Caste Census 2025: नीतीश कुमार की पुरानी मांग को केंद्र सरकार ने माना! बिहार विधानसभा चुनाव के पहले जातीय जनगणना करवाने के फैसले पर क्या है PM मोदी का गेम प्लान
केंद्र की जातीय जनगणना की घोषणा के पीछे नीतीश कुमार की पहल अहम रही। बिहार ने सर्वदलीय समर्थन के साथ पहले ही जाति गणना कर मिसाल पेश की थी, जिससे आरक्षण और कल्याण योजनाओं को नई दिशा मिली।

Caste Census 2025: भारत में जातीय जनगणना की राजनीति कोई नई नहीं है, लेकिन इस विषय को नीतिगत निर्णय में बदलने की जो पहल हुई, उसका श्रेय बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जाता है। वर्ष 2025 में जब केंद्र सरकार ने औपचारिक रूप से जातीय जनगणना कराने का निर्णय लिया, तो इसकी जड़ें बिहार की उस प्रक्रिया में थीं, जहां एक राज्य सरकार ने अपने बलबूते पर जाति आधारित सर्वेक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया।
नीतीश कुमार ने इस मुद्दे को केवल राजनीतिक हथियार नहीं बनाया, बल्कि इसे सामाजिक न्याय और समावेशी विकास का हिस्सा बना दिया।
जाति गणना को लेकर नीतीश कुमार की रणनीति
बिहार में जातीय गणना का रास्ता आसान नहीं था। यह न केवल सर्वदलीय समर्थन से संभव हुआ, बल्कि मुख्यमंत्री ने एक राजनीतिक सहमति बनाते हुए इस मुद्दे को आगे बढ़ाया।राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि जाति गणना केंद्र की नीति नहीं बन पा रही है, तो वह अपने संसाधनों से यह काम करेगी। इस तरह देश की पहली आधुनिक जातीय गणना वर्ष 2023-24 में बिहार में संपन्न हुई।
इस गणना से प्राप्त आंकड़ों ने राज्य सरकार को यह निर्णय लेने में सहायता दी कि सरकारी योजनाओं में आरक्षण का दायरा 65% तक बढ़ाया जाए। भले ही सुप्रीम कोर्ट की रोक के कारण यह निर्णय अभी अमल में नहीं आ पाया है, लेकिन सामाजिक आधारभूत सुधारों की नींव पक्की हो गई है।
94 लाख अत्यंत गरीब परिवारों की पहचान
जातीय गणना से एक और महत्वपूर्ण जानकारी यह मिली कि 94 लाख परिवार अत्यंत गरीब हैं। यह आंकड़ा अपने आप में चौंकाने वाला था और राज्य सरकार ने इसे गंभीरता से लिया।नीतीश सरकार ने निर्णय लिया कि ऐसे प्रत्येक परिवार को आत्मनिर्भरता के लिए ₹2 लाख की सहायता दी जाएगी। यह निर्णय अब जमीनी स्तर पर क्रियान्वित हो रहा है, जो सामाजिक न्याय की दिशा में एक मील का पत्थर है।
लालू यादव और राहुल गांधी का दावा, लेकिन ज़मीनी पहल बिहार से
लालू प्रसाद यादव ने दावा किया कि 1996 में उनकी पहल पर जातीय गणना का प्रस्ताव संयुक्त मोर्चा की सरकार ने पारित किया था। हालांकि, वह लागू नहीं हो पाया।वहीं कांग्रेस के राहुल गांधी ने हाल ही में जातीय जनगणना को लेकर अपनी पार्टी की प्रतिबद्धता जताई और इसका श्रेय लेना चाहा। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि विपक्षी गठबंधन INDIA की प्रारंभिक बैठक में जब नीतीश कुमार ने देशव्यापी जाति गणना को एजेंडे में लाने की बात की, तब कांग्रेस और ममता बनर्जी ने इसका विरोध किया था।