बारिश के लिए अल्लाह से रुहानी फरियाद, मिथिला में अदा की गई 'इस्तिस्का' की नमाज, खुले आसमान के नीचे दुआ
Bihar News:जहां एक समय मिथिलांचल को जल की धरती कहा जाता था, वहीं अब बूंद-बूंद पानी के लिए लोग तरस रहे हैं।
Bihar News:जहां एक समय मिथिलांचल को जल की धरती कहा जाता था, वहीं अब बूंद-बूंद पानी के लिए लोग तरस रहे हैं। खेत सूख चुके हैं, ताल-तलैया प्यासे हैं और आसमान से रहमत की एक बूँद भी नहीं टपक रही। इस जल संकट ने अब इबादत और आस्था का रूप ले लिया है।
दरभंगा जिले के शहवाजपुर पंचायत के करहटिया चौरी में रविवार को इस्तिस्का की नमाज़ अदा की गई ये एक खास नमाज़ होती है जो तब अदा की जाती है जब आसमान सूखा हो, ज़मीन प्यासी हो और रहमत की बारिश थम चुकी हो।
इस नमाज़ में शहवाजपुर करहटिया, जमालचक, भन्नी समेत दर्जनों गांवों के लोग शामिल हुए। बुज़ुर्गों के आंसू, बच्चों की मासूमियत और महिलाओं की दुआओं ने फिज़ा में दर्द घोल दिया। इमाम कारी नसीम के नेतृत्व में खुले मैदान में सैकड़ों लोगों ने दो रकअत नमाज़ अदा की और फिर हाथ उठा कर गुनाहों की माफ़ी और बारिश की फरियाद की।
इमाम कारी नसीम ने कहा, "जब बुराई ज़मीन पर हावी होती है, तब अल्लाह अपने बंदों का इम्तिहान लेते हैं। हम लोग गुनाह छोड़ने को आज भी तैयार नहीं हैं, शायद इसलिए हमारी दुआ कबूल नहीं हो रही। अब वक्त है तौबा करने का, अपने दिलों को साफ़ करने का।"
दुआ के दौरान लोग हाथ उल्टे करके अल्लाह से माफी मांगते रहे। रूंधे गलों से निकलती आवाज़ें थीं "या अल्लाह, हमारे गुनाह माफ़ कर, हमें बारिश अता कर दे, हमारी ज़मीनें सूख गई हैं, बच्चों के होंठ प्यासे हैं, मवेशी तड़प रहे हैं।"
इस्तिस्का की नमाज़ दो रकअत की होती है, जिसके बाद दो बार खुतबा दिया जाता है। यह इबादत की वो शक्ल है जो सिर्फ इमरजेंसी हालात में ही अदा की जाती है । जब इंसान की सारी उम्मीदें सिर्फ ऊपरवाले से जुड़ जाती हैं।
लोगों ने कहा कि जबतक बारिश नहीं होगी, ये नमाज़ और दुआओं का सिलसिला जारी रहेगा। आस्था और उम्मीदों से लबरेज़ इन फरियादों के बीच अब पूरा मिथिलांचल एक बूँद रहमत के इंतज़ार में है।
रिपोर्ट- वरुण कुमार ठाकुर