Bihar Assembly Elections 2025: बिहार मतदाता सूची विवाद! चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर विपक्ष का हंगामा, जानें पूरा मामला
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से मुलाकात की और कई गंभीर सवाल उठाए। जानिए क्यों विपक्ष को यह प्रक्रिया संदिग्ध लग रही है और किसे हो सकता है नुकसान।
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) एक राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है। INDIA गठबंधन के 11 प्रमुख दलों के नेताओं ने बुधवार को निर्वाचन आयोग से मुलाकात की और इस प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए।
इन दलों में शामिल थे — कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, माकपा, भाकपा (माले) लिबरेशन समेत कई अन्य क्षेत्रीय दल। इन नेताओं ने आरोप लगाया कि यह कवायद चुनाव से ठीक पहले मतदाताओं को वंचित करने की एक रणनीति हो सकती है।
SIR क्या है?
विशेष गहन पुनरीक्षण का उद्देश्य मतदाता सूची की शुद्धता और अद्यतनता सुनिश्चित करना है। इसमें मृत, स्थानांतरित या अपात्र मतदाताओं के नाम हटाए जाते हैं और नए योग्य मतदाताओं को जोड़ा जाता है।लेकिन बिहार जैसे प्रवासी राज्य में, यह प्रक्रिया कई वंचित वर्गों के लिए समस्या बन सकती है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके पास स्थायी निवास के स्पष्ट दस्तावेज नहीं हैं।
चुनाव आयोग पर विपक्ष के आरोप: “मतदाता अधिकार को कमजोर किया जा रहा है”
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि हमने पूछा कि 2003 में भी SIR लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुआ था, अब यह बिहार विधानसभा चुनाव से सिर्फ 24 महीने पहले क्यों किया जा रहा है?" इसके साथ ही उन्होंने चुनाव आयोग की पारदर्शिता और संवाद प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े किए। सिंघवी के मुताबिक, पहली बार आयोग ने केवल पार्टी प्रमुखों को संवाद की अनुमति दी, जिससे अन्य वरिष्ठ नेताओं को लगभग तीन घंटे इंतजार करना पड़ा।
प्रवासी मजदूरों को मताधिकार से वंचित किया जा रहा है
दीपांकर भट्टाचार्य, भाकपा (माले) लिबरेशन के नेता ने सबसे गंभीर चिंता जताई — बिहार के प्रवासी मजदूरों के वोटिंग अधिकार पर। उन्होंने कहा कि बिहार में लगभग 20 प्रतिशत लोग काम के लिए बाहर रहते हैं। अब यदि चुनाव आयोग कहता है कि केवल 'सामान्य निवासी' ही मतदाता हो सकते हैं तो ये प्रवासी मजदूर वोटर लिस्ट से बाहर हो सकते हैं।"
राजद का सवाल: “क्या संदिग्ध मतदाताओं को निशाना बनाया जा रहा है?”
राजद नेता मनोज झा ने भी तीखे सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि क्या यह विशेष पुनरीक्षण एक ढोंग है जिससे कुछ खास वर्ग के मतदाताओं को ‘संदिग्ध’ बताकर लिस्ट से हटाया जाए?"
पांच और राज्यों में SIR की तैयारी: क्या बिहार मॉडल अपनाया जाएगा?
बिहार के अलावा SIR की योजना असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी बनाई जा रही है — ये सभी राज्य 2026 तक विधानसभा चुनावों की तैयारी में हैं। अगर बिहार में यह प्रक्रिया विवादों से घिरी रही तो यह अन्य राज्यों में भी राजनीतिक तनाव का कारण बन सकती है।