पटना. किसानों को जीवन में सुधार लाने के केंद्र सरकार के दावों के बीच मंगलवार को देश के हजारों किसान दिल्ली कूच कर गए. किसान आंदोलन को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए केंद्र सरकार ने भी पूरी तैयारी की है. किसानों को पंजाब-हरियाणा शंभू सीमा पर तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी। लेकिन करीब छह महीने का राशन बांधकर दिल्ली में डेरा डालने निकले किसानों का मानना है कि अगर उनकी 7 मांगों को सरकार मान तो इससे देश के करोड़ों किसानों का जीवन सुखमय हो जाएगा. इतना ही नहीं किसानी से जुड़े खेतिहर मजदूर भी सम्मानजनक जीवन जी पाएंगे. किसानों की सात मांगों में सबसे प्रमुख मांग है सभी फसलों के MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करना.
MSP कानून देगा बड़ा फायदा : केंद्र सरकार ने करीब 24 फसलों पर एमएसपी लागू कर रखी है. लेकिन अन्य फसलें हैं जो अभी एमएसपी के दायरे से बाहर हैं. साथ ही एमएसपी गांरटी कानून की मांग भी की जा रही है. इसके पीछे मुख्य कारण कृषि लागत और मूल्य आयोग यानी सीएसीपी फसल के लिए एमएसपी दर की सिफारिश सरकार से करता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार उसे लागू ही करेगी. यानी सरकार पर सीएपीसी की सिफारिशों को मानने की बाध्यता नहीं है. किसानों को डर है कि सरकार कभी भी फसल की एमएसपी दर घटा या बढ़ा सकती है या हटा भी सकती है. ऐसे में एमएसपी गारंटी कानून आने पर सरकार फसल की कीमत तय करने के लिए बाध्य होगी. कानून बनने से एमएसपी को वैध बनाया जा सकेगा और किसानों को तय एमएसपी रेट पर फसल का दाम मिल सकेगा. चाहे बाजार में दाम का कितना भी उतार चढ़ाव हो. इससे किसानों का नुकसान नहीं होगा और उनकी कर्ज पर निर्भरता भी कम होगी.
स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट: किसानों के हित में दशकों पूर्व ही स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट आई थी लेकिन आज तक उसे लागू नहीं किया गया है. किसान अपनी प्रमुख मांग में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग कर रहे हैं. इस रिपोर्ट में किसानों को 50 प्रतिशत रिटर्न की गारंटी देने के लिए एमएसपी को सी2+50 के फॉर्मूले पर तय करने की बात है। इसमें पूंजी की इनपुट लागत और भूमि किराया शामिल है। अगर यह तय होता है तो इससे किसानों को बड़े स्तर पर अपनी खेती और फसल के लिए अच्छी कीमत मिलने लगेगी.
बिजली (संशोधन) विधेयक वापस : देश के कुछ राज्यों में बिजली (संशोधन) विधेयक है. इससे किसानों को खेती में खपत होने वाली बिजली पर सामान्य बिजली दर की तरह ही बिल भुगतान करना होता है. यह किसानों के लिए बड़ी आर्थिक मार रहती है. इसमें बिजली दरों के नियमित बदलाव होने से किसानों को कई बार भारी नुकसान उठाना पड़ता है. किसानों का कहना है कि देश स्तर पर खेती के लिए न्यूनतम दर पर बिजली उपलब्ध कराई जाए. साथ ही खेती वाले इलाके में बिजली कटौती नहीं हो.
प्रदूषण एक्ट से मुक्ति : पिछले वर्षों के दौरान खेती को प्रदूषण एक्ट में शामिल कर कई तरह की पाबंदियां लगाई गई है. इससे अलग अलग क्षेत्रों में परम्परागत खेती के तरीकों को बड़ा झटका लगा है. वहीं किसनों के खिलाफ प्रदूषण एक्ट में मामले भी दर्ज हो जाते हैं. किसानों की मांग है कि खेती को को प्रदूषण एक्ट से अलग किया जाए।
मनरेगा को न्यूनतम 200 दिन : MNREGA के तहत काम के दिन को बढ़ाकर 200 किया जाए यह मांग भी किसानों की लम्बे समय से है. साथ ही मनरेगा के मजदूरों का फायदा खेती से जुड़े किसानों को मिले इसे लेकर कई प्रकार के प्रस्ताव पूर्व में दिए गए थे.
किसान पेंशन : सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार के कर्मियों को 60 वर्ष के बाद अलग अलग स्कीम में पेंशन देने का प्रावधान है. वहीं किसानों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. बुजुर्ग किसानों को अपनी दैनिक जरूरत पूरी करने के लिए भी भारी परेशानी झेलनी पडती है. किसानों की मांग है कि किसानों और खेत में मजदूरी करने वालों को 60 साल से अधिक उम्र होने पर 10 हजार रुपए प्रति माह पेंशन दिया जाए।
केस वापसी की मांग : पिछली बार जब किसान आंदोलन हुआ था तब लखीमपुर खीरी मामले में किसान समूहों के खिलाफ दर्ज केस किया गया था. उस दौरान बड़े स्तर पर किसानों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया था. साथ ही उनके खिलाफ केस भी किए गए. किसान उन केसों को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं.