फाइलों में अटकी हैं 1850 करोड़ की विकास योजनाएं, कब खत्म होगा भागलपुर के लोगों का इंतजार?

भागलपुर के विकास के लिए लोगों को काफी इटजार केना पड़ रहा है. कई ऐसी परियोजनाएं हैं, जिन्हें तीन साल पहले मंजूरी मिल जानी चाहिए थी पर वो अब तक फ़ाइलों में अटकी हैं.

फाइलों में अटकी हैं 1850 करोड़ की विकास योजनाएं, कब खत्म होगा भागलपुर के लोगों का इंतजार?

भागलपुर की स्मार्ट सिटी बनने की उम्मीदें अभी भी फाइलों में उलझी हुई हैं। जिन योजनाओं को तीन साल पहले ही मंजूरी मिल जानी चाहिए थी, वे अब तक सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गई हैं। करीब 1850 करोड़ रुपये की ये छह बड़ी योजनाएं अगर समय पर पूरी हो जातीं, तो आज भागलपुर शहर का नजारा बदल चुका होता। इन योजनाओं का उद्देश्य शहर को नई ऊंचाइयों तक ले जाना है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि वे केवल रिमाइंडर भेज सकते हैं, परंतु जनप्रतिनिधियों की चुप्पी और उदासीनता शहर के विकास के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है।


तीन साल से अटकी बड़ी योजनाएं

भागलपुर के विकास के लिए प्रस्तावित प्रमुख योजनाओं में से कुछ निम्नलिखित हैं:

  1. भागलपुर-हंसडीहा फोरलेन का निर्माण – 973 करोड़ रुपये
  2. बागबाड़ी कृषि बाजार समिति का विकास – 40 करोड़ रुपये
  3. स्ट्रॉम वाटर ड्रेनेज सिस्टम का विकास – 251 करोड़ रुपये
  4. विस्तारित क्षेत्र के लिए जलापूर्ति योजना – 250 करोड़ रुपये
  5. लोहिया पुल से अलीगंज तक फोरलेन का निर्माण – 56.71 करोड़ रुपये
  6. भागलपुर-अगरपुर कोतवाली बाइपास लिंक रोड – 77.00 करोड़ रुपये

ये योजनाएं भागलपुर की आधारभूत संरचना में सुधार लाने के लिए आवश्यक हैं, लेकिन इनकी मंजूरी ना मिलने से शहर के विकास की गति थम गई है।


अधिकारियों के बंधे हाथ, जनप्रतिनिधियों की चुप्पी

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि उनके हाथ बंधे हैं और वे केवल रिमाइंडर भेज सकते हैं, जबकि जनप्रतिनिधि इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। चुनावों के समय विकास के बड़े-बड़े वादे करने वाले नेता अब चुप हैं। राजनीतिक दल और स्वयं सेवी संस्थाएं भी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही हैं। चुनाव आते ही वादों के पोस्टर तो सज जाते हैं, लेकिन इस गंभीर मुद्दे पर किसी का ध्यान नहीं है।


जनता की बढ़ती निराशा

भागलपुर की जनता इस इंतजार से परेशान है। शहर के नागरिकों को यह समझ आ चुका है कि विकास योजनाओं को पूरा करने के वादे केवल चुनावी एजेंडा हैं, जिन्हें चुनाव के बाद भुला दिया जाता है। शहर के विकास की राह में लगातार देरी से जनता में निराशा बढ़ रही है, और वे अपने जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही मांग रहे हैं।


क्यों अटकी हैं योजनाएं?

विभिन्न निर्माण परियोजनाएं और रोड विस्तार कार्य एनओसी के अभाव में रुके हुए हैं। कृषि विश्वविद्यालय को जोड़ने के लिए अंडरपास और भोलानाथ अंडरपास के पास पिलर का निर्माण जैसी योजनाओं पर काम शुरू तो हुआ, लेकिन अब तक पूरा नहीं हो सका

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