Bihar Land Survey: 'माल दीं ना'... दाखिल-खारिज में घूस का खेल.. भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरीं सीओ मैडम
Bihar Land Survey: 'कानून का राज' स्थापित रखना सर्वोच्च प्राथमिकता होने के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ 'जीरो टालरेंस' की नीति पर नीतीश सरकार लगातार मुखर है।लेकिन मोतिहारी में इसके उलट नजारा है। ...
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Bihar Land Survey: करीब दो दशक पहले जब बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने सत्ता की बागडोर अपने हाथों में ली तो साफ एलान कर दिया कि अब भ्रष्टाचार के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' की नीति अपनाई जाएगी। इस जीरो टॉलरेंस की नीति का मोतिहारी में असर पड़ता नहीं दिख रहा है। बिहार अब अपनी नौकरशाही को लेकर बदनाम होने लगा है।मोतिहारी का कोटवा अंचल कार्यालय की कार्यशैली बनी चर्चा का विषय, भ्रष्टाचार के आरोपों से सीओ घिरती जा रही हैं। लोग परेशान हैं। भूमि संबंधी दाखिल-खारिज और अन्य कार्यों में व्यापक अनियमितताओं और अवैध वसूली के आरोप सामने आ रहे हैं। सामान्य लोग इस स्थिति से परेशान हैं और भ्रष्टाचार के भय के कारण या तो अंचल कार्यालय नहीं जा रहे हैं या फिर अपने कार्यों को संपन्न कराने के लिए रिश्वत देने के लिए विवश हैं।
कोटवा अंचल कार्यालय में दाखिल-खारिज और अन्य भूमि संबंधी कार्यों में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं और अवैध उगाही के आरोप लग रहे हैं। लोगों का आरोप है कि अपने काम करवाने के लिए रिश्वत देनी पड़ रही है। सीओ मोनिका आनंद पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और उन्हें अपनी गलती स्वीकार करनी पड़ी है।
कोटवा अंचल कार्यालय के बारे में कई लोगों ने अपने काम करवाने के लिए रिश्वत की बात स्वीकार की। स्थानीय लोगों ने बताया उन्हें दाखिल-खारिज के लिए आवेदन करने पर रिश्वत मांगी गई थी। वहीं एलपीसी के लिए आवेदन करने पर रिश्वत देनी पड़ रही है। पहले कर्मचारी ने रिपोर्ट दी कि यह ज़मीन रैयती है और किसी प्रकार की रोक सूची में नहीं आती, जिसके बाद दाखिल-खारिज की अनुशंसा कर दी गई। लेकिन सीओ मोनिका आनंद ने खाता और खेसरा बदलकर इसे न्यायालय में विवादित दिखाते हुए आवेदन रिजेक्ट कर दिया।जब अंचल कार्यालय में इस बारे में सवाल किया तो सीओ ने अपनी गलती स्वीकारते हुए सुधार करने की बात कही।
वहीं सीओ मोनिका आनंद ने बताया कि गलती से रिजेक्ट हुए मामलों को ठीक किया जा रहा है और बाकी सभी आरोप निराधार हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी के पास प्रमाण हैं, तो उसकी शिकायत पर उचित कार्रवाई की जाएगी। लेकिन लोगों का कहना है कि उन्हें अपने काम करवाने के लिए रिश्वत देनी पड़ रही है और सीओ कार्यालय में भ्रष्टाचार व्याप्त है।इस अंचल कार्यालय की कार्यप्रणाली के प्रति आम नागरिक सीधे तौर पर अपनी आवाज उठाने में संकोच कर रहे हैं। क्षेत्र में यह भी चर्चा है कि एक मुखिया ने जब इस अनियमितता का विरोध किया, तो उनके खिलाफ बंधक बनाने का मामला दर्ज करवा दिया गया। इसके परिणामस्वरूप, स्थानीय लोग रिजेक्शन के भय से चुपचाप रिश्वत देने के लिए विवश हो गए हैं।
स्थानीय जानकारी के अनुसार, कोटवा अंचल में प्रत्येक सरकारी कार्य के लिए एक निश्चित दर निर्धारित है। दाखिल-खारिज कराने के लिए ₹10,000 से ₹15,000 और परिमार्जन (संशोधन) के लिए ₹30,000 से ₹35,000 तक की वसूली की जाती है। इसके अतिरिक्त, अन्य कार्यों के लिए भी अलग-अलग दरें निर्धारित की गई हैं।
कोटवा अंचल कार्यालय में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप लगे हैं और लोग परेशान हैं। सीओ मोनिका आनंद पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और उन्हें अपनी गलती स्वीकार करनी पड़ी है। लोगों का कहना है कि उन्हें अपने काम करवाने के लिए रिश्वत देनी पड़ रही है और सीओ कार्यालय में भ्रष्टाचार व्याप्त है।