Pasteurised Milk: दूध पीने से पहले उसे उबालना भारतीय घरों में एक पुरानी और सांस्कृतिक आदत रही है, खासकर जब बात कच्चे दूध की हो। हालांकि, आजकल पाश्चुरीकृत दूध बाजार में उपलब्ध है और इसे उबालने की ज़रूरत पर कई लोग सवाल उठाते हैं।
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि भारत में दूध उबालना एक पुरानी परंपरा है। पहले, दूध स्थानीय डेयरी किसानों से आता था, और उसमें बैक्टीरिया या सूक्ष्मजीव हो सकते थे, जो उबालने से मर जाते थे। इसके अलावा भारत की ट्रोपिकल जलवायु और कई क्षेत्रों में कोल्ड स्टोरेज की कमी भी उबालने की आवश्यकता को बढ़ाती थी।
दूध को उबालने से क्या होता है?
जब दूध को 100°C से अधिक तापमान पर उबाला जाता है, तो इसमें मौजूद हानिकारक जीवाणु जैसे साल्मोनेला और क्लोस्ट्रीडियम नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही, दूध में अन्य बदलाव भी होते हैं। प्रोटीन विकृत हो जाते हैं, जिससे वे अधिक सुपाच्य हो जाते हैं। वसा अणु टूट जाते हैं, जिससे उनका घुलना आसान हो जाता है। लैक्टोज कारमेला इज़ होकर एक मीठा स्वाद देता है। उबालने से दूध की शेल्फ लाइफ भी बढ़ जाती है।
क्या पैकेटबंद दूध को उबालना चाहिए?
एक्सपर्ट्स के अनुसार, पाश्चुरीकृत दूध में हानिकारक बैक्टीरिया पहले से ही मारे जा चुके होते हैं, इसलिए इसे उबालना आवश्यक नहीं है। हालांकि, बहुत से लोग इसे उबालते हैं और इसके कुछ कारण हैं, जो इस प्रकार है। दूध में मिलावट की चिंताओं के कारण लोग इसे उबालना सुरक्षित मानते हैं। उबालने से दूध का स्वाद और बनावट बदल जाती है, जिसे कुछ लोग पसंद करते हैं। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि दूध को उबालने से इसमें मौजूद कुछ पोषक तत्व नष्ट हो सकते हैं, जैसे विटामिन C और B की मात्रा कम हो जाती है। प्रोटीन का denaturation होने से वे कम प्रभावी हो सकते हैं। इसलिए, उनका सुझाव है कि आप दूध को हल्का गर्म करें, मध्यम आंच पर 4-5 मिनट में दूध पर्याप्त गर्म हो जाता है और पोषक तत्व भी बरकरार रहते हैं।