नोटबंदी के बाद अब वोटबंदी! मोदी सरकार पर भड़के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, करोड़ों मतदाताओं के वोटिंग अधिकार छीनने की साजिश
बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने कहा है कि नोटबंदी के बाद अब वोटबंदी से बिहार के करोड़ों मतदाताओं का वोटिंग अधिकार छिन सकता है. इसे मोदी सरकार की बड़ी साजिश करार दिया है.
Bihar News: विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष चुनाव आयोग पर हमलावर है। इसी कड़ी में बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने भाजपा पर निशाना साधा है। मीडिया को संबोधित करते हुए बिहार चुनाव प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने कहा कि हमें चुनाव आयोग से थोड़ी बहुत उम्मीदें बची थीं, लेकिन कल के बाद वो भी खत्म हो गई है. उन्होंने सीधे मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार तुगलकी फरमानों की सरकार है। इन्होंने कई तुगलकी फरमान जारी किए हैं- नोटबंदी, GST, लॉकडाउन, जब हमारी सेना पाकिस्तान पर भारी पड़ रही थी, तब सीजफायर और अब ‘वोट बंदी’। बिहार में जिस तरह से चुनाव से ठीक पहले वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण किया जा रहा है, यह सीधे-सीधे तुगलकी फरमान है।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के इस फैसले से बिहार के करोड़ों मतदताओं का वोटिंग आधिकार छिन सकता है. करोड़ों मतदाताओं के पास उस प्रकार के कोई दस्तावेज नहीं हैं जिसे वे विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान पेश कर खुद की नागरिकता का प्रमाण दे सकें. उन्होंने कहा कि इलेक्शन कमीशन जिस तरह से 25 दिन में पूरी इलेक्ट्रो प्रोसेस को कर रहा है उससे करोड़ों लोगों का मतदान अधिकार छिन जाएगा.
पीएम मोदी को चुनौती
अल्लावरु ने अपने सोशल मीडिया पर भी लिखा कि मैं प्रधानमंत्री को चुनौती देता हूं कि- इतिहास में कोई ऐसी मिसाल बता दें कि 1 महीने के अंदर 8 करोड़ लोगों को अपना प्रमाण देना पड़ा हो। ये वही 8 करोड़ लोग हैं, जिन्होंने लगभग 1 साल पहले लोकसभा में अपना मत डाला था। आखिर 12 महीने में ऐसा क्या हो गया कि बिहार के हर वोटर को नए तरीके से वोटर बनने का प्रमाण देना पड़ेगा।
मौलिक अधिकार छीन रही सरकार
कृष्णा अल्लावरु सहित विपक्ष के कई दलों ने कहा है कि NDA सरकार हमारे लोकतांत्रिक अधिकार छीन रही है. वोट देना हर आदमी का मौलिक अधिकार है. यह सरकार चुनाव आयोग के माध्यम से गरीबी दलित और अति पिछड़ा के वोट देने के अधिकार को छीनना चाहती है. उन्होंने कहा कि जिस तरह नोटबंदी के दौरान लोगों को भारी परेशानी हुई उसी तरह अब वोटबंदी से बिहार के लोगों को संवैधानिक तौर पर मिले वोटिंग अधिकार के खत्म होने का डर है.
क्या है विशेष गहन पुनरीक्षण
चुनाव आयोग ने 24 जून 2025 को बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का आदेश दिया, जो 25 जून से 25 जुलाई 2025 तक चलेगा। इस प्रक्रिया के तहत, बिहार के लगभग 8 करोड़ मतदाताओं को अपनी नागरिकता और पात्रता साबित करने के लिए दस्तावेज जमा करने होंगे, जैसे जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, मूल निवास प्रमाण पत्र, या 1 जुलाई 1987 से पहले जारी कोई सरकारी दस्तावेज देना होगा.