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Navratri: ब्रह्मांड की रचयिता हैं मां कूष्मांडा, इनकी पूजा से मिलता है आरोग्य और समृद्धि

Kushmanda

Navratri: नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, और चौथे दिन मां कूष्मांडा की आराधना की जाती है। मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की रचयिता के रूप में जाना जाता है, जिनके तेज से संसार का निर्माण हुआ। उनकी आराधना करने से भक्तों के जीवन से रोग और शोक समाप्त हो जाते हैं। मान्यता है कि माता कूष्मांडा के आशीर्वाद से व्यक्ति को धन-धान्य, वैभव, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। मां कूष्मांडा को अष्टभुजा धारी देवी के रूप में माना जाता है, जिनके हाथों में कमल, धनुष, बाण, अमृतकलश, कमंडलु, चक्र और गदा सुशोभित रहते हैं। उनके एक हाथ में जपमाला होती है, जो सिद्धियों और निधियों को प्रदान करने वाली मानी जाती है। मां कूष्मांडा का वाहन सिंह है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।


ब्रह्मांड की रचयिता हैं मां कूष्मांडा

मां कूष्मांडा की उत्पत्ति के बारे में पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि जब सृष्टि में चारों ओर अंधकार था, तब देवी ने अपने मुस्कान से संसार की रचना की। उनके उदर से ब्रह्मांड का निर्माण हुआ, इसलिए उन्हें 'कूष्मांडा' कहा गया। संस्कृत में 'कूष्म' का अर्थ होता है कुम्हड़ा (एक प्रकार की सब्जी) और 'अंड' का मतलब अंडाणु या ब्रह्मांड। अतः देवी का नाम कूष्मांडा रखा गया, जो जीवन और जगत की उत्पत्ति का प्रतीक है।


भक्तों के जीवन से रोग और शोक को करती हैं दूर

मां कूष्मांडा की उपासना से न केवल भौतिक सुख-संपदा मिलती है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी सुधरता है। उनकी आराधना से शरीर के अनाहत चक्र को जागृत किया जा सकता है, जो शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित करता है। इस चक्र के जागृत होने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, दीर्घायु, यश और बल की प्राप्ति होती है। जो भी भक्त सच्चे मन से मां कूष्मांडा की पूजा करता है, उसके जीवन से समस्त रोग, शोक और कष्ट समाप्त हो जाते हैं। कहा जाता है कि मां कूष्मांडा के आशीर्वाद से व्यक्ति को असाध्य बीमारियों से मुक्ति मिलती है। जो लोग मानसिक तनाव, भय, अवसाद या शारीरिक रोगों से ग्रसित होते हैं, उन्हें देवी की उपासना से अद्भुत शांति और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। उनके आशीर्वाद से नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।


इस मंत्र का करें जाप 

मां कूष्मांडा की पूजा में श्रद्धालु को लाल या नारंगी वस्त्र धारण करना चाहिए। देवी के समक्ष दीप प्रज्वलित करें और उन्हें पुष्प, फल और नैवेद्य अर्पित करें। कुम्हड़े (कद्दू) का भोग माता को विशेष प्रिय है, इसलिए इसे अवश्य अर्पित करना चाहिए। कूष्मांडा मंत्र “ॐ कूष्माण्डायै नमः।” का जाप करने से उनकी कृपा शीघ्र प्राप्त होती है. इस मंत्र के नियमित जाप से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। मां कूष्मांडा की उपासना से परिवार में खुशहाली आती है और हर प्रकार की बुरी शक्तियों का नाश होता है।

मां कूष्मांडा की पूजा से भक्तों को आयु, यश, बल, आरोग्य और हर प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। वे संसार के समस्त रोग और शोक को दूर करने वाली देवी मानी जाती हैं। जो भी व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास से मां कूष्मांडा की उपासना करता है, उसके जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं रहता। नवरात्रि के इस विशेष दिन पर मां कूष्मांडा की आराधना से हमें अपने जीवन को बेहतर और सुखमय बनाने का अवसर प्राप्त होता है।

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