Virginity Test: शादी से पहले चाची दूल्हे से बनाती है संबंध, वर्जिनिटी टेस्ट पास करने पर ही होता है विवाह, फेल होने पर मिलती ये सजा
Virginity Test: शादी के दिन दुल्हन की चाची दूल्हे की वर्जिनिटी का परीक्षण करती थीं!

Virginity Test: एक ऐसी परंपरा थी, जिसे सुनकर किसी के भी होश उड़ सकते हैं। सदियों से चली आ रही इस प्रथा के अनुसार, शादी के दिन दुल्हन की चाची दूल्हे की वर्जिनिटी का परीक्षण करती थीं! यह कोई साधारण रस्म नहीं थी, बल्कि इसके तहत चाची को दूल्हे के साथ शारीरिक संबंध बनाकर उसकी "शुद्धता" और "योग्यता" का प्रमाण देना होता था। शादी की खुशियाली के बीच, दूल्हे को इस अप्रत्याशित और निजी परीक्षा से गुजरना पड़ता था।
बान्यंकले जनजाति, खासकर इसके बहिमा समुदाय में, शादी से पहले दुल्हन और दूल्हे दोनों की शुद्धता की जाँच अनिवार्य थी। इस जिम्मेदारी को दुल्हन की चाची निभाती थी। पहले वह दुल्हन की वर्जिनिटी की जाँच करती थी, और फिर दूल्हे के साथ संबंध बनाकर उसकी "क्षमता" का आकलन करती थी। अगर दुल्हन इस टेस्ट में फेल हो जाती थी, तो उसे कठोर सजा का सामना करना पड़ता था—सामाजिक बहिष्कार से लेकर मृत्युदंड तक। दूल्हे के लिए भी यह टेस्ट आसान नहीं था, क्योंकि चाची का फैसला उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा को प्रभावित करता था। यह प्रथा समाज में शुद्धता के प्रति गहरी आस्था को उजागर करती थी।
बान्यंकले समाज में लड़कियों को बचपन से ही वैवाहिक जीवन के लिए तैयार किया जाता था। जैसे ही कोई लड़की 8 या 9 साल की होती थी, उसकी चाची उसे पत्नी की भूमिका के लिए प्रशिक्षित करना शुरू कर देती थी। इस दौरान लड़कियों पर सख्त नियम लागू होते थे, खासकर शादी से पहले किसी भी तरह के शारीरिक संबंध से बचने की पाबंदी। इस संस्कृति में वर्जिनिटी को अत्यधिक सम्मान दिया जाता था। अगर कोई लड़की इस नियम को तोड़ती थी, तो उसे समुदाय से बहिष्कार या यहाँ तक कि जान का खतरा हो सकता था। चाची न केवल उनकी शिक्षा की जिम्मेदार थी, बल्कि उनकी नैतिकता की पहरेदार भी थी।
बान्यंकले जनजाति में सुंदरता का मतलब आधुनिक दुनिया से बिल्कुल अलग था। यहाँ मोटापा को सुंदरता, समृद्धि और आकर्षण का प्रतीक माना जाता था। इसीलिए 8-9 साल की उम्र से ही लड़कियों को मोटा करने की प्रक्रिया शुरू हो जाती थी। उन्हें मांस, बाजरे का दलिया, और भारी मात्रा में दूध खाने के लिए मजबूर किया जाता था ताकि वे जल्दी वजन बढ़ाएँ और शादी के लिए "आदर्श" बन सकें। यह प्रथा न केवल उनकी शारीरिक बनावट को आकार देती थी, बल्कि समाज में उनकी स्वीकार्यता को भी बढ़ाती थी।
बान्यंकले जनजाति की उत्पत्ति 15वीं सदी के बंटू साम्राज्य "अंकोले" से हुई है। दक्षिण-पश्चिमी युगांडा में बसे यह घुमंत समुदाय अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक गहराई के लिए जाना जाता है। हालाँकि, उनकी कई प्रथाएँ, जैसे दूल्हे का वर्जिनिटी टेस्ट, अब इतिहास का हिस्सा बन चुकी हैं, लेकिन विवाह के दौरान आयोजित होने वाले भव्य भोज और उत्सव आज भी इस समुदाय की जीवंतता को दर्शाते हैं। बान्यंकले समाज की कहानियाँ और परंपराएँ आज भी दुनिया भर में कौतूहल का विषय बनी हुई हैं।