US Tariff: डोनाल्ड ट्रंप का चीन के खिलाफ पलटवार! टैरिफ बढ़कर किया 145 फीसदी, जानें ट्रेड वॉर से ग्लोबल इकोनॉमी पर क्या पड़ेगा असर
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 145% आयात कर लगाकर वैश्विक व्यापार को झटका दिया है। जानिए इसका अमेरिका, चीन और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर संभावित असर।

US Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चीन के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए चीनी सामानों पर 145% आयात शुल्क लगाने की घोषणा की है।यह फैसला ऐसे समय में आया है जब चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर 84% टैक्स लगाया था। व्हाइट हाउस की रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्णय ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत लिया गया है, जिसका मकसद अमेरिकी कंपनियों को घरेलू उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करना है।
यह कदम निश्चित तौर पर वैश्विक व्यापार युद्ध की दिशा में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है।कैबिनेट बैठक के दौरान ट्रंप ने साफ तौर पर कहा किहमें इस दौरान कुछ कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन अंत में इसका अच्छा नतीजा निकलेगा।ट्रंप पहले ही फेंटेनिल ड्रग तस्करी के आरोप में चीन पर 20% आयात कर लगा चुके हैं। बाद में इसे बढ़ाकर 125% किया गया था। अब इसे और बढ़ाकर 145% कर दिया गया है, जो कि अब तक का सबसे बड़ा टैरिफ माना जा रहा है।
कौन-कौन सी चीजें होंगी प्रभावित?
नई नीति के तहत चीन से आयातित सभी वस्तुओं पर 145% शुल्क लगेगा, जबकिएल्यूमिनियम, कारें और USMCA क्षेत्र के बाहर से आने वाले उत्पाद पर 25 फीसदी टैक्स, अन्य आयातित सामानों पर 10 फीसदी टैक्स लगा हुआ है। यह नीतियां अमेरिका में निर्माण, कृषि, तकनीकी और खुदरा क्षेत्र को सीधे प्रभावित कर सकती हैं।
विशेषज्ञों की चेतावनी: महंगाई और सप्लाई चेन पर संकट
वैश्विक अर्थव्यवस्था के जानकारों का मानना है कि इतना भारी टैरिफ से महंगाई बढ़ जाएगा, क्योंकि चीनी सामान सस्ते होते हैं और रोजमर्रा के जीवन में आम उपभोक्ताओं के लिए अहम हैं। वैश्विक सप्लाई चेन को बाधित हो सकते हैं। अमेरिकी कंपनियों को लागत बढ़ने के कारण उत्पादन में नुकसान हो सकता है।विशेषज्ञों का कहना है कि यह नीति लघु अवधि में राजनीतिक फायदा तो दे सकती है, लेकिन दीर्घकाल में व्यापारिक अस्थिरता का कारण बन सकती है।
ब्रिटेन और जापान ने जताया विरोध
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर और जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने आपसी बातचीत में इस बात पर सहमति जताई कि ट्रेड वॉर से किसी देश को लाभ नहीं मिलता। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाता है।”सिन्हुआ न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की यह नीति अंतरराष्ट्रीय व्यापार में नई अस्थिरता का कारण बन रही है।