Bihar News : जहाँ कभी गरजती थी बंदूकें, दंगों की आग में झुलसा, बांका का बाबरचक गाँव अब बन गया स्मार्ट विलेज, सीएम नीतीश ने किया उद्घाटन

Bihar News : प्रगति यात्रा के दौरान सीएम नीतीश ने बांका में स्मार्ट विलेज का उद्घाटन किया. इस गाँव में कभी बंदूके गरजती थी. वहीँ यह गाँव कभी दंगों की आग में भी झुलसा था....पढ़िए आगे

Bihar News : जहाँ कभी गरजती थी बंदूकें, दंगों की आग में झुलसा, बांका का बाबरचक गाँव अब बन गया स्मार्ट विलेज, सीएम नीतीश ने किया उद्घाटन
बाबरचक बन गया स्मार्ट विलेज - फोटो : CHANDRASHEKHAR BHAGAT

BANKA : बांका;भूमिहीन व आवासविहीन परिवारों के लिए बने भारत के पहले स्मार्ट विलेज यानी उन्नत ग्राम बांका जिले के रजौन प्रखंड अंतर्गत नवादा खरौनी पंचायत के बाबरचक गांव में निर्माण कराया गया है. स्मार्ट विलेज का उद्घाटन सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया. उद्घाटन को लेकर यहां तैयारी जोर शोर से की गयी थी. यहां स्मार्ट विलेज प्रवेश द्वार, नवसृजित प्राथमिक विद्यालय, हाट, सोलर स्ट्रीट लाइट, बैडमिंटन कोर्ट, बास्केटबॉल कोर्ट,  दर्शक दीर्घा सहित क्रिकेट मैदान, आंगनवाड़ी पोषण वाटिका सहित, सामुदायिक भवन, जलमीनार, सामुदायिक शौचालय, आंतरिक सड़कें, करीब 60 लाभुकों के आवास का निर्माण कराया गया है. जबकि तालाब में चारों ओर सीढ़ी तथा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का निर्माण कराया गया है. 

दंगों की आग में उजड़ा बाबरचक  भूमिहीन परिवारों से हुआ गुलजार

1989 को भागलपुर में हुए सांप्रदायिक दंगे की आंच बांका जिले के बाबरचक तक भी पहुंची थी. दंगाइयों ने यहां के निवासियों के घरों में आग लगा दिया था. दंगे की आंच आने के पूर्व यहां के लोग पलायन कर गए थे. दंगे से पूर्व बाबरचक एवं अराजी बाबरचक में करीब 50 से अधिक अल्पसंख्यक मुस्लिम परिवार गुजर बसर करते थे. दंगे के बाद सभी अल्पसंख्यक परिवार अपनी जमीन जायदाद औने पौने दाम में बेचकर धोरैया प्रखंड के बलियास, गोराडीह प्रखंड के कुरुडीह, अगरपुर पीथना, कहलगांव आदि गांव में बस गए. दंगे के बाद चिरागी गांव बाबरचक (टीकर) व अराजी बाबरचक बेचिरागी गांव हो गया. फरवरी 2023 में इस बेचिरागी गांव में बिहार सरकार व जिला प्रशासन ने भूमिहीन व वासविहीन 162 परिवारों को सुख सुविधाओं से लैस कर यहां बसाने की कवायद शुरू की. दिसंबर 2023 तक यहां निर्माण कार्य मंथरगति से चला. लेकिन जनवरी 2024 के बाद से निर्माण कार्य तीव्र गति से हुआ. जनवरी 2025 माह के अंतिम दिनों में अधिकांश निर्माण कार्य पूर्ण हो होने के कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों उन्नत ग्राम यानी स्मार्ट विलेज का उद्घाटन किया.

बाबकरचक से बना बाबरचक

बाबरचक गांव के सेवानिवृत शिक्षक नरेश प्रसाद चौधरी, अरुण कुमार सिंह, डीलर राजेंद्र महतो आदि का कहना है कि बाबरचक पुराना नाम बाबकरचक है. ग्रामीण धनेश्वर प्रसाद सिंह, प्रमोद कुमार यादव के अनुसार अंग्रेजों के जमाने में खेतों की सिंचाई के लिए आसपास के गांवों के किसानों से सिंचाई टैक्स वसूलने के लिए यहां एक कचहरी हुआ करता था. शिक्षाविद कहते है बाब का मतलब जल, कर मतलब टैक्स और चक का मतलब गांव होता है. इन तीन शब्दों से मिलकर बना है बाबकरचक. बाबकरचक का आखिरी तहसीलदार बाबरचक गांव के दुखा यादव था. अंग्रेजों का राज खत्म होने के बाद सिंचाई कर वसूली का काम बंद हो गया और  कचहरी का अस्तित्व समाप्त हो गया. आजादी के बाद उसे समय के कुछ उत्साही छात्रों ने बाबकरचक का नाम बदलकर बाबरचक कर दिया. तब से लेकर आज तक यह गांव बाबरचक के रूप में ही जाना जाता है.

कभी भूख और गरीबी के कारण अपराध के लिए रहा बदनाम

70 से 80 के दशक में बाबरचक अपराध के लिए बदनाम रहा था. यहां अपराध का मुख्य कारण भूख और गरीबी था. लोगों को दो वक्त भर पेट भोजन नही मिलता था. जिससे कई युवा अपराध के दलदल में फसते चले गए. लोग 100 रुपए के लिए भी लोगों को जान मार देते थे. कालांतर में इन अपराधियों के मारे जाने या फिर समाज की मुख्य धारा में वापस लौट जाने के बाद यहां शिक्षा की धारा बहने लगी. अपराध में फंसे लोगों के बीच इस गांव से मनोहर प्रसाद सिंह, नवीनचंद्र चौधरी,नरेश प्रसाद चौधरी, मुरलीधर सिंह, अरुण कुमार सिंह, सुभाष चंद्र सिंह जैसे महान शिक्षाविद का जन्म हुआ. आज बाबरचक में रेलवे, बैंक, सेना, सचिवालय आदि में कई लोग कार्यरत है. इस गांव से प्रत्येक साल मैट्रिक प्रथम श्रेणी से पास करने वाले छात्रों की तादाद काफी अधिक है. आज यहां के लोग खुशहाल जिंदगी जी रहे है.

बांका से चंद्रशेखर कुमार भगत की रिपोर्ट

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