Pope Francis Death: पोप फ्रांसिस की मौत के बाद क्या होगा आगे? जानें वेटिकन से जुड़े नियम की हर छोटी-बड़ी बातें
पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। जानिए वेटिकन में पोप की मृत्यु के बाद की प्रक्रिया, अंतिम संस्कार और नए पोप के चयन की पूरी जानकारी।

Pope Francis Death News: दुनिया भर में 1.4 बिलियन से अधिक कैथोलिक अनुयायियों के धार्मिक प्रमुख पोप फ्रांसिस का निधन हो गया है। वे 88 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से आयु-संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे। उनका निधन एक लंबी बीमारी और अस्पताल में भर्ती रहने के बाद हुआ। उनके निधन के साथ ही कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च पद को भरने के लिए वेटिकन में विशेष और पारंपरिक प्रक्रिया की शुरुआत हो गई है।
पोप की मृत्यु के बाद वेटिकन की परंपरा
पोप की मृत्यु के तुरंत बाद, वेटिकन "इंटररेग्नम" या अंतराल अवधि में प्रवेश करता है। यह वह समय होता है जब वर्तमान पोप का कार्यकाल समाप्त हो चुका होता है और नए पोप का चुनाव नहीं हुआ होता।इस प्रक्रिया की शुरुआत कैमरलेंगो (वेटिकन के संपत्ति एवं राजस्व के प्रभारी अधिकारी) द्वारा होती है, जो पोप की मृत्यु की पुष्टि करते हैं। वह पोप के बपतिस्मा नाम को तीन बार पुकारते हैं और यदि कोई उत्तर नहीं मिलता है, तो मृत्यु की घोषणा करते हैं।
पोप के माथे पर चांदी के हथौड़े से हल्का प्रहार
पारंपरिक तौर पर पहले पोप के माथे पर चांदी के हथौड़े से हल्का प्रहार किया जाता था, लेकिन यह प्रथा अब समाप्त कर दी गई है। उसके बाद, कैमरलेंगो पोप के निजी कक्ष को बंद करता है और मछुआरे की अंगूठी तथा पोप की आधिकारिक मुहर को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू करता है, जो उनके कार्यकाल के अंत का प्रतीक होती है।
अंतिम संस्कार और नौ दिनों का शोक
पोप की मृत्यु के 4 से 6 दिनों के भीतर अंतिम संस्कार किया जाना आवश्यक होता है। यह प्रक्रिया वेटिकन की आधिकारिक व्यवस्था और यूनिवर्सी डोमिनिकी ग्रेगिस संविधान के अंतर्गत की जाती है।पोप का अंतिम संस्कार आमतौर पर सेंट पीटर बेसिलिका में किया जाता है, जब तक कि उन्होंने किसी अन्य स्थान पर दफनाने की इच्छा न जताई हो। इसके बाद, वेटिकन में नौ दिनों का सार्वजनिक शोक मनाया जाता है, जिसे "नोवेंडेल्स" कहा जाता है। इस अवधि में प्रार्थना सभाएं और विशेष धर्मग्रंथ पाठ किए जाते हैं।
नए पोप के चयन की प्रक्रिया
पोप की मृत्यु के 15 से 20 दिन बाद वेटिकन में कॉन्क्लेव (Conclave) नामक प्रक्रिया की शुरुआत होती है, जिसमें 80 वर्ष से कम आयु के सभी कैथोलिक कार्डिनल भाग लेते हैं। यह प्रक्रिया वेटिकन के सिस्टिन चैपल में होती है, जहां सभी कार्डिनल एकत्र होकर बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कट-ऑफ रहते हैं।कॉन्क्लेव के दौरान कोई भी कार्डिनल बाहर से संपर्क नहीं कर सकता — न मीडिया, न फोन, न इंटरनेट। वे गुप्त मतदान करते हैं और तब तक वोटिंग होती है जब तक किसी एक उम्मीदवार को दो-तिहाई बहुमत नहीं मिल जाता।
हर मतदान के बाद मतपत्रों को जलाया जाता है। यदि किसी उम्मीदवार का चयन नहीं होता, तो धुएँ का रंग काला होता है। यदि नया पोप चुन लिया जाता है, तो धुआँ सफेद होता है — यह संकेत देता है कि दुनिया को अब नया पोप मिल चुका है।
"हैबेमस पापम": हमार पास एक नया पोप है
नए पोप के चयन के बाद उनसे औपचारिक सहमति ली जाती है। यदि वे पद स्वीकार करते हैं, तो उन्हें एक पोप नाम चुनना होता है। यह नाम आमतौर पर किसी पूर्व संत या पोप से प्रेरित होता है।इसके बाद, वरिष्ठ कार्डिनल डीकन सेंट पीटर बेसिलिका की बालकनी पर आकर लैटिन में घोषणा करते हैं: "हैबेमस पापम" (हमारे पास एक पोप है)। इसके तुरंत बाद, नया पोप बालकनी में आकर दुनिया को अपना पहला आशीर्वाद देता है।