Munich Security Conference 2025: भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने हाल ही में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में इस विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज के समय में मतदान करने वाले लोगों की संख्या पिछले दशकों की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक है। उनका यह कहना था कि यदि कोई यह दावा करता है कि लोकतंत्र वैश्विक स्तर पर संकट में है, तो वह इससे असहमत हैं।भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में पश्चिमी देशों की लोकतंत्र के प्रति धारणा पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि पश्चिम अक्सर लोकतंत्र को अपनी विशेषता के रूप में ही देखता है। यह टिप्पणी उन्होंने 'लाइव टू वोट अनदर डे: फोर्टिफाइंग डेमोक्रेटिक रेजिलिएंस' विषय पर आयोजित पैनल चर्चा के दौरान की, जिसमें नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोरे, अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लोटकिन और वारसॉ के मेयर रफाल ट्रास्कोवस्की भी उपस्थित थे। जयशंकर ने इस विचार से असहमत होते हुए कहा कि लोकतंत्र वैश्विक स्तर पर संकट में नहीं है और उन्होंने भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को उजागर किया।
जयशंकर ने भारत के चुनावी प्रक्रिया का उदाहरण देते हुए बताया कि हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव में बड़ी संख्या में मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। उन्होंने कहा कि पिछले साल हुए राष्ट्रीय चुनावों में लगभग 70 करोड़ लोगों ने मतदान किया, जो कुल 90 करोड़ मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा है। इस प्रकार, उन्होंने भारतीय लोकतंत्र को जीवंत और सक्रिय बताया। जयशंकर ने पश्चिमी देशों की आलोचना करते हुए कहा कि वे लोकतंत्र को केवल एक पश्चिमी विशेषता मानते हैं। उनका यह भी कहना था कि विभिन्न देशों के लिए लोकतांत्रिक चुनौतियाँ अलग-अलग होती हैं, और सभी देशों की परिस्थितियाँ भिन्न होती हैं।
उन्होंने अपनी उंगली पर लगे मतदान के निशान को दिखाते हुए कहा कि यह उस व्यक्ति का प्रतीक है जिसने अभी-अभी मतदान किया है। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि वह लोकतंत्र के प्रति आशावादी हैं, लेकिन साथ ही स्वीकार किया कि लोकतंत्र के सामने कुछ चुनौतियाँ भी हैं।
इस प्रकार, डॉ. एस जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि लोकतंत्र खतरे में नहीं है, बल्कि भारत का लोकतंत्र मजबूत और सक्रिय है।