Bihar Mahagathbandhan: सीट बंटवारे पर फंसा पेच, कांग्रेस की जिद और VIP की मांग से बढ़ी RJD की मुश्किल

बिहार महागठबंधन में सीट बंटवारे और मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर कांग्रेस और VIP की मांगों से आरजेडी मुश्किल में है। जानिए किस दल ने कितनी सीटें मांगी और गठबंधन में क्या गतिरोध चल रहा है।

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Bihar Mahagathbandhan- फोटो : social media

Bihar Mahagathbandhan: लोकसभा चुनाव के बाद अब बिहार की राजनीति विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर गरमा गई है। महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वाम दल, VIP और अन्य सहयोगी) के भीतर सीट शेयरिंग और मुख्यमंत्री पद को लेकर भारी खींचतान सामने आ रही है। पटना में हुई हालिया बैठक में भी कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकल सका।

कांग्रेस की दो टूक मांग और VIP की आक्रामकता

बैठक में कांग्रेस ने साफ कर दिया कि वह 70 सीटों से कम पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं है। वहीं, पूर्णिया सांसद पप्पू यादव की मौजूदगी से कांग्रेस का मनोबल और बढ़ा है। वे तो पार्टी को 100 सीटों पर लड़ने की सलाह दे रहे हैं और सीमांचल की सभी सीटें कांग्रेस को देने की मांग कर रहे हैं।

दूसरी तरफ, महागठबंधन में नए साथी बने मुकेश सहनी की पार्टी VIP ने भी बड़ी मांग रखते हुए 60 सीटों की डिमांड कर दी है। सहनी स्पष्ट कर चुके हैं कि महागठबंधन की सरकार बनी तो वह उपमुख्यमंत्री पद पर दावा छोड़ेंगे नहीं। लोकसभा चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव द्वारा दिया गया वादा उन्हें इस मांग को मजबूत करने का आधार देता है।

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2020 बनाम 2025: सीटों की गणित बिगड़ी

2020 के विधानसभा चुनाव में RJD ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था, कांग्रेस को 70 सीटें, वाम दलों को 29 सीटें मिली थीं। तब गठबंधन में पांच पार्टियां थीं, लेकिन अब इसमें VIP और पशुपति पारस की पार्टी जैसे नए घटक दल भी जुड़ चुके हैं। हालांकि पारस गुट की महागठबंधन में औपचारिक एंट्री अभी नहीं हुई है।

RJD की रणनीतिक मुश्किल

अब अगर हर दल को उनकी मांग के मुताबिक सीटें दी जाएं:

कांग्रेस – 70 सीटें

VIP – 60 सीटें

CPI(ML) – 30 सीटें

CPI और CPM – 10-10 सीटें

पारस गुट – अनुमानित 5-10 सीटें

तो कुल मिलाकर 185 से अधिक सीटें सहयोगियों को चली जाएंगी। ऐसे में RJD खुद कितनी सीटों पर लड़ेगी? 2020 में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते वह अब घटाकर 50-60 सीटों पर चुनाव कैसे लड़ सकती है? यही वजह है कि RJD मुख्यमंत्री चेहरा और सीटों का संतुलन साधने में उलझ गई है।

CM फेस को लेकर भी चुप्पी

बैठक में तेजस्वी यादव को CM फेस घोषित करने की भी चर्चा थी, लेकिन कांग्रेस इस पर अभी स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस चाहती है कि पहले सीट शेयरिंग का मसला सुलझाया जाए, फिर आगे की चर्चा हो। वहीं, वाम दलों और VIP को तेजस्वी का नेतृत्व मंजूर है, लेकिन वे अपनी सीटें छोड़ने को तैयार नहीं।

बिहार महागठबंधन कठिन परीक्षा से गुजर रहा

बिहार महागठबंधन इस समय राजनीतिक समन्वय और शक्ति संतुलन की सबसे कठिन परीक्षा से गुजर रहा है। सभी दल अपनी-अपनी ताकत का पूरा इस्तेमाल कर सीटें निकालने में लगे हैं। लेकिन अगर यही खींचतान जारी रही, तो NDA को एकजुटता का लाभ मिल सकता है। तेजस्वी यादव के लिए यह अग्निपरीक्षा है – क्या वह सबको साथ रखते हुए गठबंधन को जीत की दिशा में ले जा पाएंगे?