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कौन ले रहा था मैट्रिक परीक्षा! ड्यूटी मिलने के बाद भी जगह घर पर आराम करते रहे 200 से ज्यादा शिक्षक, जब डीईओ ने की कार्रवाई तो खुल गई व्यवस्था की पूरी पोल

कौन ले रहा था मैट्रिक परीक्षा! ड्यूटी मिलने के बाद भी जगह घर पर आराम करते रहे 200 से ज्यादा शिक्षक, जब डीईओ ने की कार्रवाई तो खुल गई व्यवस्था की पूरी पोल

BEGUSARAI : बिहार में इंटर के बाद मैट्रिक की परीक्षा भी संपन्न हो गई है. जिसके बाद बीएसईबी अब कॉपियों की जांच करने में जुट गई है। वहीं इसी बीच बेगूसराय में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने 201 शिक्षकों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। यह वह शिक्षक हैं जिनकी ड्यूटी मैट्रिक परीक्षा मेंं लगाई गई थी, लेकिन वह परीक्षा में जाने की जगह घर पर आराम फरमाते रहे। अब जब जिला शिक्षा पदाधिकारी ने उनके खिलाफ कार्रवाई की, तो सारी व्यवस्था की कलई खुल गई है। साथ ही यह सवाल भी उठ रहे हैं कि उनकी  उपस्थिति के बिना ही कैसे हुई मैट्रिक की परीक्षा पांच केंद्रों पर उठने लगे हैं सवाल कौन है इसके दोषी कब होगी कार्रवाई। आखिरकार ज्यादा शिक्षकों का परीक्षा ड्यूटी में कैसे प्रति नियोजन कर दिया जाता है अगर ज्यादा शिक्षकों की आवश्यकता नहीं होती है तो भी परीक्षा ड्यूटी के नाम पर शिक्षकों का प्रति नियोजित करने का खेल बदस्तूर चलता रहता है । 

जब भी शिक्षक के अनुपात में एक शिक्षक की लगी ड्यूटी जहां 2550 शिक्षक को इनविजीलेटर के पद पर नियुक्त किया गया था वही 5% अधिक शिक्षकों को भी रिजर्व में रखा गया था तो फिर कैसे बिना 201 शिक्षक के मैट्रिक की परीक्षा हो गई। परीक्षा ड्यूटी में लगाए गए शिक्षक तब फंस गए जिला शिक्षा पदाधिकारी शर्मिला ने 21 फरवरी को जिले के 5 परीक्षा केंद्र का जायजा लिया जहां पर 201 शिक्षक गायब पाए गए इसी को लेकर, सीताराम राय प्लस टू विद्यालय में 17 बीएसएस प्लस टू स्कूल हरपुर,  32 बीएसएस कॉलेजिएट प्लस टू स्कूल में 37 एबीएस कॉलेज खम्हार में 53 बीपी उच्च विद्यालय में 62 शिक्षक परीक्षा ड्यूटी से गायब पाए गए।

अब सवाल उठता है कि इतने शिक्षकों के अनुपस्थित के परीक्षा का संचालन कैसे हुआ? और परीक्षा केंद्र के केंद्राधीक्षक ने इसकी जानकारी जिला शिक्षा पदाधिकारी को क्यों नहीं दिया? इसी तरह के कई सवाल उठने लगे हैं क्या शिक्षा विभाग और केंद्राधीक्षक के बीच में कौन बिचौलिए हैं जो इस तरह का कार्य कर रहे थे फिलहाल गायब 201 शिक्षकों के वेतन स्थगित करते हुए स्पष्टीकरण मांगा गया है तो वहीं पांचो केंद्राधीक्षक से भी स्पष्टीकरण की मांग की गई है, बताते चले कि मैट्रिक परीक्षा के दौरान जिले के पांच परीक्षा केंद्र के  केंद्राधीक्षक समेत 201 वीक्षकों के वेतन पर डीईओ  शर्मिला राय ने अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी। साथ ही, केंद्राधीक्षक से शोकॉज भी किया है। डीईओ ने 21 फरवरी को मैट्रिक परीक्षा के दौरान स्कूलों का निरीक्षण किया था। डीईओ ने केंद्राधीक्षक को गायब शिक्षकों से शोकॉज प्राप्त कर अपना भी स्पष्टीकरण उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

 ज्ञात हो कि तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनीकांत परवीन के समय परीक्षा ड्यूटी में लगाए जाने वाले शिक्षकों का रेडमाइजेशन प्रणाली को अपनाया गया था लेकिन इसके बावजूद इस धंधे को फलने फूलने के कार्य में सहयोग करने वाले शिक्षक या जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय के एक दो कर्मचारी की मिलीभगत से शिक्षकों का प्रति नियोजन करवा दिया जाता है।  2021 परीक्षा के मामले में ही योजना लेखा में कार्यरत लिपिक किशोर मिश्रा निगरानी के हत्थे चढ़े थे उसमें भी की उपस्थिति और अनुपस्थिति का मामला ही तूल पकड़ा था जिसमें मैनेज के नाम पर राशि की लेनदेन की बात सामने आई थी जिसके कारण निगरानी के द्वारा कार्रवाई की गई वहीं सूत्रों की माने तो इस धंधे में एक दो कर्मी जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में संलिप्त है आखिरकार इन कर्मचारी के ऊपर किनका हाथ है या फिर यू कहे की जाल बिछायेंगे दाना डालेंगे कबूतर फंसेगा वाली कहानी हो गई।

 

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