वाह नीतीश बाबू वाह..! जहरीली शराब से मरा भी 'गरीब' और नौकरी भी जाएगी 'गरीब' की ? ASI-चौकीदार को 'सस्पेंड' करने पर भड़के RCP सिंह

PATNA:  मोतिहारी में जहरीली शराब से पिछले दो दिनों में दो दर्जन लोगों की मौत हो गई है. जहरीली शराब से हुई मौत के बाद ड्राई प्रदेश बिहार की पोल फिर से खुल गई है. शराबबंदी लागू हुए छह साल से अधिक हो गए, लेकिन आज तक पूर्ण शराबबंदी लागू करने में नीतीश सरकार पूरी तरह से विफल साबित हुई है. जहरीली शराब से जब भी लोगों की मौत होती है तब सरकार चौकीदार-दफादार और छोटे पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर कार्रवाई करने की खानापूर्ति करती है. मोतिहारी में जहरीली शराबकांड के बाद भी एएसआई और चौकीदारों को सस्पेंड किया गया है. नीतीश सरकार की इस पर कार्रवाई पर उनके पुराने सहयोगी व जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने मुख्यमंत्री को कटघरे में खड़ा किया है.

‘समरथ को नहीं दोष गोसाईं

आरसीपी सिंह ने सोशल मीडिया पर नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने लिखा है..मोतिहारी ज़हरीली शराबकाण्ड-ASI और चौकीदार निलम्बित ! नीतीश बाबू क्या शानदार मानक है आपका, ज़िम्मेदारी निर्धारण करने का, मान गए ! प्रदेश में शराबबंदी की नीति आपने बनाई और सस्पेंड कर रहे हैं बेचारे ASI और चौकीदार को। मरा भी गरीब और नौकरी भी जाएगी गरीब की ! गोस्वामी तुलसीदास जी ने बालकाण्ड में ठीक ही लिखा है -‘समरथ को नहीं दोष गोसाईं’। 

क्या आपने कभी गौर किया है नीतीश बाबू ?  

आप प्रदेश के मुखिया हैं, राज्य के सारे आर्थिक एवं मानव संसाधन आपके अधीन है। पुलिस,आवकारी और ख़ुफ़िया तंत्र के सर्वे सर्वा आप स्वयं हैं। सभी विभागों के वरीय पदाधिकारी गण अपने-अपने विभागों की प्रगति/ समस्याओं से आपको समय समय पर अवगत कराते रहते हैं। फिर भी ज़हरीली शराब पीने से गरीब  मर रहे हैं। समाचार पत्रों में छपी खबरों से ऐसा लगता है कि शराब के अवैध कारोबार को रोकने के लिए आपने सैंकड़ों- करोड़ों रुपए का बजट दिया है। पूरे पुलिस विभाग को आपने इसी काम में लगा दिया है। शिक्षकों तक को आपने इस अभियान से जोड़ रखा है। इन सबके बावजूद भी शराबबंदी की आपकी नीति क्यों सफल नहीं हो पा रही है , इस पर आपने कभी गौर किया है नीतीश बाबू ?  

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गैसल रेल दुर्घटना में आपने क्यों इस्तीफा दिया था..क्या आप ड्राईवर-सिग्नलमैन थे या स्टेशन मास्टर ?

आरसीपी सिंह आगे लिखते हैं. खान-पान व्यक्ति का निजी मामला होता है। खान -पान को क़ानून के ज़रिए नहीं बदला जा सकता है । लोहिया जी भी कहा करते थे कि खान-पान निजता (personal) से जुड़ा हुआ है , इसे क़ानून के दायरे में नहीं लाना चाहिए। क़ानून के बदले लोगों को जागृत कर खान-पान के गुणों और अवगुणों से अवगत कराया जा सकता है। मुझे तो ऐसा ही लगता है नीतीश बाबू, बाकी आप समझें । जब आपने बिहार में अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू की थी , समस्त बिहार वासियों ने इसका समर्थन मानव श्रृंखला बना कर किया था। परंतु क्या हुआ ? कुछ ही महीनों के बाद शराबबंदी के बावजूद बिहार के कोने कोने में शराब का अवैध धंधा फूलने फलने लगा और आप हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। नीतीश बाबू  ,मैंने कल भी लिखा था और आज पुनः कह रहा हूँ कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरह से फेल है। आप इसे prestige का मुद्दा न बनाइए एवं सच्चाई से रूबरू होइए। समय निकलता जा रहा है तथा शराबबंदी के चलते बिहार को न सिर्फ़ आर्थिक नुक़सान हो रहा है , ग़रीबों की जान भी जा रही है तथा प्रदेश के बाहर बिहार की बदनामी भी हो रही है, इस पर सोचिए । याद करिए नीतीश बाबू, NDA सरकार में आप रेल मंत्री थे ,गैसल में भयंकर रेल दुर्घटना हुई थी एवं कई सौ यात्रियों की मौत हुई थी। उस समय आपने क्या किया था, याद है न ? गैसल दुर्घटना की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए आपने केंद्रीय मंत्री के पद से न सिर्फ़ इस्तीफ़ा दिया था बल्कि ज़िद कर उसे स्वीकार भी कराया था।क्या आप उस ट्रेन के चालक थे , सिग्नलमैन थे , स्टेशन मास्टर थे, नहीं न । फिर भी आपने इस्तीफ़ा क्यों दिया था? उस समय आपका ज़मीर बचा हुआ था और राजनीति में नैतिक मूल्यों के प्रति आपकी श्रद्धा थी और इसलिए आपने इस्तीफ़ा देकर राजनीति में शुचिता का मानक स्थापित किया था । कैसा मोमेंट था ! 

अब भी समय है नीतीश जी. सोचिए कि कैसे बिहार के युवाओं, किसानों ,मज़दूरों को बिहार में रोज़गार के अवसर मिलें।उन्हें देश के विभिन्न कोनों में रोज़गार खोजने के लिए  दर-दर की ठोकरें न खानी पड़ें, इस पर काम करिए। बिहार और बिहारी सम्मान का कद्र करिए !  भारतवर्ष ज़िंदाबाद ! भारतवासी ज़िंदाबाद ! बिहार ज़िंदाबाद ! बिहारी ज़िंदाबाद !