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गाजा में संघर्ष विराम प्रस्ताव पर भारत के हिस्सा न लेने पर क्यों केंद्र सरकार पर भड़कीं प्रियंका गांधी? प्रियंका ने इसलिए कहा- शर्मसार हूं

गाजा में संघर्ष विराम प्रस्ताव पर भारत के हिस्सा न लेने पर क्यों केंद्र सरकार पर भड़कीं प्रियंका गांधी? प्रियंका ने इसलिए कहा- शर्मसार हूं

सुरक्षा परिषद के कई असफल प्रयासों के बाद  संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस्राइल-हमास संघर्ष पर रोक लगाने के आह्वान का प्रस्ताव पारित कर दिया, पक्ष में 120 और विरोध में 14 वोट पड़े,अनुपस्थित देशों की संख्या 45 थी।अमेरिका, इस्राइल, ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, फिजी, ग्वाटेमाला, हंगरी, मार्शल द्वीप, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पापुआ न्यू गिनी, पैराग्वे और टोंगा ने जॉर्डन द्वारा पेश प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष सत्र में गाजा में मानवीय आधार पर संघर्षविराम के लिए पेश प्रस्ताव को भारी बहुमत से अपनाया गया। हालांकि, भारत, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी समेत 45 देशों ने मतदान से खुद को अलग रखा। ग्यारह सदस्यीय ब्रिक्स प्लस समूह में भारत एकमात्र ऐसा देश रहा, जिसने मतदान में भाग नहीं लिया। जो फलस्तीन के मुद्दे पर अमेरिका और इस्राइल के अलगाव को दर्शाता है। सरकार की तरफ से आधिकारिक स्पष्टीकरण था कि भारत चाहता है कि प्रस्ताव के पाठ में हमास का विशेष रूप से उल्लेख किया जाए। लेकिन यह स्पष्ट है कि फलस्तीनी लोग एक बड़ी त्रासदी झेल रहे हैं। इस महीने उनके आठ हजार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और बीस लाख जीवन के लिये संघर्ष कर रहे हैं। निस्संदेह, वे सभी हमास का प्रतिनिधित्व नहीं करते। अमेरिका व उसके साझेदारों का सीधे विरोध न करने की भारत की नीति के निहितार्थ हैं। जिसके मूल में अपने व्यापार का विस्तार, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी की खरीद तथा चीन के दबाव का मुकाबला करने के लिये पश्चिमी देशों की मदद लेने की रणनीति ही है। लेकिन ध्यान रहे कि धीरे-धीरे गाजा का संकट घातक दौर की ओर बढ़ रहा है। 

संयुक्त राष्ट्र महासभा में जॉर्डन द्वारा रखे गये युद्धविराम के प्रस्ताव से भारत के अनुपस्थित रहने ने कई सवालों को जन्म दिया है। इसमें दो राय नहीं कि दुनिया के लिये किसी भी तरह का आतंकवाद घातक ही होता है। आतंकवाद की कोई सीमा, राष्ट्रीयता व धर्म नहीं होता। भारत ने दशकों तक आतंकवाद का दंश झेला है। अब चाहे पंजाब हो, कश्मीर हो या पूर्वोत्तर। गाजा में नागरिकों की जीवन रक्षा भी होनी चाहिए। उनके मानवीय अधिकारों की रक्षा हो तथा लाखों लोगों तक मानवीय मदद पहुंचना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। भारत दुनिया का ऐसा देश रहा है जिसने सदैव युद्ध का विरोध किया है। हमास के आतंकी मंसूबों का पुरजोर विरोध होना ही चाहिए।

यूएनऔ में भारत के रुख पर राजनीति तेज हो गई है.इसपर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भारत के इस रुख पर बड़ी हैरानी जताते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि वह भारत के इस रुख पर शर्मिंदा हैं.धी ने कहा कि गाजा में सात हजार लोगों की हत्या के बाद भी हिंसा का दौर थमा नहीं है। इन मरने वालों में से तीन हजार मासूम बच्चे थे। उन्होंने कहा कि इस युद्ध में कोई ऐसा अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं, जिसे कुचला न गया हो। कोई ऐसी मर्यादा नहीं, जिसे तार-तार न किया गया हो। कोई ऐसा कायदा नहीं, जिसकी धज्जियां न उड़ी हों। आगे कहा कि लोगों की सामूहिक चेतना आखिर और कितनी जानें जाने के बाद जागेगी या ऐसी कोई चेतना अब बची ही नहीं? 

इस्राइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और नागरिकों की जान की क्षति पर चिंतित भारत ने संयुक्त राष्ट्र में दोनों पक्षों से तनाव कम करने, हिंसा से दूर रहने का आग्रह किया है।भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि, योजना पटेल ने कहा, हमारी संवेदनाएं बंधक बनाए गए लोगों के साथ भी हैं. हम उनकी तत्काल और बिना शर्त रिहाई का आह्वान करते हैं।पटेल ने कहा कि भारत बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और जारी संघर्ष में नागरिकों की मौत होने से बेहद चिंतित है. उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा इजराइल-फलस्तीन मुद्दे पर बातचीत के जरिए दो-देश समाधान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा, इसके लिए, हम सभी पक्षों से आग्रह करते हैं कि वे तनाव कम करें, हिंसा से बचें और शांति वार्ता को जल्द से जल्द फिर से शुरू करने की दिशा में काम करें।

  

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