क्यों जरुरी है प्लास्टिक पर रोक ? हमें प्लास्टिक की इतनी लत क्यों पड़ गई है? हम कैसे बढ़ रहे हैं मौत की तरफ, जानिए इसकी इनसाइड स्टोरी

जीवन को सुविधाजनक बनाने के लिए जब प्लास्टिक का आविष्कार हुआ था तब किसी ने सपने में नहीं सोचा होगा कि यही प्लास्टिक आज मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बन जाएगा.से इस पाबंदी पर भी शर्तें लागू हैं. मगर, आज प्लास्टिक को दुनिया में इंसानियत ही नहीं हर तरह के जीव के लिए दुश्मन के तौर पर देखा जाता है. सुबह उठकर ब्रश करने से लेकर दिनभर के कई कामों में हम तरह-तरह से प्लास्टिक इस्तेमाल करते हैं. सब्जियों की थैली से लेकर चाय पीने तक के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है, पानी पीने की बोतल,  प्लास्टिक फेस मास्क, टी बैग्स, वेट टिश्यू, वाशिंग पाउडर, घर में रंगने के लिए इस्तेमाल होने वाले कलर और कई कॉस्मेटिक प्रोडक्ट में भी प्लास्टिक का प्रयोग किया जाता है. ऐसा माइक्रोप्लास्टिक होता है जो आपके दिमाग तक भी पहुंच जाता है,  प्लास्टिक से हमारे शरीर को कई नुकसान होते हैं, रेड ब्लड सेल्स के बाहरी हिस्से से चिपक जाते हैं और ऑक्सीजन फ्लो को पूरी तरह बाधित कर सकते हैं, जिससे शरीर के टिश्यू में ऑक्सीजन में कमी आ सकती है.  इसके अलावा इससे इम्यून सिस्टम पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है.  यह धीरे-धीरे आपके शरीर को कमजोर बना सकता है और आपकी प्रोडक्टिविटी प्रभावित होती है.

 यह गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए भी हानिकारक हो सकता है. इसके अलावा यह फेफड़ों, हार्ट, ब्रेन, डाइजेस्टिव सिस्टम को प्रभावित करता है.प्रदूषण के कारण शरीर में माइक्रोप्लास्टिक के कण मिलने के प्रमाण तो पहले सामने आ चुके हैं, लेकिन अब यह खतरा दिल तक पहुंच गया है.

पिछले दिनों अमेरिका में सर्जरी के पहले और बाद में लिए गए दिल के ऊतकों यानी टिश्यू के नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक के कण मिलने की पुष्टि हुई है. इन सबको ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने इसे पूर्ण प्रतिबंधित तो कर दिया है लेकिन इसके प्रयोग को रोकनें में सफल नहीं हो पा रही है.

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 टिकाऊ होना प्लास्टिक की खूबी थी, लेकिन अब वही इससे खतरे का कारण बन गया है. प्लास्टिक नष्ट नहीं होता है.प्लास्टिक के इस कदर बढ़े इस्तेमाल की सबसे बड़ी वजह है कि इसे बहुत कम लागत में तैयार किया जा सकता है. जैसे कि कांच की बोतल, प्लास्टिक की बोतल से काफ़ी महंगी पड़ती है. फिर उसे लाने-ले जाने में भी बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है. जबकि प्लास्टिक को आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है. ये हल्का होता है.

आज से पचास साल पहले प्लास्टिक की क्रांति आने से पहले, ज़्यादातर पेय पदार्थ कांच की बोतलों में बिकते थे. आज की तारीख़ में कमोबेश हर पेय पदार्थ प्लास्टिक में पैक होकर बिकता है.  लंबे समय तक मिट्टी या पानी में पड़े रहने पर भी प्लास्टिक गलता नहीं है. इस कारण प्लास्टिक कचरा संकट बनता जा रहा है. जल स्रोतों में फेंके जाने वाले प्लास्टिक कचरे के कारण पानी के माध्यम से लोगों के शरीर में माइक्रोप्लास्टिक के कण पहुंचने लगे हैं. साथ ही हवा के रास्ते भी शरीर में माइक्रोप्लास्टिक पहुंचने लगे हैं. शरीर में माइक्रोप्लास्टिक के कण कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं. खून में और पेट में तो  माइक्रोप्लास्टिक के कण मिलने की बातें आम हो गई हैं.

प्लास्टिक हमारी सेहत के लिये हानिकारक है, प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने में ही अपना और मानवता की भलाई है,सरकार ने प्रतिबंध भी लगाए हैं लेकिन इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है. अग स्वस्थ रहना है तो प्लास्टिक से दूर रहना ही होगा. नहीं तो इसका इस्तेमाल कर हम रोज ंौत की तरफ एक कदम बढ़ा रहै हैं.