UP Politicts: बीजेपी ने कसी कमर, सपा के PDA पर सीधा निशाना, मंत्रीमंडल विस्तार में सपा से निष्कासित पूजा पाल समेत पिछड़े-दलित नेताओं को मिलेगा मौका!

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। 2014 से लेकर 2024 तक कई बड़े चुनावों में लड़ाई लड़ चुके राजनीतिक दलों की अब नजर 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर टिकी है। इस चुनाव को लेकर सियासी रणनीति का खेल तेज हो गया है। खासकर बीजेपी, जो लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के लिए पूरे जोर-शोर से तैयारी में लग गई है।
लोकसभा 2024 में झटका खा चुकी बीजेपी अब संभलकर खेल रही है
हाल ही में हुए 2024 लोकसभा चुनाव में यूपी से बीजेपी को करारा झटका लगा। समाजवादी पार्टी के PDA (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) फॉर्मूले ने बीजेपी के मजबूत किले को हिला दिया। अब बीजेपी इसे हल्के में नहीं ले रही है और अगली विधानसभा की रणनीति उसी अनुभव के आधार पर तैयार कर रही है।
नवरात्र में हो सकता है योगी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार
योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला मंत्रिमंडल विस्तार लंबे समय से टलता रहा है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक अब यह विस्तार आगामी नवरात्र के शुभ दिनों में किया जा सकता है। यह विस्तार सिर्फ औपचारिकता नहीं होगा, बल्कि इसके जरिए जातीय और सामाजिक समीकरणों को साधने की बड़ी कोशिश की जाएगी।
पूजा पाल को मंत्री बनाकर सपा पर लगेगा बड़ा सियासी वार
इस मंत्रिमंडल विस्तार में सबसे चर्चित नाम है पूजा पाल का, जिन्हें हाल ही में समाजवादी पार्टी ने निष्कासित किया है। अब लगभग तय माना जा रहा है कि पूजा पाल बीजेपी में शामिल होकर मंत्री बनेंगी। उनके मंत्री बनने के पीछे कई सियासी फायदे छिपे हैं।
- पूजा पाल का संबंध अति पिछड़े वर्ग से है।
- उन्होंने सपा छोड़ने से पहले विधानसभा में अतीक अहमद के खिलाफ खुलकर बयान दिया।
- उन्होंने सीएम योगी की तारीफ कर बीजेपी के प्रति झुकाव जाहिर किया।
पूजा पाल की नई पारी: बसपा और सपा के बाद अब बीजेपी
पूजा पाल पिछले 20 सालों के राजनीतिक सफर में 13 साल बसपा और करीब साढ़े 6 साल सपा में रही हैं। अब बीजेपी में आने के बाद उन्हें महिला फायर ब्रांड नेता के रूप में प्रोजेक्ट किया जा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पूजा पाल के जरिए बीजेपी, समाजवादी पार्टी के PDA खासकर पिछड़े और दलित वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश करेगी।
बीजेपी की नई रणनीति: PDA में से P और D पर फोकस
साफ है कि बीजेपी अब PDA में से A यानी अल्पसंख्यक को छोड़कर, P (पिछड़ा) और D (दलित) वर्ग को अपने साथ जोड़ने की रणनीति बना चुकी है। लोकसभा चुनाव में यह वोट बैंक सपा के साथ चला गया था। अब बीजेपी की कोशिश है कि इस वर्ग को वापस अपने पाले में लाया जाए — और इसके लिए मंत्रिमंडल विस्तार का दांव खेला जा रहा है।
क्या है आगे की राह?
माना जा रहा है कि पूजा पाल को पार्टी में शामिल करने के बाद ही मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी। यह कदम न सिर्फ सपा को झटका देगा बल्कि बीजेपी को महिला नेतृत्व और ओबीसी प्रतिनिधित्व के रूप में एक नया चेहरा भी देगा। यही चेहरा 2027 के चुनाव में पार्टी के लिए उपयोगी साबित हो सकता है।