UP NEWS: भाईचारा कमेटी को फिर एक्टिव करेगी बसपा, युवाओं को मिलेगी खास तवज्जो

UP NEWS: भाईचारा कमेटी को फिर एक्टिव करेगी बसपा, युवाओं को म

लखनऊ: दो दशक बाद अकेले दम पर बहुमत की सरकार बनाने के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती पार्टी संगठन को नए सिरे से मजबूत करने के लिए पुराने आजमाए हुए फार्मूले का उपयोग करने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं। वर्ष 2012 में सूबे की सत्ता गंवाने के बाद जिन भाईचारा कमेटियों का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया था, अब उन्हीं कमेटियों को फिर से स्थापित किया जा रहा है। इसके जरिए पार्टी पिछड़े वर्ग की बड़ी आबादी में अपनी पैठ बनाएगी।


युवाओं को मिलेगा विशेष ध्यान

बसपा प्रमुख मायावती का फोकस संगठन में युवाओं को विशेष महत्व देने पर है। इसके तहत पार्टी में सक्रिय रूप से युवा नेताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी, ताकि संगठन में ताजगी और नई ऊर्जा का संचार हो सके। साथ ही, पार्टी के वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को जिलों में सलाहकार के रूप में नियुक्त किया जाएगा, ताकि उनकी अनुभव का लाभ संगठन को मिल सके।


भतीजे आकाश और ससुर अशोक सिद्धार्थ को बाहर करने के बाद खुद संभाली कमान

मायावती ने पार्टी के अंदर बढ़ती गुटबाजी और असहमति के कारण अपने भतीजे आकाश आनंद और उसके ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर कर दिया है। इसके बाद, मायावती ने खुद पार्टी की पूरी कमान संभाली और संगठन को फिर से सशक्त बनाने का जिम्मा लिया है। इस निर्णय से यह स्पष्ट है कि वे अब पार्टी के नेतृत्व और भविष्य के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं।


भाईचारा कमेटियों का पुनर्गठन

पार्टी की रणनीति में एक अहम बदलाव यह है कि भाईचारा कमेटियों का पुनर्गठन किया जाएगा, जो पूर्व में पार्टी के लिए बेहद सफल साबित हुआ था। इन कमेटियों के माध्यम से, बसपा खासतौर पर दलितों और पिछड़े वर्ग के बीच अपनी पकड़ मजबूत करेगी। मंगलवार को मायावती ने पार्टी के प्रदेश मुख्यालय, माल एवेन्यू, में एक विशेष बैठक बुलाई थी, जिसमें 'बहुजन समाज' के विभिन्न अहम अंगों में आपसी भाईचारे को बढ़ावा देने और संगठन के जनाधार को बढ़ाने के लिए कार्यों की समीक्षा की गई।


पार्टी में सलाहकार पद की पुनः बहाली

बसपा में पार्टी संस्थापक कांशीराम के समय में जो सलाहकार पद हुआ करता था, उसे अब पुनः बहाल किया जा रहा है। जिले और मंडल स्तर पर बने कमेटियों में युवाओं को प्रमुख स्थान दिया जाएगा और जहां जिस पिछड़े वर्ग की जाति की आबादी ज्यादा होगी, वहां उसे अनुसूचित जाति के पदाधिकारियों के साथ रखा जाएगा। इस रणनीति से पार्टी का उद्देश्य समाज के विभिन्न हिस्सों में अपनी सक्रियता और प्रभाव बढ़ाना है।


संगठन को मजबूत करने की दिशा में आगे कदम

मायावती की इस नई रणनीति से यह स्पष्ट होता है कि वे पार्टी को मजबूती देने के लिए सभी संभावनाओं का इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं। भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों पर लगातार निशाना साधते हुए बसपा प्रमुख संगठन को बेहतर दिशा में ले जाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं।

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