केरखोव ने कहा कि सांस संबंधी बीमारियों के फैलने की कई वजह है, इनमें एक मौजूदा छुट्टियों का सीजन भी है, जिसमें परिवार इकट्ठा होते हैं और बड़ी संख्या में लोग यात्राएं करते हैं. ऐसे में सरकारों को कड़ी निगरानी करने की जरूरत है.

केरखोव ने कहा कि लोग सर्दियों के मौसम में ज्यादा वक्त घर के अंदर गुजारते हैं. ऐसे में अगर घर में वेंटिलेशन का अभाव है तो ऐसे में बीमारी फैलने का खतरा बढ़ जाता है. पश्चिमी देशों में इन दिनों क्रिसमस की छुट्टियां होने वाली हैं. यही वजह है कि कोरोना या अन्य सांस संबंधी बीमारियों के फैलने की आशंका जताई जा रही है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस फैल रहा है और फिलहाल कोरोना के 68 फीसदी मामले सबवैरिएंट जेएन.1 की वजह से हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सदस्य देशों से अपील की है कि वह मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग संबंधी नियमों को लागू करें और कड़ी निगरानी करें.

चीन में विशेषकर बच्चों में सांस संबंधी बीमारियों में हो रही तेजी से बढ़ोतरी के मद्देनजर केंद्र सरकार ने तैयारियों की समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं. केंद्र सरकार से मिले निर्देश के बाद राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड, कर्नाटक और तमिलनाडु सहित पांच राज्यों ने अपने स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे को अलर्ट पर रखा है. कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग ने भी नागरिकों को बीमारियों के संबंध में मौसमी फ्लू के प्रति सचेत रहने के लिए एक सलाह जारी की है. इसके अनुसार, मौसमी फ्लू एक संक्रामक बीमारी है जो आम तौर पर पांच से सात दिनों तक रहती है और अपनी कम रुग्णता और मृत्यु दर के लिए जानी जाती है.हालाँकि, यह बीमारी शिशुओं, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, कमजोर इम्यूनिटी सिस्टम वाले लोगों और स्टेरॉयड जैसी दीर्घकालिक दवाएँ लेने वाले लोगों के लिए अधिक जोखिम पैदा करता है, जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है. 

आईजीआईएमएस के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ रोहित उपाध्याय के अनुसार  कोरोना के नए सबवैरिएंट जेएन.1के लक्षणों में  बुखार, ठंड लगना, अस्वस्थता, भूख न लगना, मायलगिया, मतली, छींकें और सूखी खांसी शामिल है. उन्होंने बताया कि  उच्च जोखिम वाले समूहों में तीन सप्ताह तक रह सकती हैं. डॉ रोहित के अनुसार इससे बचाव मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग संबंधी नियमों का पालन करना हीं है.

    

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