बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते…महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पास, पक्ष में 454 और विरोध में पड़े 2 वोट, आज राज्यसभा में होगी चर्चा

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते…महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पास, पक्ष में 454 और विरोध में पड़े 2 वोट, आज राज्यसभा में होगी चर्चा

यह संयोग ही है कि नई संसद का आगाज देश की नारी शक्ति को उसके दशकों से लंबित हक देने से हुआ है.नारी शक्ति वंदन विधेयक को चर्चा के बाद लोकसभा में पास कर दिया गया. लोकसभा और विधानसभाओं में तैंतीस फीसदी आरक्षण को मंजूरी दी गई. निस्संदेह, इसका देश-दुनिया में सकारात्मक संदेश जाएगा कि हम महिलाओं को उनके वाजिब हक देने को प्रतिबद्ध हैं. इस कदम से भारतीय लोकतंत्र में महिलाओं की सशक्त भूमिका होगी.यह प्रयास आम महिलाओं के सशक्तीकरण की राह भी खोलेगा.करीब तीन दशक से अटके महिला आरक्षण बिल को मूर्त रूप देने का नैतिक साहस राजग सरकार ने दिखाय. इससे लोकसभा में मौजूद 14 फीसदी और राज्यसभा में 12 फीसदी महिलाओं की स्थिति में अब सम्मानजक ढंग से इजाफा होगा.अब गुरुवार यानी 21 सितंबर को ये बिल राज्यसभा  में पेश किया जाएगा. 

वोटिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लोकसभा में मौजूद रहे. विधेयक के पक्ष में 454 वोट पड़े जबकि दो खिलाफ में गए. हालांकि, उनके कुछ सवाल भी थे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जल्द से जल्द परिसीमन और जनगणना के बाद इसे लागू किया जाएगा. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह हमारे लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं हैं. इस दौरान जातीय जनगणना का भी मुद्दा उठा और साथ ही साथ ओबीसी में भी महिला आरक्षण का भी मुद्दा उठा.केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत की सनातन संस्कृति के अनुरूप ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता:’ को देश के लोकतंत्र में चरितार्थ करके दिखाया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सेना से लेकर सार्वजनिक जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ‘इस निर्णय से देश की नारी शक्ति को सही मायने में उनका अधिकार प्राप्त होगा.’ भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष वनथी श्रीनिवासन ने कहा, ‘महिला सशक्तीकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम,पीएम का हार्दिक आभार.

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने महिला आरक्षण विधेयक को ‘अपना विधेयक’ बताने के कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी के दावे पर परोक्ष निशाना साधते हुए बुधवार को लोकसभा में कहा कि कुछ लोग इस विधेयक को ‘अपना’ बताकर श्रेय लेने का प्रयास कर रहे हैं. भाजपा नेता ईरानी ने महिला आरक्षण से संबंधित संविधान 128वां संशोधन विधेयक 2023 पर निचले सदन में चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि विपक्ष देशवासियों को भ्रमित करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष का नाम लिये बिना कहा कि सदन में कहा गया कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने 2010 में विधेयक पेश किया था.

सोनिया गांधी ने कहा कि ये मेरी जिंदगी का मार्मिक क्षण है, पहली बार स्थानीय निकायों में स्त्री की भागीदारी तय करने वाला संविधान संशोधन मेरे जीवन साथी राजीव गांधी ही लेकर आए थे. बाद में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में कांग्रेस ने उसे पारित कराया था. राजीव गांधी का सपना अभी तक आधा ही पूरा हुआ है, इस बिल के पारित होने के साथ वह पूरा होगा. कांग्रेस पार्टी इस बिल का समर्थन करती है. कांग्रेस की मांग है कि यह बिल तुरंत लागू किया जाए और इसके साथ ही जातीय जनगणना भी कराई जाए.  

एनडीए सरकार ने इस बिल का नाम नारी शक्ति वंदन अधिनियम रखा है.  जनप्रतिनिधि संस्थाओं में महिला आरक्षण की व्यवस्था होना भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास में एक बड़ी घटना होगी. जिनके विरोध के चलते ही महिला आरक्षण बिल को पांच बार पारित करने की असफल कोशिश हो चुकी है. इस समय दुनिया में लोकतांत्रिक संस्थाओं में महिलाओं की औसतन हिस्सेदारी 26 फीसदी है, जबकि वर्तमान में भारत में यह प्रतिशत 15.21 है. वहीं राज्य विधानसभाओं में स्थिति और ज्यादा खराब है, किसी भी राज्य में 15 फीसदी महिलाओं की भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में भागीदारी नहीं बन पायी.

वैसे तो देश के लोकतांत्रिक इतिहास में महिला जनप्रतिनिधियों की विशिष्ट भूमिका रही है। जिन्होंने न केवल सदन की गरिमा बनाने में बड़ी भूमिका निभाई, बल्कि अनेक महत्वपूर्ण निर्णयों में रचनात्मक योगदान भी दिया। देश की संसद के दोनों सदनों में पिछले साढ़े सात दशकों में करीब छह सौ महिला जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति रही. इसे भारतीय लोकतंत्र की शुभ शुरुआत कहा जा सकता है

विपक्ष की कई पार्टियों ने मंगलवार को महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक पर कई सवाल उठाए. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘चुनावी जुमलों के इस मौसम में यह सभी जुमलों में सबसे बड़ा है! करोड़ों भारतीय महिलाओं और युवतियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा धोखा है. जैसा कि हमने पहले बताया था, मोदी सरकार ने अभी तक 2021 की दशकीय जनगणना नहीं कराई है, जिससे भारत जी20 में एकमात्र देश बन गया है जो जनगणना कराने में विफल रहा है. उनका कहना है कि विधेयक में यह भी कहा गया है कि आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके पश्चात परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही प्रभावी होगा. क्या 2024 चुनाव से पहले होगी जनगणना और परिसीमन?’ कांग्रेस नेता ने आरोप लगाते हुए कहा कि मूल रूप से यह विधेयक अपने कार्यान्वयन की तारीख के बहुत अस्पष्ट वादे के साथ आज सुर्खियों में है। यह कुछ और नहीं, बल्कि ईवीएम-इवेंट मैनेजमेंट है.आम आदमी पार्टी  की नेता आतिशी ने कहा कि हम मांग करते हैं कि परिसीमन और जनगणना के प्रावधानों को हटाया जाए और साल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए महिला आरक्षण लागू किया जाए.

 सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए. इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (पीडीए) की महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए.  बसपा की अध्यक्ष मायावती ने कहा, ‘मैंने अपनी पार्टी की ओर से कई बार संसद में कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को उनकी आबादी को ध्यान में रखते हुए 33 प्रतिशत की जगह 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए. सरकार को इस बारे में विचार करना चाहिए.

तो वहीं जदयू के महासचिव और प्रवक्ता राजीव रंजन ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लाया गया महिला आरक्षण विधेयक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत सरकार द्वारा बहुत पहले महिलाओं को दिए गए आरक्षण से प्रेरित है. रंजन ने एक बयान में कहा कि महिला आरक्षण विधेयक लाकर केंद्र सरकार ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि बिहार आज जो करता है, कल पूरा देश उसे अपनाता है. 

जदयू ने कहा कि नारीशक्ति वंदन विधेयक को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सरकार का ‘जुमला’ करार देते हुए बुधवार को लोकसभा में कहा कि यह विधेयक कुछ और नहीं, बल्कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ पर ‘पैनिक रिएक्शन’ है. राजीव रंजन सिंह ने  कहा कि हमारी पार्टी विधेयक का समर्थन करती है, क्योंकि हम महिला सशक्तीकरण में विश्वास रखते हैं, लेकिन यह सरकार का 2024 का चुनावी जुमला है. 

Suggested News