UP NEWS: तस्करी का नया तरीका, पेट से निकल रहा सोना पुलिस खिला चुकी 10 हजार के बिरयानी और केले, सोने के कैप्सूल के साथ 4 तस्कर गिरफ्तार

UP NEWS: तस्करी का नया तरीका, पेट से निकल रहा सोना पुलिस खिल

मुरादाबाद: रामपुर ज़िले के टांडा क्षेत्र से जुड़ा ये मामला जितना चौंकाने वाला है, उतना ही गंभीर भी। यहां दुबई और सऊदी अरब से पेट में सोना छिपाकर लाने वाले तस्करों का एक ऐसा संगठित रैकेट सामने आया है, जो कई सालों से पुलिस और जांच एजेंसियों की आँखों में धूल झोंकता आ रहा था। हाईटेक संसाधनों, चौकस एयरपोर्ट सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के बावजूद ये तस्कर हर बार बच निकलते थे। लेकिन इस बार मामला उस वक्त खुला, जब तस्करों को अपहरण कर लिया गया।


कैसे होता है सोने की तस्करी का ये खेल?

इस पूरे नेटवर्क की शुरुआत होती है फाइनेंसरों और एजेंटों से, जो टांडा के युवाओं को दुबई और सऊदी अरब भेजते हैं। वहां पहले से मौजूद गिरोह के सदस्य इन युवकों को सोने के कैप्सूल सौंपते हैं, जिन्हें ये युवक पेट के रास्ते निगल लेते हैं। ये कैप्सूल इतनी सफाई से निगले जाते हैं कि एयरपोर्ट की स्कैनिंग में पकड़ में नहीं आते। सफर के दौरान तस्कर कुछ नहीं खाते—सिर्फ जूस या फल लेते हैं ताकि कैप्सूल पेट में बिना नुकसान के टिके रहें। घर पहुँचने पर इन्हें कोल्ड ड्रिंक और बिरयानी दी जाती है, जिससे कैप्सूल बाहर आ सकें।


तस्करों की सफाई से भी सफाई से काम कर रहे थे अपहरणकर्ता

इस बार भी चार तस्कर दुबई और सऊदी से लौटे थे। दिल्ली एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही उन्होंने सावधानी बरती—न तो कोई टैक्सी की, न कोई होटल रुके, बल्कि सीधे दिल्ली से टांडा के लिए रवाना हो गए। उनके साथ टांडा निवासी कार चालक जुल्फेकार भी था। पर वे नहीं जानते थे कि कोई और उनके हर मूवमेंट पर नज़र रखे हुए है। दिल्ली से मुंबई और फिर दिल्ली होते हुए वे जितनी चालाकी से पुलिस की पकड़ से बचे, उतनी ही चालाकी से अपहरणकर्ताओं की निगरानी में फँस चुके थे।


जैसे ही उनकी कार मुरादाबाद के पास पहुँची, कुछ बदमाशों ने उन्हें रोक लिया। खुद को पुलिसकर्मी बताकर जांच के बहाने उन्हें अगवा कर लिया गया। इन्हें मुरादाबाद के मूंढापांडे क्षेत्र के एक फार्म हाउस में ले जाया गया, जहाँ इनसे सीधे कहा गया—"पेट में जो सोना है, वो निकालो, वरना पेट चीर देंगे।"


जुल्फेकार ने दिखाई बहादुरी, पुलिस को दी जानकारी

इस खौफनाक मंजर के बीच कार चालक जुल्फेकार किसी तरह जान बचाकर वहां से भाग निकला और तुरंत पुलिस को सूचना दी। उसके इस कदम से पुलिस सक्रिय हो गई और पूरी ताक़त के साथ अपहरणकर्ताओं की घेराबंदी कर दी। थोड़ी ही देर में अपहृत छह लोगों को छुड़ा लिया गया।


जांच के दौरान पुलिस को शक हुआ कि इनमें से कुछ लोगों के पेट में वाकई सोना है। जब इनका अल्ट्रासाउंड कराया गया, तो पुष्टि हुई कि चार लोगों के पेट में सोने के कैप्सूल मौजूद हैं। इसके बाद इन चारों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ डॉक्टरों की टीम ने ऑपरेशन कर के उनके पेट से कुल 27 कैप्सूल निकाले—कुल वजन 1.052 किलोग्राम।


अब भी बाकी हैं दो कैप्सूल, एक तस्कर रिमांड पर

चारों तस्करों में से एक तस्कर मुत्तलीब के पेट में अब भी दो कैप्सूल फंसे हुए हैं। उसे कोर्ट में पेश कर पुलिस रिमांड लिया गया और दोबारा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, ताकि बाकी बचे कैप्सूल निकाले जा सकें।


तस्करों के पीछे कौन है?

पुलिस ने इस केस में सिर्फ तस्करों को ही नहीं, बल्कि इस पूरे रैकेट को चलाने वाले नौ फाइनेंसरों और उनसे जुड़े डॉक्टरों को भी आरोपी बनाया है। ये फाइनेंसर ही दुबई भेजने, फ्लाइट टिकट, रहने, खाने और सोना निगलवाने तक की पूरी व्यवस्था करते थे। बदले में एक युवक को एक चक्कर का 20,000 रुपये मिलता था। कई युवकों को साल में आठ से दस बार भेजा जाता था।


पुलिस पर खर्च, लेकिन तस्करों की देखरेख में लगी पूरी टीम

पेट से सोना निकालने के लिए पुलिस को न सिर्फ सुरक्षा में बल लगाना पड़ा, बल्कि खर्चा भी उठाना पड़ा—फल, कोल्ड ड्रिंक और बिरयानी तक पुलिस ने उपलब्ध कराई ताकि कैप्सूल सुरक्षित निकल सकें। पुलिस का कहना है कि अभी जांच जारी है और इस गिरोह के अन्य सदस्यों की भी तलाश की जा रही है।


किसके पेट से कितना सोना निकाला यह भी जानिए

शाने आलम के पेट से तीन कैप्सूल, वजन- 113.71 ग्राम

मुत्तलीब के नेट से आठ कैप्सूल, वजन 311 ग्राम

अजहरुद्दीन के पेट से आठ कैप्सूल वजन 320.12 ग्राम

जुल्फेकार के पेट से आठ कैप्सूल वजन 311.72 ग्राम