बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

मधेपुरा लोकसभा सीट क्यों है खास, कौन कौन उतर सकतें हैं लोकसभा चुनाव में इस बार, जदयू के ये दो नेता हैं आमने सामने, जानें सभी सवालों के जवाब एक क्लिक में...

मधेपुरा लोकसभा सीट क्यों है खास, कौन कौन उतर सकतें हैं लोकसभा चुनाव में इस बार, जदयू के ये दो नेता हैं आमने सामने, जानें सभी सवालों के जवाब एक क्लिक में...

MADHYEPURA: लोकसभा चुनाव होने में अब कुछ ही समय बचा है। वहीं लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीति में बड़ी उलट-फेर हुई है। सीएम नीतीश ने महागठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए का दामन थाम लिया है। वहीं बिहार में जदयू और बीजेपी के गठबंधन से लोकसभा में सीटों के बंटवारा को लेकर भी पेंच फंस सकता है। बिहार में कई ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं, जहां सीटों को लेकर गठबंधन के नेता आपस में भीड़ रहे हैं। वहीं कई जगह तो जदयू के नेता ही लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए आमने सामने हैं। इसी कड़ी में हम आज लोकसभा सीट मधेपुरा को लेकर बात करेंगे। जहां जदयू के ही उम्मीदवारों के बीच सीट बंटवारा को लेकर माथापच्ची हो सकती है। दरअसल, जदयू के दो उम्मीदवार मधेपुरा सीट पर अपना अपना दावा कर रहे हैं। वर्तमान में यह सीट जदयू के पाले में ही है। जदयू के दिनेश चंद्र यादव फिलहाल मधेपुरा के सांसद हैं।

शांतनु यादव लड़ सकते हैं चुनाव 

जानकारी अनुसार मधेपुरा सीट के लिए जदयू से दो उम्मीदवार आमने सामने हैं। एक तो वर्तमान सांसद दिनेश चंद्र यादव और दूसरे वी पी मंडल के पौत्र निखिल मंडल हैं। वहीं राजद के ओर से भी इस सीट पर बड़े नेता का दावा है। मालूम हो कि मधेपुरा सीट को दिवंगत शरद यादव की विरासत के तौर पर देखा जाता है। शरद यादव ने लंबे समय तक मेधपुरा का प्रतिनिधित्व किया था। साल 1991, 1996, 1999 और 2009 में शरद ने लोकसभा में मधेपुरा का प्रतिनिधित्व किया था। वहीं 2019 में शरद जदयू के दिनेश चंद्र यादव के हाथों पराजित हुए थे। वहीं माना जा रहा है कि इस सीट पर उनके बेटे शांतनु यादव चुनाव लड़ने का दावा कर सकते हैं। शांतनु यादव राजद के टिकट पर यहां मैदान में उतर सकते हैं। 

शरद यादव को ने लालू यादव से किया था बात

कथित तौर पर कहा जाता है कि, दिवगंत शरद यादव ने अपनी आखिरी समय में राजद सुप्रीमो लालू यादव से बात की थी। तब लालू यादव ने उन्हें विश्वास दिलाया था कि वह उनके पुत्र को मधेपूरा के कैंडिटेड बनाएंगे। ऐसे माना जा रहा है कि अपने वादे को पूरा करते हुए लालू यादव लोकसभा चुनाव 2024 में शांतनु यादव को मैदान में उतार सकते हैं। अभी मधेपुरा लोकसभा सीट जदयू के पास है। कभी शरद के शिष्य रहे दिनेशचंद्र यादव यहां से जदयू के सांसद हैं।

जदयू के दो उम्मीदवार आमने-सामने

वहीं जदयू की बात करें तो जदयू के दो उम्मीदवार इस सीट पर अपनी दावेदारी कर सकते हैं। माना जा रहा है कि इस बार जदयू मधेपुरा से वीपी मंडल के पौत्र निखिल मंडल को मैदान में उतारने के फिराक में है। माना जा रहा है कि दिनेश चंद्र यादव का यहां से पत्ता कट सकता है। बता दें कि निखिल मंडल  मंडल कमीशन के चेयरमैन और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री वी.पी मंडल के पौत्र हैं। जदयू के ओर से इस बार लोकसभा चुनाव में निखिल मंडल को ही मधेपुरा सीट से अपने उम्मीदवार के तौर पर उतरा सकती है। जदयू के उम्मीदवार बदलने का एक ओर वजह यहां लोगों का वर्तमान सांसद के प्रति आक्रोश भी है। दिनेश चंद्र यादव का अपने क्षेत्र के विकास में भागीदारी शून्य है। वह 5 सालों में पहली बार कर्पूरी चर्चा के दौरान संगठन की बैठक में शामिल हुए थे. सांसद के बारे में कहा जाता है कि अपने क्षेत्र के किसी गांव में शायद हीं 5 साल में दूसरी बार गए हों। जिससे आम लोगों ने उनका भरपूर  विरोध किया था। मधेपुरा में बाढ़ के कारण भी लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यहां भी उनका दौरा नहीं हीं हुआ है. लोगों को कहना है कि उनके सांसद उनके लिए कोई कार्य नहीं करते हैं। यही वजह है मधेपुरा सीट को बचाने के लिए जदयू यहां से निखिल मंडल को मैदान में उतार सकती है। 

सांसद की पत्नी को चुनाव में मिला था करारी हार 

मधेपुरा के लोगों का सांसद के प्रति आक्रोश नगर निकाय चुनाव में ही देखने को मिल गया था। नगर निकाय चुनाव में मधेपुरा लोकसभा के वर्तमान जेडीयू सांसद और कोशी क्षेत्र के कद्दावर नेता दिनेशचंद्र यादव की पत्नी महापौर रेणु सिन्हा तीसरे स्थान पर रहीं। उन्हें 9962 मत प्राप्त हुए। इस चुनाव में सांसद की पत्नी को हार का समाना करना पड़ा था। वहीं इस चुनाव में पत्नी को जीत दिलाने के लिए मधेपुरा सांसद दिनेशचंद्र यादव ने डोर-टू-डोर खुद से चुनाव में प्रचार किया था। वे गली-गली एक-एक मोहल्ले में जाकर मतदाताओं से मिले। इतना ही नहीं...चुनाव प्रचार-प्रसार के अंतिम दिन सांसद ने खुद रोड शो में शामिल होकर पूरी ताकत झोंक दी और अपनी पत्नी रेणु सिन्हा के पक्ष में वोट डालने के लिए मतदाताओं से अपील की। इसके बावजूद उन्हें सहरसा नगर निगम के चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा। वहीं वर्तमान में भी दिखा जाए तो वहां की जनता में वर्तमान सांसद से अधिक निखिल मंडल की मांग है। सर्वे को दिखे तो जनता की पहली पसंद निखिल मंडल ही हैं। 

यादव समाज का रहा है दबदबा

वहीं मधेपूरा लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो यह सिर्फ बिहार में ही नहीं पूरे देश में चर्चित लोकसभा सीट है। राष्ट्रीय राजनीति के बड़े और कद्दावर नेताओं ने यहां से चुनाव लड़ा है। राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, जन अधिकार पार्टी सुप्रीमो राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय शरद यादव, मंडल कमीशन के अध्यक्ष बिन्देश्वरी प्रसाद (बीपी) मंडल जैसे राजनीतिक धुरंधरों ने मधेपुरा लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया है। इस सीट के बारे में कहा जाता है कि सांसद चाहे किसी भी राजनीतिक दल का बने, लेकिन वह होगा यादव जाति से ही। 1967 से लेकर 2019 तक के सभी चुनावों में यहां से हर बार यादव उम्मीदवार ने ही जीत हासिल की है। मधेपूरा लोकसभा सीट पर हुए अब तक के 16 चुनाव परिणामों को देखें तो चार बार राष्ट्रीय जनता दल ने (1998, 2004, 2004 उप-चुनाव, 2014), तीन बार कांग्रेस ने (1971, 1980, 1984), तीन बार जनता दल ने (1989, 1991, 1996), तीन बार जनता दल यूनाइटेड ने (1999, 2009, 2019) और एक-एक बार संयूक्त सोशलिस्ट पार्टी ने (1967), भारतीय लोक दल ने (1977) तथा निर्दलीय उम्मीदवार ने (1968 उप-चुनाव) यहां से जीत हासिल की है। मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र हैं – मधेपुरा, सोनबर्षा, आलमनगर, सहरसा, बिहारीगंज और महिषी। सहरसा, सोनबर्षा और महिषी विधानसभा क्षेत्र सहरसा जिले के अंतर्गत आते हैं।

Suggested News