PATNA HIGHCOURT - हाईकोर्ट ने आर्यभट्ट ज्ञान विवि के पूर्व उप कुलपति को हटाने के फैसले को किया निरस्त, राज्यपाल कार्यालय में चल रहे भ्रष्टाचार की खुल गई पोल
PATNA HIGHCOURT - पटना हाईकोर्ट ने आर्यभट्ट ज्ञान विवि के पूर्व उप कुलपति को हटाए जाने के फैसले को रद्द कर दिया। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने राज्यपाल कार्यालय के अधिकारियों पर गर्वनर को गुमराह करने का आरोप लगाया।

PATNA - पटना हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति कुमारी अंजना को बड़ी राहत दी है।कोर्ट ने उपकुलपति को पद से हटाने के कुलाधिपति के आदेश को निरस्त कर दिया।
जस्टिस अंजनी कुमार शरण ने पद से हटाये गये उपकुलपति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद ये आदेश दिया।कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद है और राज्यपाल बिहार राज्य विश्वविद्यालय कानून के प्रावधानों के तहत बिहार के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति की भूमिका निभाते हैं।
कुलाधिपति को उनके आधिकारिक, विधायी, कार्यकारी, संवैधानिक तथा अर्ध-न्यायिक कार्यों के निर्वहन में सहायता करने के लिए, प्रशासनिक तथा न्यायिक सेवाओं के अधिकारियों को राज्य सरकार नियमों के अंतर्गत एक निश्चित अवधि के लिए राज्यपाल सचिवालय में प्रतिनियुक्त किया जाता है। राज्यपाल सचिवालय में पदस्थापित होने के पश्चात अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे विभिन्न मुद्दों पर सटीक तथ्य, सुसंगत संवेधानिक प्रावधान तथा विद्यमान न्यायिक सुझाव प्रस्तुत करें,ताकि राज्यपाल कानून के तहत अंतिम निर्णय ले आदेश जारी कर सकें।
लेकिन कोर्ट ने पाया कि विशेष कर्तव्य अधिकारी (न्यायिक) बालेंद्र शुक्ला और विशेष कर्तव्य अधिकारी (विश्वविद्यालय) महावीर प्रसाद शर्मा ने मूल रिकॉर्ड के साथ गड़बड़ी की है। कोर्ट द्वारा पूछे गए सवालों का संतोषजनक जवाब देने में विफल रहे और उन्होंने मौखिक माफी मांगी। कोर्ट ने कहा कि विशेष कर्तव्य अधिकारी (न्यायिक) और विशेष कर्तव्य अधिकारी (विश्वविद्यालय) की जिम्मेदारी काफी ऊंची हैं, जिनका न्यायसंगत, निष्पक्ष और कानूनी आदेश या निर्देश पारित करने में कुलाधिपति की सहायता करना बाध्यकारी कर्तव्य है।
हालांकि दोनों अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारियों को न केवल नजरअंदाज किया बल्कि उन्होंने जानबूझकर महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया है। इससे कुलाधिपति को गलत आदेश पारित करने में गुमराह किया गया है।
कोर्ट ने कहा कि दोनों अधिकारी विशेष कर्तव्य अधिकारी (न्यायिक) और विशेष कर्तव्य अधिकारी (विश्वविद्यालय) अपने-अपने पदों के लिए अनुपयुक्त हैं और उन्हें उचित प्रशिक्षण के लिए भेजा जाना चाहिए। कोर्ट ने विशेष कर्तव्य अधिकारी (न्यायिक) बालेंद्र शुक्ला के खिलाफ उचित कार्रवाई के लिए हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस के समक्ष प्रस्तुट करने और
विशेष कार्य अधिकारी (विश्वविद्यालय महावीर प्रसाद शर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्यपाल के प्रधान सचिव के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया।