Bihar Politics: बिहार विधानसभा का चुनाव से पहले कांग्रेस को लगा बड़ा झटका! इस बाहुबली विधायक ने थामा AIMIM का हाथ
बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका, पूर्व विधायक तौसीफ आलम ने पार्टी छोड़ी और AIMIM का दामन थामा। सीमांचल में AIMIM की पकड़ और मजबूत हुई।

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले कांग्रेस पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है। बहादुरगंज विधानसभा सीट से चार बार विधायक रह चुके तौसीफ आलम ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM का दामन थाम लिया है। यह राजनीतिक कदम उस वक्त और भी अहम हो जाता है जब राज्य में चुनावी सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं और सीमांचल इलाकों में मुस्लिम वोट बैंक को लेकर राजनीतिक रणनीतियाँ बन रही हैं। तौसीफ आलम ने हैदराबाद में AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी और पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान की उपस्थिति में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।
तौसीफ आलम का सीमांचल में राजनीतिक प्रभाव
तौसीफ आलम बहादुरगंज विधानसभा सीट से चार बार जीत दर्ज कर चुके हैं और इस क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्हें AIMIM के ही उम्मीदवार अंजार नईमी से हार का सामना करना पड़ा था, जो बाद में आरजेडी में शामिल हो गए। इसके बाद से ही राजनीतिक हलकों में यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि तौसीफ आलम जल्द AIMIM में शामिल हो सकते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कांग्रेस सांसद डॉ. जावेद आजाद का खुले मंच से विरोध किया था, जिससे उनके AIMIM में शामिल होने की संभावना और प्रबल हो गई थी। अब उनके शामिल होने से AIMIM बहादुरगंज में नई उम्मीदें लगाए बैठी है और कयास है कि पार्टी उन्हें इसी सीट से टिकट दे सकती है।
AIMIM की रणनीति
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पहले ही यह साफ कर चुके हैं कि उनकी पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी और वह अकेले मैदान में उतरेगी। पार्टी ने विशेष रूप से सीमांचल क्षेत्र को अपना प्राथमिक लक्ष्य बनाया है, जहां मुस्लिम आबादी का बड़ा प्रतिशत है और AIMIM की पिछली चुनावों में ठीक-ठाक उपस्थिति रही है। तौसीफ आलम जैसे अनुभवी नेताओं का पार्टी में शामिल होना इस रणनीति को मजबूती देता है। सीमांचल में AIMIM अपनी पुरानी सीटें वापस पाने और नई सीटों पर दावेदारी को लेकर आक्रामक मुद्रा में है।
सीमांचल में मुस्लिम नेतृत्व संकट गहराया
तौसीफ आलम के AIMIM में जाने से कांग्रेस को सीमांचल में बड़ा राजनीतिक नुकसान हो सकता है। यह क्षेत्र पहले से ही कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है, और अब जब एक अनुभवी मुस्लिम नेता पार्टी छोड़कर विरोधी खेमे में चला गया है, तो कांग्रेस की अल्पसंख्यक नीति और नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पार्टी पहले से ही राज्य में नेतृत्व के संकट से जूझ रही है, और यह घटनाक्रम उसके लिए गंभीर चेतावनी है। यह घटना अन्य संभावित असंतुष्ट नेताओं को भी AIMIM या अन्य दलों की ओर रुख करने के लिए प्रेरित कर सकती है।