Bihar Politics: अपनी ही सरकार पर गरजे चिराग! तेजस्वी ने मौके को बनाया हथियार, बिहार में 'क्रिमिनल डिसऑर्डर' की रणभेरी! चुनावी समर से पहले इस कारण सत्ता में बगावत के बजे सुर?

Bihar Politics: सियासी बिसात पर मोहरे जल्दी-जल्दी पलट रहे हैं। सरकार के अपने ही साथी अब सवाल पूछ रहे हैं, और विपक्ष मौके की तलाश में कमर कस चुका है।

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चुनावी समर से पहले सत्ता में बगावत के सुर? - फोटो : social Media

Bihar Politics: बिहार की राजनीति में इन दिनों सियासी गर्मी कुछ ज़्यादा ही बढ़ गई है। कानून-व्यवस्था पर घमासान छिड़ चुका है और सत्ताधारी खेमे में ही बगावती सुर तेज़ हो गए हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्र सरकार में मंत्री चिराग पासवान ने जब बिहार की गिरती कानून व्यवस्था को लेकर सरकार पर सवाल उठाया, तो विपक्षी खेमा ही नहीं, सत्ता में बैठे उनके सहयोगी भी चौंक उठे।

चिराग ने साफ कहा कि बिहार में अपराध बेलगाम हो चुका है। न्याय का बोलबाला नहीं, अपराधियों का जलजला है। उनके इस बयान पर सबसे तीखी प्रतिक्रिया आई राजद नेता तेजस्वी यादव की ओर से। तेजस्वी ने तंज कसते हुए कहा कि “बिहार में लॉ एंड ऑर्डर नहीं, अब क्रिमिनल डिसऑर्डर है। अपराधी अब ‘विजय’ और ‘सम्राट’ कहलाते हैं। और जो चिराग पासवान आज सवाल उठा रहे हैं, वो भी उसी सरकार का हिस्सा हैं, जिसकी नीतियों ने बिहार को इस दलदल में धकेला है।”

इस बयान ने सियासी हलकों में भूचाल ला दिया है। चिराग के सियासी मंसूबों पर अब सवाल उठने लगे हैं कि  क्या ये चुनावी पैंतरा है या सचमुच गठबंधन में पड़ी दरार का पहला संकेत?

दूसरी ओर, मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने चुनाव आयोग की उस सूची को चुनौती दी है जिसमें आधार कार्ड और राशन कार्ड को मान्य दस्तावेज़ों में शामिल नहीं किया गया। ADR ने कहा कि ECI की सूची में शामिल 11 दस्तावेज़ भी फर्जी तरीकों से हासिल किए जा सकते हैं, जिससे चुनाव की पवित्रता पर सवाल उठता है।

सियासी संग्राम यहीं नहीं थमता। कांग्रेस ने तेजस्वी यादव के उस बयान पर भी चुटकी ली, जिसमें उन्होंने चुनाव बहिष्कार की धमकी दी थी। कांग्रेस ने कहा कि यह बयान चुनावी असमानता की पीड़ा को दर्शाता है। लेकिन कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह हर हाल में चुनाव के लिए तैयार है  हालांकि “सभी विकल्प खुले हैं।”

अब सवाल ये उठता है कि क्या चिराग पासवान का यह हमला नीतीश सरकार पर पहला और आख़िरी था या फिर चुनावी मौसम में NDA के अंदर ही कोई गुप्त खेल चल रहा है?

बहरहास बिहार में इस बार सियासी बिसात पर मोहरे जल्दी-जल्दी पलट रहे हैं। सरकार के अपने ही साथी अब सवाल पूछ रहे हैं, और विपक्ष मौके की तलाश में कमर कस चुका है। सियासत की शतरंज में अब राजा कौन होगा और प्यादा कौन, इसका फैसला जल्द ही मतदाता की उँगली करेगी  बटन दबाकर, सत्ता हिला कर!