BUDGET 2025 : बिहार को बजट से 1 लाख 42 हजार करोड़ से ज्यादा का सेंट्रल टैक्स मिलने का रास्ता हुआ साफ, जानिए फिर भी क्यों नहीं पूरी हुई उम्मीद
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट से बिहार के लिए सेंट्रल टैक्स के रूप में एक लाख 42 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि मिलने का रास्ता साफ हो गया. खबर में विस्तार से जानिए किस मद में कितनी राशि मिलेगी.
BUDGET 2025 : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त बजट में बिहार को लेकर एक के बाद एक कई घोषणाएं की. लेकिन इन घोषणाओं के बाद भी बिहार के लिए स्पेशल पैकेज जैसी कोई घोषणा नहीं हुई जबकि पिछले बजट में बिहार के लिए खास घोषणा की गई थी. हालाँकि बजट के बाद बिहार के लिए सेंट्रल टैक्स के रूप में 1 लाख 42 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा राशि मिलने का रास्ता साफ हो गया.
वर्ष 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के शुरु होने के बाद पेश हुए बजट में बिहार के लिए करीब 59 हजार करोड़ रुपए का स्पेशल पैकेज घोषित किया गया था. लेकिन इस बार के बजट में ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई. वहीं जिन क्षेत्रों में बिहार को फोकस कर घोषणा की गई है उससे उद्योग, रोजगार और निवेश की दिशा में कोई बड़ा बदलाव आएगा इसकी संभावना नहीं लगती.
सेंट्रल टैक्स से मिलेगा बड़ा लाभ
बिहार को सेंट्रल टैक्स के माध्यम से बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है. बिहार को केंद्र से जिन पांच श्रेणियों में सेंट्रल टैक्स मिलेंगे उसमें सर्वाधिक राशि आयकर के रूप में आएगी. आयकर से 53 हजार 304.80 करोड़ रुपए राज्य को केन्द्रीय कर के रूप में आएंगे. वहीं सेंट्रल जीएसटी के रूप में 41 हजार 651.18 करोड़ रूपये, कॉरपोरेशन टैक्स के तहत 39 हजार 949.88 करोड़ रुपए, कस्टम मद में 6 हजार 585.19 करोड़ रुपए और यूनियन एक्साइज के रूप में एक हजार 368.07 करोड़ रुपए मिल सकते हैं. इस प्रकार बिहार को कुल एक लाख 42 हजार 859.12 लाख करोड़ रुपए सेंट्रल टैक्स मिलने की संभावना है.
मखाना बोर्ड से कितने रोजगार
केंद्रीय बजट में बिहार में मखाना बोर्ड स्थापित करने की घोषणा की गई है. हालाँकि मखाना की खेती से जुड़े बिहार के किसानों की संख्या महज 25 हजार बताई जाती है. बिहार के मिथिला और सीमांचल करीब 10 जिलों में होती है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने ही बताया है कि राज्य में मात्र 40 हजार हेक्टेयर जमीन पर मखाना की खेती होती है जिससे मात्र 25 हजार के आसपास किसान जुड़े हैं. ऐसे में यह आंकड़ा काफी है यह बताने को कि मखाना बोर्ड से किसानों के छोटे से वर्ग को लाभ होगा. उसमें भी यह किस प्रकार से लाभ देगा इसकी विस्तृत रुपरेखा के बाद ही यह तय होगा.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी से बड़ा बदलाव
बिहार के लिए घोषित योजनाओं में सबसे अहम नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी की स्थापना को माना जा रहा है. बिहार आज भी देश का प्रमुख कृषि आधारित राज्य है. ऐसे में इस संस्थान की स्थापना से खाद्य प्रसंस्करण की दिशा में नए शोध, नई तकनीक और बाजार को आकर्षित करने में खास बदलाव संभव है.
आईआईटी की सीटें होंगी दोगुनी
पटना आईआईटी के विस्तारीकरण को लेकर निर्मला सीतारमण ने जो घोषणा की है उससे बिहार के इस संस्थान में अब सीटों की संख्या दोगुनी हो जाएगी. मौजूदा समय में पटना आईआईटी में 2883 सीटें हैं जो बढ़कर 5700 के करीब हो जाएँगी. हालाँकि आईआईटी में दाखिला का प्रावधान देश स्तर पर होने वाली परीक्षा के आधार पर तय मैरिट से होता है. तो सीटों के बढ़ने से सिर्फ बिहर के छात्रों को ही फायदा नहीं होगा बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर सभी राज्यों के छात्रों को बेहतर मौका देगा.
ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट कहां बनेगा
बजट में बिहार के लिए ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट निर्माण की घोषणा की गई है. लेकिन यह कहां बनेगा इसकी कोई घोषणा नहीं के गई है. दरअसल, ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट उसे कहा जाता है जहां शुरुआत से पूरा काम किया जाता है. वहीं ब्राउन फील्ड एयरपोर्ट वह होता है जिनका विस्तार किया जाता है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि बिहार में किस जगह ग्रीन फील्ड हवाई अड्डा बनेगा. वहीं बजट में पटना और बिहटा एयरपोर्ट का विस्तार करने की बातें कही गई हैं जबकि इन दोनों एयरपोर्ट का विस्तारीकरण का काम अंतिम चरण में है.
1962 से लंबित कोसी नहर परियोजना
कोसी नहर परियोजना के तहत कोसी नदी पर पूर्वी और पश्चिमी तट पर दो नहर बनना था. यह 1962 की कोसी बहुद्देशीय परियोजना का ही अंग है. हालाँकि पिछले कई दशकों से यह लंबित है. ऐसे में पश्चिमी कोसी नहर परियोजना उसी सपने को साकार करने की दिशा में उठाया गया कदम है. इसका मकसद बिजली निर्माण, बेहतर सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण है. ऐसे में वर्ष 1962 से लंबित यह परियोजना अब किस रूप में साकार होगी यह भी बड़ा सवाल है क्योंकि परियोजन के लिए केंद्र कितना आर्थिक मदद देगी इसकी कोई घोषणा नहीं की गई है.