SIR के बाद इस राज्य में 97 लाख वोटरों का मतदाता सूची से कट गया नाम, एक ही शहर में 14.25 लाख मतदाताओं के नाम हटे
फर्जी मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से हटाने की चल रही पहल के तहत लाखों वोटरों का नाम मतदाता सूची से हटाया गया है
SIR : मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण में लाखों वोटरों का नाम मतदाता सूची से हटाया गया है, इससे अगले साल होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में बड़े उलटफेर की संभावना जताई जा रही है। तमिलनाडु में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के पहले चरण के पूरा होने के बाद ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल से 97.37 लाख मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं। राज्य के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर (CEO) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, इनमें से 66.40 लाख मतदाता घर बदल चुके हैं, 26.90 लाख की मृत्यु हो चुकी है, जबकि 3.98 लाख मतदाताओं के नाम अलग-अलग जगहों पर डुप्लीकेट पाए गए।
ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक रही। आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 2.66 करोड़ पुरुष वोटर और 2.77 करोड़ महिला वोटर दर्ज किए गए हैं, जबकि थर्ड जेंडर वोटरों की संख्या 7,191 है। ड्राफ्ट रोल के अनुसार कुल मतदाता 5,43,76,755 हैं, जबकि 4 नवंबर को SIR शुरू होने के समय यह संख्या 6,41,14,587 थी। राजधानी चेन्नई में सबसे अधिक करीब 35 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। यहां लगभग 14.25 लाख मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल में शामिल नहीं हैं। अकेले चेन्नई से 14,25,018 नाम मौत, स्थानांतरण, डुप्लीकेट एंट्री और गैरहाजिरी जैसे कारणों से हटाए गए हैं।
CEO अर्चना पटनायक ने बताया कि सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को बूथवार प्रिंटेड और डिजिटल कॉपी उपलब्ध करा दी गई हैं और ड्राफ्ट रोल आधिकारिक वेबसाइट पर भी अपलोड कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि जिन मतदाताओं के नाम गैरहाजिरी, स्थानांतरण, मृत्यु या डुप्लीकेट होने के कारण ड्राफ्ट रोल में शामिल नहीं हैं, उनकी बूथवार सूची स्थानीय कार्यालयों के नोटिस बोर्ड पर चस्पा की जाएगी और DEO व CEO की वेबसाइट पर आसान फॉर्मेट में प्रकाशित की जाएगी।
19 दिसंबर से 18 जनवरी 2026 तक क्लेम और ऑब्जेक्शन की अवधि तय की गई है। इस दौरान कोई भी मतदाता या राजनीतिक दल पात्र मतदाताओं के नाम जोड़ने या अपात्र नाम हटाने के लिए दावा या आपत्ति दर्ज करा सकता है। CEO ने बताया कि 19 दिसंबर 2025 तक कुल 234 ERO और 1,776 AERO ऐसे मामलों की जांच के लिए उपलब्ध रहेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि 16 दिसंबर को प्रकाशित ड्राफ्ट रोल से किसी भी नाम को बिना नोटिस और ERO/AERO के स्पीकिंग ऑर्डर के हटाया नहीं जा सकता। यदि कोई मतदाता असंतुष्ट होता है तो वह जिला मजिस्ट्रेट और इसके बाद जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 24 के तहत मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास अपील कर सकता है।
अधिकारियों और राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) का कहना है कि जिन लोगों के नाम शिफ्टिंग के कारण ड्राफ्ट रोल में नहीं आ पाए हैं, वे जनवरी तक या तो याचिका दाखिल कर या नए मतदाता के रूप में एनरोल होकर फिर से सूची में शामिल हो सकते हैं। इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए विशेष नामांकन शिविर भी लगाए जाएंगे।
इस बीच विपक्ष के नेता और AIADMK प्रमुख एडप्पादी के. पलानीस्वामी ने नामों के “हटाए जाने” का स्वागत करते हुए कहा कि उनकी पार्टी शुरू से ही SIR प्रक्रिया का समर्थन कर रही है, क्योंकि DMK कथित तौर पर “फर्जी वोटरों” के जरिए लाभ उठा रही थी। वहीं DMK ने कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन पार्टी का कहना है कि वह अपने BLAs को ड्राफ्ट रोल की जांच करने और छूटे हुए योग्य मतदाताओं के नाम जुड़वाने के निर्देश दे रही है।