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थाईलैंड बना एशिया का तीसरा देश जिसने समलैंगिक विवाह को दी कानूनी मान्यता, जानें भारत समेत बाकी देशों की स्थिति

थाईलैंड ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी है, जिससे यह एशिया का तीसरा और दक्षिण पूर्व एशिया का पहला देश बन गया है। जानें, नए कानून के अधिकार और प्रभाव।

थाईलैंड बना एशिया का तीसरा देश जिसने समलैंगिक विवाह को दी कानूनी मान्यता, जानें भारत समेत बाकी देशों की स्थिति
थाईलैंड का यह ऐतिहासिक कदम- फोटो : social media

Thailand legalizes same sex marriage: 23 जनवरी 2025 को थाईलैंड ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देकर इतिहास रच दिया। यह देश अब दक्षिण पूर्व एशिया का पहला और पूरे एशिया का तीसरा देश बन गया है, जिसने LGBTQ+ समुदाय को यह अधिकार दिया है। इससे पहले नेपाल और ताइवान ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी थी।

कानून के लागू होने का असर और पहले दिन का जश्न

1. पहले दिन 300 कपल्स करेंगे शादी:

थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में गुरुवार को एक भव्य समारोह आयोजित किया गया।

300 LGBTQ+ कपल्स ने शादी करने के लिए औपचारिकताएं पूरी कीं।

विवाह के बाद उन्हें सभी कानूनी, वित्तीय और मेडिकल अधिकार मिलेंगे।

2. मैरिज इक्वालिटी एक्ट:

थाईलैंड की संसद ने सिविल और कॉमर्शियल कोड में संशोधन कर समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी।

‘हसबैंड और वाइफ’ के बजाय अब ‘इंडिविजुअल और मैरिज पार्टनर’ शब्दावली का उपयोग किया जाएगा।

LGBTQ+ कपल्स को सामान्य शादी के समान सभी अधिकार मिलेंगे, जैसे:

संपत्ति में साझा अधिकार।

मेडिकल और फाइनेंशियल फैसलों में समान भागीदारी।

LGBTQ+ समुदाय की 20 साल पुरानी मांग पूरी

1. संघर्ष का अंत:

LGBTQ+ समुदाय पिछले 20 सालों से समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग कर रहा था।

थाईलैंड के इस कदम को मैरिज इक्वालिटी के क्षेत्र में एक बड़ी जीत माना जा रहा है।

2. 18 साल से ऊपर हर व्यक्ति को अधिकार:

थाईलैंड में अब 18 साल या उससे अधिक उम्र के लोग सेम सेक्स में शादी कर सकते हैं।

दुनिया में समलैंगिक विवाह की स्थिति

1. कानूनी मान्यता वाले देश:

आज 31 देशों में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्राप्त है।अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम, कनाडा जैसे देशों में यह वैध है। थाईलैंड एशिया का तीसरा और दक्षिण पूर्व एशिया का पहला देश बन गया है।

2. बैन वाले देश:

कुछ देशों में समलैंगिक विवाह अपराध है और इसके लिए सजा का प्रावधान है। यमन, ईरान, नाइजीरिया, ब्रुनेई, कतर जैसे 13 देशों में समलैंगिक विवाह करने वालों को मौत की सजा तक दी जाती है।

3. अपराध नहीं, पर कानूनी मान्यता भी नहीं:

कुछ देशों ने समलैंगिकता को अपराध तो नहीं माना, लेकिन समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता भी नहीं दी है। भारत, चीन, रूस, ब्रिटेन, श्रीलंका जैसे देशों में यह स्थिति है।

भारत और समलैंगिक विवाह

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:भारत में सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। हालांकि, समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इंकार किया गया।


LGBTQ+ अधिकारों की स्थिति:=

भारत में LGBTQ+ समुदाय को अब भी विवाह, गोद लेने और संपत्ति में अधिकार जैसे मुद्दों पर कानूनी मान्यता नहीं मिली है।

थाईलैंड का LGBTQ+ के प्रति दृष्टिकोण

1. पर्यटन के लिए लोकप्रिय:थाईलैंड भारतीयों और वैश्विक LGBTQ+ समुदाय के लिए हमेशा एक लोकप्रिय ट्रैवल डेस्टिनेशन रहा है।

समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के बाद यह देश LGBTQ+ अधिकारों का एक आदर्श उदाहरण बन गया है।

2. सांस्कृतिक प्रभाव: थाईलैंड में LGBTQ+ समुदाय को सामाजिक रूप से व्यापक स्वीकृति मिली है।

इस नए कानून ने इसे और मजबूती दी है।

थाईलैंड का यह ऐतिहासिक कदम 

थाईलैंड का यह ऐतिहासिक कदम LGBTQ+ अधिकारों की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। मैरिज इक्वालिटी एक्ट ने न केवल थाईलैंड के LGBTQ+ समुदाय को समानता का अधिकार दिया है, बल्कि एशिया में समानता की एक नई लहर को भी प्रेरित किया है। इस कानून का लागू होना न केवल थाईलैंड के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह दुनिया के अन्य देशों के लिए एक प्रेरणा है कि वे LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों को स्वीकारें और उन्हें समानता प्रदान करें।

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