Bihar Teacher News: DM ने किया ऐसा कि शिक्षा विभाग भी कह उठा वाह, अब DEO, DPO सहित तमाम अधिकारियों को करना होगा यह काम

Bihar Teacher News: बिहार में एक डीएम ने ऐसा काम किया है। जिसका शिक्षा विभाग भी सराहना कर रहा है। साथ ही शिक्षा विभाग के डीईओ, डीपीओ सहित तमाम अधिकारियों को भी अब इस काम को करना होगा। आइए जानते है क्या है पूरा मामला

DM Tanay Sultania
Bhojpur DM Tanay Sultania- फोटो : social media

Bihar Teacher News: बिहार के भोजपुर जिले में शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए जिलाधिकारी तनय सुल्तानिया ने एक अनूठी पहल की है। उन्होंने जिला शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे एक-एक स्कूल को गोद लें और उसकी देखरेख स्वयं करें। उनकी इस पहल की सराहना शिक्षा विभाग भी कर रहा है।

स्कूल को लें गोद

डीएम ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य जिले के सभी स्कूलों को आदर्श स्कूलों के रूप में विकसित करना है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को अपने गोद लिए हुए स्कूलों में भवन निर्माण, अतिरिक्त कक्षों का निर्माण, शौचालय निर्माण और अन्य आवश्यक सुविधाओं का विकास सुनिश्चित करना होगा। डीएम ने निर्देश दिया है कि सभी छोटे निर्माण कार्य दिसंबर तक और अतिरिक्त कक्षों का निर्माण फरवरी 2025 तक पूरा कर लिया जाए।

मेंटोर के रूप में अधिकारी

डीएम ने कहा कि अधिकारियों को अपने गोद लिए हुए स्कूलों में मेंटर की भूमिका निभानी होगी। उन्हें स्कूलों में बच्चों की जरूरतों, शिक्षकों की जरूरतों, बेंच-डेस्क, खाना आदि सभी पहलुओं पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को यह भी देखना होगा कि स्कूलों में और क्या सुधार किए जा सकते हैं।

बिहार सरकार की योजनाओं का लाभ

डीएम ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा स्कूलों के विकास के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। यदि अधिकारी भी इन योजनाओं का लाभ उठाते हुए अपने-अपने गोद लिए हुए स्कूलों पर ध्यान दें तो जिले के सभी स्कूलों का विकास किया जा सकता है।

अधिकारियों को दिया निर्देश

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (शिक्षा), प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय के कर्मचारी, जिला परियोजना प्रबंधक, प्रखंड परियोजना प्रबंधक और जिला शिक्षा पदाधिकारी सभी को यह निर्देश दिया गया है कि वे एक-एक स्कूल को गोद लें।

इस पहल से क्या होगा

इस पहल से भोजपुर जिले के स्कूलों में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। जैसे कि स्कूलों की भौतिक संरचना में सुधार होगा। बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी। शिक्षकों का मनोबल बढ़ेगा। शिक्षा के स्तर में सुधार होगा।

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