Masood Azhar: पाकिस्तान की 'आतंक प्रेम' की नई मिसाल, मसूद अजहर को 14 करोड़ का 'इनाम', आतंकी शिविरों को फिर से खड़ा करने का वादा

Masood Azhar: वैश्विक स्तर पर घोषित आतंकवादी और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के सरगना मसूद अजहर को पाकिस्तान सरकार 14 करोड़ रुपये का मुआवजा देने जा रही है।

आतंकी शिविरों को फिर से खड़ा करने का वादा- फोटो : social media

Masood Azhar:पाकिस्तान ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि आतंकवाद के प्रति उसका 'प्रेम' कितना अटूट है। वैश्विक स्तर पर घोषित आतंकवादी और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के सरगना मसूद अजहर को पाकिस्तान सरकार 14 करोड़ रुपये का मुआवजा देने जा रही है। यह राशि उन 14 लोगों के लिए है, जो भारतीय सैन्य बलों की 'ऑपरेशन सिंदूर' कार्रवाई में मारे गए। ये लोग मसूद के परिवार के सदस्य और करीबी सहयोगी थे, जिनमें उसकी बड़ी बहन, बहनोई, भतीजा, भतीजी और पांच बच्चे शामिल हैं। और तो और, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने नष्ट हुए आतंकी ठिकानों को फिर से बनाने का ऐलान कर दुनिया को बता दिया है कि आतंकवाद के प्रति उनकी 'निष्ठा' में कोई कमी नहीं आई है।

मुआवजा या आतंक का 'इनाम'?

पाकिस्तान सरकार ने प्रत्येक मृतक के लिए एक करोड़ रुपये के मुआवजे की घोषणा की है। मसूद अजहर, जो संभवतः अपने परिवार का एकमात्र जीवित कानूनी उत्तराधिकारी है, इस राशि का सबसे बड़ा लाभार्थी बन सकता है। यानी, एक ऐसा शख्स, जिसने 2001 के भारतीय संसद हमले, 2016 के पठानकोट हमले और 2019 के पुलवामा हमले जैसे आतंकी कांडों को अंजाम दिया, उसे पाकिस्तान सरकार 'मुआवजा' के नाम पर 14 करोड़ रुपये का 'इनाम' देने जा रही है। यह वही मसूद है, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने 2019 में वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था, लेकिन पाकिस्तान के लिए वह शायद 'राष्ट्रीय नायक' है।

'ऑपरेशन सिंदूर': भारत का सटीक निशाना

भारत ने 7 मई 2025 को 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। इनमें बहावलपुर का 'जमिया मस्जिद सुभान अल्लाह' कॉम्प्लेक्स, जो जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय था, भी शामिल था। यह हमला 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 लोग, ज्यादातर पर्यटक, मारे गए थे। भारतीय रक्षा अधिकारियों ने बार-बार स्पष्ट किया है कि ये हमले केवल आतंकी शिविरों पर किए गए, न कि किसी सैन्य या नागरिक क्षेत्र पर। भारत ने यह भी सुनिश्चित किया कि नागरिक हताहत न हों, और हमले रात के समय किए गए ताकि आम लोगों को नुकसान न पहुंचे।

लेकिन पाकिस्तान की कहानी कुछ और ही है। उसने दावा किया कि भारत ने 'नागरिक क्षेत्रों' पर हमला किया, जिसमें मस्जिदें भी शामिल थीं। मसूद अजहर ने अपने बयान में कहा कि मारे गए लोग उसकी बड़ी बहन, बहनोई, भतीजा, भतीजी और पांच बच्चे थे, जो 'जमिया मस्जिद सुभान अल्लाह' में मौजूद थे। सवाल यह है कि अगर यह 'मस्जिद' थी, तो वहां मसूद के परिवार के इतने सदस्य और सहयोगी क्या कर रहे थे? क्या यह मस्जिद वाकई पूजा स्थल थी, या जैश-ए-मोहम्मद का प्रशिक्षण केंद्र, जैसा कि भारत और कई अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसियां दावा करती हैं?

पाकिस्तान का दोहरा चेहरा: आतंकियों को 'शहीद', शिविरों को 'पुनर्जनन'

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने न केवल मुआवजे का ऐलान किया, बल्कि यह भी कहा कि नष्ट हुए 'घरों' का पुनर्निर्माण कराया जाएगा। भारत ने चेतावनी दी है कि वह इस बात पर कड़ी नजर रखेगा कि क्या इन 'पुनर्निर्मित' ढांचों को फिर से आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। बहावलपुर का सुभान अल्लाह कॉम्प्लेक्स, जो 18 एकड़ में फैला है, जैश का भर्ती, फंड जुटाने और कट्टरपंथी प्रशिक्षण का केंद्र रहा है। यह वही जगह है, जहां मसूद अजहर और उसका परिवार रहता था, और जहां से 2019 के पुलवामा हमले जैसे कांडों की साजिश रची गई थी।

पाकिस्तान का यह कदम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक खुला चुनौती पत्र है। एक तरफ वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की बात करता है, दूसरी तरफ मसूद जैसे आतंकियों को मुआवजा और संरक्षण देता है। यह वही पाकिस्तान है, जिसने 2002 में जैश-ए-मोहम्मद पर कागजी प्रतिबंध लगाया, लेकिन जमीन पर उसे पूरी छूट दी। बहावलपुर में जैश का शिविर पाकिस्तानी सेना के 31वें कोर मुख्यालय से कुछ ही मील दूर है, जो यह सवाल उठाता है कि क्या यह सब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की शह के बिना संभव है?

भारत की नजर, दुनिया की चुप्पी

भारत ने साफ कर दिया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ अपनी 'शून्य सहनशीलता' की नीति पर कायम रहेगा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थन करने की भारी कीमत चुकानी होगी। भारत ने यह भी सुनिश्चित किया कि ऑपरेशन सिंदूर में कोई पाकिस्तानी सैन्य ठिकाना निशाना न बने, ताकि संघर्ष बढ़े नहीं। लेकिन पाकिस्तान ने इसका जवाब सीमा पर गोलीबारी और ड्रोन हमलों से दिया, जिसे भारत ने नाकाम कर दिया।

दुनिया इस पूरे घटनाक्रम पर खामोश है। अमेरिका ने 'तत्काल डी-एस्केलेशन' की बात की, लेकिन मसूद को मुआवजा देने के पाकिस्तान के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की। चीन, जो लंबे समय तक मसूद को यूएन में आतंकवादी घोषित होने से बचाता रहा, इस बार भी चुप है।

आतंक का 'पाक' खेल

पाकिस्तान का यह कदम न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है। मसूद अजहर जैसे आतंकी को मुआवजा देना और उसके शिविरों को फिर से खड़ा करने का वादा करना यह दिखाता है कि पाकिस्तान आतंकवाद को न सिर्फ पनाह देता है, बल्कि उसे 'पुरस्कृत' भी करता है। यह वही देश है, जो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक से कर्ज मांगने के लिए हाथ फैलाता है, लेकिन आतंकियों को 'इनाम' देने के लिए उसके पास 14 करोड़ रुपये हैं।

भारत की नजर इस 'नापाक' खेल पर है। अगर पाकिस्तान ने फिर से इन ठिकानों को आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की, तो 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे और हमले हो सकते हैं। सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान अपनी आतंक प्रेमी नीति से बाज आएगा, या फिर वह मसूद जैसे आतंकियों को 'शहीद' और उनके शिविरों को 'मस्जिद' कहकर दुनिया को बेवकूफ बनाता रहेगा? फिलहाल, यह साफ है कि पाकिस्तान के लिए आतंकवाद सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि उसकी पहचान बन चुका है।