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बागेश्वर बाबा को लेकर क्यों हो रहा है विवाद, बिहार के सियासी दलों में मचे घमासान से किसे होगा फायदा

बागेश्वर बाबा को लेकर क्यों हो रहा है विवाद, बिहार के सियासी दलों में मचे घमासान से किसे होगा फायदा

पटना. बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पटना के निकट नौबतपुर में हनुमंत कथा करने आ रहे हैं. लेकिन, उनका आगमन अब सियासी बयानबाजी का केंद्र बना हुआ है. एक ओर सत्ताधारी महागठबंधन में शामिल राजद के कई नेताओं ने धीरेंद्र शास्त्री के बिहार दौरे पर तीखी टिप्पणी की है. वहीं भाजपा के नेताओं ने खुलकर बागेश्वर बाबा का समर्थन किया है. एक धार्मिक कार्यक्रम के लिए आ रहे हैं बागेश्वर बाबा का यह दौरा अचानक से बिहार में सियासी तूफान खड़ा किए हुए है.

बागेश्वर बाबा को लेकर हो रहे विवाद में अचानक से राजद का कूदना सबको आश्चर्यचकित किए हुए है. दरअसल, धीरेंद्र शास्त्री के पटना दौरे पर बिहार सरकार में मंत्री व RJD नेता तेज प्रताप यादव ने 27 अप्रैल को एक बयान दिया था. इसमें उन्होंने कहा था कि अगर बागेश्वर बाबा हिंदू मुसलमान भाई को लड़वाने के लिए आ रहे हैं तो मैं उनका विरोध करूंगा, मैं उनका हवाई अड्डे पर घेराव करूंगा. अगर भाईचारे का संदेश देंगे कि हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई हम सब हैं भाई-भाई तो उनकी बिहार में एंट्री हो सकती है. 

तेज प्रताप के इस बयान के बाद कई अन्य राजद नेताओं ने भी इसी तर्ज पर बयान दिया. वहीं भाजपा को इसी बहाने एक मुद्दा महागठबंधन सरकार को घेरने को मिला. भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, अश्विनी चौबे, हरिभूषण ठाकुर बचौल सहित कई नेताओं बागेश्वर बाबा के समर्थन में बयान दिया. दोनों तरफ से चल रही बयानबाजी से बिहार के सियासी दलों में घमासान मचा हुआ है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि इससे किसका फायदा होगा. 

दरअसल, बागेश्वर बाबा से जुड़े विवाद की शुरुआत इसी साल नागपुर से हुई. धीरेंद्र शास्त्री पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगा. अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति ने कहा कि जब बागेश्चर धाम सरकार को चमत्कार साबित करने के लिए चुनौती दी गई है तो कथा बीच में ही छोड़कर वह चले गए. हालांकि रायपुर के कार्यक्रम में पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने उन्हें चुनौती देने वालों को ललकारा. उन्होंने अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति को रायपुर आने को कहा और मीडिया तथा भीड़ के सामने ही चमत्कार करने की बात कही. इस दौरान उनके कई ऐसे बयान आए जो सियासी तौर पर दक्षिणपंथी और शेष धरों के बीच सियासी समर्थन और विरोध का कारण बना. 

इन सबके बीच अब बागेश्वर बाबा का पटना आगमन भी सियासी विवाद में उलझा हुआ हुई. राजनीतिक दल इसी बहाने अपने अपने कोर वोट बैंक को साधने की जुगत में लगे हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो बागेश्वर बाबा का कार्यक्रम गैर सियासी है. लेकिन राजनीतिक दल ऐसे कार्यक्रम को लेकर बयानबाजी कर अपनी राह बनाना चाहते हैं. ऐसे में महत्वपूर्ण यह होगा कि बागेश्वर बाबा अब अपने आगमन के दौरान हनुमंत कथा में क्या कहते हैं. ऐसे में भी महागठबंध में राजद से उलट जदयू के नेताओं ने उनके आगमन पर चुप्पी साध रखी है. जदयू के नेताओं ने उनके आगमन का स्वागत ही किया है. इससे साफ है कि जदयू नहीं चाहती कि बागेश्वर बाबा के बहाने जो दल सियासी फायदा लेना चाहते हैं उनके किसी तरह का मौका मिले. 


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