Pakistan News: पाकिस्तान में लोकतंत्र का गला घोंटा,सुप्रीम कोर्ट का चौंकाने वाला फैसला, अब आम नागरिकों पर भी मिलिट्री कोर्ट में चलेगा केस, मृत्युदंड तक की सजा संभव!
Pakistan News: भारत से जंग के बीच पाक सुप्रीम कोर्ट ने जनरल आसिम मुनीर को 'मौत का फरमान' जारी करने का अधिकार सौंपा!

Pakistan News: पाकिस्तान में एक बार फिर सैन्य ताकत ने लोकतंत्र को अपने लोहे के पंजों में जकड़ लिया है। भारत के साथ सीमा पर तनाव और युद्ध की आहट के बीच पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई, 2025 को एक ऐसा सनसनीखेज फैसला सुनाया है, जिसने देश के आम नागरिकों और विपक्षी नेताओं के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। इस फैसले ने कुख्यात सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को असीमित और खतरनाक ताकत दे दी है, जिससे वे किसी भी नागरिक को 'देशद्रोही' करार देकर मिलिट्री कोर्ट में घसीट सकते हैं, जहां सजा-ए-मौत तक का प्रावधान है। यह फैसला न केवल पाकिस्तान के लोकतांत्रिक ढांचे पर करारा प्रहार है, बल्कि इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई के समर्थकों के लिए भी 'काला दिन' साबित हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का यू-टर्न: पुराना फैसला पलटा, मिलिट्री कोर्ट को असीमित शक्ति
पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने अपने ताजा फैसले में अक्टूबर 2023 के उस निर्णय को पूरी तरह पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि मिलिट्री कोर्ट में आम नागरिकों पर मुकदमा चलाना असंवैधानिक है। सात जजों की संवैधानिक बेंच, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस अमीनुद्दीन खान ने की, ने 5-2 के बहुमत से यह फैसला सुनाया। इस फैसले ने पाकिस्तान आर्मी एक्ट को उसकी मूल शक्ल में बहाल कर दिया, जिसके तहत अब 9 मई, 2023 की हिंसक घटनाओं से जुड़े मामलों में आम नागरिकों पर मिलिट्री कोर्ट में मुकदमा चलाया जा सकेगा।
यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि 9 मई, 2023 को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की इस्लामाबाद हाई कोर्ट परिसर से गिरफ्तारी के बाद देशभर में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इन प्रदर्शनों में कथित तौर पर सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले हुए, जिसके लिए इमरान खान की पार्टी पीटीआई के समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया गया। पीटीआई का दावा है कि उनके करीब 1000 समर्थकों को बिना सबूत के गिरफ्तार किया गया और सैकड़ों को जेलों में डाल दिया गया। अब इस नए फैसले के बाद इन समर्थकों पर मिलिट्री कोर्ट में मुकदमा चल सकता है, जहां सजा के तौर पर मृत्युदंड तक की संभावना है।
जनरल आसिम मुनीर: पाकिस्तान के 'सर्वशक्तिमान' तानाशाह?
पाकिस्तान में जनरल आसिम मुनीर पहले ही राजनीतिक नेतृत्व पर भारी पड़ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि वे देश के वास्तविक शासक हैं, जो न केवल सैन्य बल्कि राजनीतिक और आर्थिक नीतियों को भी नियंत्रित करते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने उनकी ताकत को और बढ़ा दिया है। अब उनके पास यह अधिकार है कि वे किसी भी व्यक्ति को 'राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा' बताकर मिलिट्री कोर्ट में मुकदमा चलवा सकते हैं। यह स्थिति खासतौर पर इमरान खान और उनकी पार्टी के लिए बेहद खतरनाक है, क्योंकि खान और उनके समर्थक पहले ही सैन्य प्रतिष्ठान के निशाने पर हैं।
मुनीर की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने संसद के जरिए एक संशोधन पारित करवाकर सुप्रीम कोर्ट से इमरान खान के समर्थक जजों को हटवाया था। इसके अलावा, वे स्पेशल इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन काउंसिल के जरिए देश की अर्थव्यवस्था को भी नियंत्रित कर रहे हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उनके लिए एक और हथियार बन गया है, जिसका इस्तेमाल वे विपक्ष को कुचलने और अपनी सत्ता को और मजबूत करने के लिए कर सकते हैं।
भारत-पाक तनाव के बीच 'सुनियोजित' फैसला?
यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। अप्रैल 2022 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 25 पर्यटकों और एक स्थानीय व्यक्ति की मौत हुई थी, के बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया। इस ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हमले किए, जिसके जवाब में पाकिस्तान ने भी पलटवार किया। इस तनाव के बीच जनरल आसिम मुनीर ने कश्मीर को पाकिस्तान की 'जुगुलर वेन' (जीवन रेखा) करार देते हुए भारत को 'पूर्ण सैन्य शक्ति' से जवाब देने की धमकी दी थी।
ऐसे नाजुक समय में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला संदेह पैदा करता है। कई विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला जानबूझकर इस समय लिया गया, ताकि सेना और जनरल मुनीर के खिलाफ कोई भी आवाज उठाने वालों को 'देशद्रोही' करार देकर दबाया जा सके। भारत के साथ युद्ध की स्थिति में सेना के खिलाफ बोलना अब और भी खतरनाक हो गया है, क्योंकि इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ माना जा सकता है।
पाकिस्तान में लोकतंत्र पर मंडराता खतरा
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने पाकिस्तान में लोकतंत्र की बची-खुची उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया है। पहले ही जनरल मुनीर ने राजनीतिक दलों, प्रेस की आजादी और नागरिक अधिकारों पर कड़ा नियंत्रण लगा रखा है। अब मिलिट्री कोर्ट को दी गई यह ताकत आम नागरिकों के लिए खौफ का माहौल पैदा कर सकती है। एक्स पर कई यूजर्स ने इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे 'लोकतंत्र पर हमला' और 'डीप स्टेट की जीत' करार दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला न केवल इमरान खान और पीटीआई के लिए, बल्कि पूरे पाकिस्तान के लिए एक खतरनाक मोड़ है। जनरल आसिम मुनीर की बढ़ती ताकत और सैन्य शासन की वापसी की आशंका ने देश को एक बार फिर अंधेरे रास्ते पर धकेल दिया है। भारत के साथ युद्ध की स्थिति में यह फैसला पाकिस्तान की आंतरिक स्थिरता को और कमजोर कर सकता है, जिसका असर पूरे क्षेत्र पर पड़ सकता है।
क्या पाकिस्तान एक बार फिर सैन्य तानाशाही की ओर बढ़ रहा है? क्या जनरल आसिम मुनीर का यह 'मौत का फरमान' देश को गृहयुद्ध की कगार पर ले जाएगा? यह सवाल न केवल पाकिस्तान, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए चिंता का विषय है।