Rajdev Ranjan Murder Case - पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड में पीड़ित परिवार को नौ साल बाद मिला इंसाफ, दोषियों को आजीवन कारावास की सजा

Rajdev Ranjan Murder Case - सीवान में चर्चित पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने अपने फैसला सुना दिया है। जिसके बाद पीड़ित परिवार को आज इंसाफ मिल गया है।

Patna - बिहार के सीवान में चर्चित पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने मंगलवार को तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। 2016 में हुए इस सनसनीखेज हत्याकांड के 9 साल बाद यह फैसला आया है। 

कौन हैं दोषी?

जिन तीन दोषियों को सजा सुनाई गई है, उनमें विजय कुमार, रोहित कुमार और सोनू कुमार गुप्ता शामिल हैं। तीनों को कोर्ट ने आजीवन कारावास और 30-30 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।

क्या था मामला?

राजदेव रंजन हिंदुस्तान अखबार के सीवान ब्यूरो प्रमुख थे। 13 मई 2016 की शाम को सीवान रेलवे स्टेशन के पास गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पुलिस ने पहले कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था, लेकिन बाद में सरकार के अनुरोध पर जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी। सीबीआई ने इस मामले में पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन समेत कई लोगों को आरोपी बनाया था। 

शहाबुद्दीन और अन्य आरोपियों का क्या हुआ?

इस मामले में मुख्य आरोपी बनाए गए शहाबुद्दीन की 2021 में कोरोना संक्रमण से मौत हो गई थी, जिसके बाद उनका नाम केस से हटा दिया गया था। अन्य आरोपियों में से कुछ को पहले ही बरी कर दिया गया था, जबकि इन तीन दोषियों को अब सजा सुनाई गई है। यह फैसला पत्रकारिता जगत और बिहार की आपराधिक राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है।

पत्नी ने की थी कड़ी सजा की मांग

राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन ने लगातार इस मामले में न्याय के लिए संघर्ष किया था। सजा सुनाने से पहले उन्होंने कहा था मेरे पति की मौत ने हमारी जिंदगी पूरी तरह बदल दी। मैं चाहती हूं कि दोषियों को ऐसी सजा मिले, जिससे समाज को संदेश जाए कि अपराधी कितना भी ताकतवर क्यों न हो, कानून से बच नहीं सकता।

इससे पहले सुनवाई के दौरान CBI के विशेष लोक अभियोजक राकेश दुबे ने कहा कि अभियोजन ने हर सबूत और गवाह को मजबूती से रखा था। कई दबाव और गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश हुई, लेकिन सच सामने आया।वहीं बचाव पक्ष के वकील शरद सिन्हा ने कहा कि कई निर्दोष लोगों को फंसाया गया, और अदालत द्वारा तीन आरोपियों की रिहाई से यह साफ होता है कि जांच में खामियां रहीं।यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। परिवार और राज्य सरकार की मांग पर पुलिस से जांच हटाकर CBI को सौंपी गई थी। करीब 9 साल बाद दोषियों को सजा का ऐलान होने जा रहा है।