LATEST NEWS

Mahakumbh 2025: आखिरी अमृत स्नान पर दिखा सनातन का भव्य रूप

Mahakumbh 2025: आखिरी अमृत स्नान पर दिखा सनातन का भव्य रूप

प्रयागराज: वसंत पंचमी के दिन संगम में आयोजित तीसरे अमृत स्नान के दौरान सनातन धर्म का विराट रूप पूरी श्रद्धा और भव्यता के साथ दिखाई दिया। संगम नगरी को महादेव और सियाराम के जयकारों से गूंजते हुए, सभी 13 अखाड़ों ने राजसी ठाठ-बाट के साथ अमृत स्नान किया। इस अवसर पर हजारों नागा संन्यासी त्रिशूल, गदा और तलवार लहराते हुए स्नान करने पहुंचे, जिससे यह दृश्य और भी अद्भुत बन गया।


अखाड़ों की भव्य उपस्थिति

अमृत स्नान के दिन अखाड़ों ने अपने पारंपरिक अनुष्ठानों को पूरी श्रद्धा से निभाया। सबसे पहले, तड़के करीब चार बजे श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा और श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा छावनी से निकले। इन अखाड़ों ने विधिपूर्वक ईष्ट देव की पूजा-अर्चना की। इसके बाद, नागा संन्यासियों ने शस्त्र प्रदर्शन करते हुए अखाड़े के दिव्य भाल और भगवान कपिल की पालकी को कंधों पर उठाया। आचार्य महामंडलेश्वर के नेतृत्व में, नागा संन्यासियों ने तलवार, गदा और त्रिशूल लहराते हुए संगम की ओर रुख किया।


नागा संन्यासियों का शौर्य प्रदर्शन

नागा संन्यासियों ने संगम घाट पर अपनी वीरता का प्रदर्शन करते हुए श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी करतबबाजी ने पूरे माहौल को और भी दिव्य बना दिया। अखाड़े के प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर और श्री महंत अपने शिष्यों के साथ रथों पर सवार होकर संगम तक पहुंचे।


अखाड़ों का वापसी की तैयारी

अमृत स्नान के बाद, अखाड़े अपने-अपने छावनियों में लौटने लगे। शैव अखाड़ों के संन्यासी काशी के लिए रवाना हुए, जबकि अन्य अखाड़े के संत अपने-अपने धार्मिक कार्यों को पूरा करके लौटे। वापसी के समय अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर और अन्य प्रमुख संतों ने गुरु महाराज के चरणों में भेंट अर्पित की।


विशेष पूजा और उत्सव

अमृत स्नान के बाद छावनी में धर्मध्वजा के नीचे पुकार हुई, जिससे सभी अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वर और प्रमुख संतों ने गुरु महाराज के चरणों में श्रद्धा अर्पित की। इसके बाद, अचला सप्तमी के अवसर पर विभिन्न अखाड़ों में कढ़ी पकौड़ी का आयोजन किया जाएगा।


शैव अखाड़ों का महत्व

अखाड़ों में देव भाल का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इन्हें अखाड़े की स्थापना से जुड़ा माना जाता है। इन देव भालों को बेहद सुरक्षा के साथ अखाड़े के मंदिर में रखा जाता है और इन्हें केवल वरिष्ठ नागा संन्यासी ही लेकर चल सकते हैं। कुंभ स्नान के दौरान, ये देव भाल आम श्रद्धालुओं के लिए प्रदर्शित किए जाते हैं, जो इस घटना को अद्वितीय और पवित्र बनाता है। इस आयोजन के साथ ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने काशी रवानगी से पहले नई कार्यकारिणी बनाने की घोषणा की है, और अष्टकौशल के नए महंतों का चुनाव भी मुहूर्त के अनुसार किया जाएगा।

Editor's Picks