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सरोगसी से जन्में बच्चों की देखभाल के लिए महिला कर्मियों को मिलेगा मातृत्व अवकाश, केंद्र ने बदला 50 साल पुराना कानून

सरोगसी से जन्में बच्चों की देखभाल के लिए महिला कर्मियों को मिलेगा मातृत्व अवकाश, केंद्र ने बदला 50 साल पुराना कानून

NEW DELHI : भारत में  महिला कर्मियों को मातृत्व अवकाश देने का नियम है। अब पांच दशक इस पुराने कानून में केंद्र सरकार ने बड़ा संशोधन कर दिया है। जहां इस कानून से अब तक उन्हीं महिलाओं को अवकाश का लाभ मिलता था, जो बच्चे को खुद जन्म देती हैं. वहीं अब संशोधन के बाद सरोगसी से जन्मे बच्चों के लिए मातृत्व अवकाश दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने इसके लिए केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियमावली, 1972 में बदलाव किया है। नए संशोधन में बच्चों के पिता को भी 15 दिन का पितृत्व अवकाश दिया जाएगा।

सरोगेसी केस में अवकाश का नहीं था प्रावधान

बता दें कि अभी तक सरोगेसी के जरिए बच्चे के जन्म की सूरत में सरकारी महिला कर्मियों को मातृत्व अवकाश देने के लिए कोई नियम नहीं था. इन नियमों को 18 जून को अधिसूचित किया गया. इसमें कहा गया है कि सरोगेसी की दशा में, मां, जिसके दो से कम जीवित बच्चे हैं, उसे शिशु देखभाल अवकाश दिया जा सकता है. मौजूदा नियमों से किसी महिला सरकारी सेवक और एकल पुरुष सरकारी सेवक को दो सबसे बड़े जीवित बच्चों की देखभाल के लिए जैसे कि शिक्षा, बीमारी और इसी तरह की जरूरत होने पर पूरे सेवाकाल के दौरान अधिकतम 730 दिन का शिशु देखभाल अवकाश (चाइल्ड केयर लीव) दिया जा सकता है।

संशोधित नियम में क्या है खास

कार्मिक मंत्रालय द्वारा अधिसूचित संशोधित नियमों में कहा गया है, सरोगेसी की दशा में, सरोगेट के साथ ही मां को, जिसके दो से कम जीवित बच्चे हैं, एक अथवा दोनों के सरकारी सेवक होने की स्थिति में 180 दिन का मातृत्व अवकाश दिया जा सकता है। नए नियमों में कहा गया है, सरोगेसी के माध्यम से बच्चा होने के मामले में पिता, जो सरकारी सेवक है, जिसके दो से कम जीवित बच्चे हैं, उसे बच्चे के जन्म की तारीख से छह माह के भीतर 15 दिन का पितृत्व अवकाश दिया जा सकता है।


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